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खगोल वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में विचरने वाले एक अनाथ और बेघर ग्रह का पता लगाया है। यह ग्रह अनाथ इसलिए है क्योंकि इसका कोई सूरज नहीं है, यह किसी नक्षत्र मंडल का हिस्सा नहीं है। वैज्ञानिक पिछले कुछ समय से स्वतंत्र रूप से विचरने वाले ऐसे ग्रहों के बारे में अटकलें लगा रहे थे, जिन पर किसी निकटवर्ती तारे के गुरुत्वाकर्षण का कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन यह पहला अवसर है, जब ऐसे किसी ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि हुई है। सीएफबीडीएसआइआर 2149 नामक इस ग्रह का द्रव्यमान बृहस्पति से चार से सात गुना अधिक है और यह हमारे सौरमंडल से करीब 100 प्रकाशवर्ष दूर विचरण कर रहा है। कनाडा और फ्रांस के वैज्ञानिकों द्वारा की गई विस्तृत गणनाओं से पता चलता है कि यह तुलनात्मक दृष्टि से युवा ग्रह है। इसकी उम्र 5 करोड़ से 12 करोड़ वर्ष के बीच आंकी गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्मुक्त रूप से भ्रमण करने वाला यह ग्रह एक बड़े समूह का हिस्सा है, जिसमें करीब 30 युवा तारे शामिल हैं।
इन सभी तारों की संरचनाएं एक जैसी हैं। ये तारे एक साथ अंतरिक्ष में विचरण कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का ख्याल है कि यह ग्रह अपने गठन के वक्त ही मूल तारे से छिटक कर दूर पहुंच गया था। ब्रंाांड में इस तरह की घटनाएं आम हो सकती हैं। इस अनाथ ग्रह की खोज से कुछ दिन पहले ही खगोल वैज्ञानिकों ने एचडी 40307 नामक तारे के जीवन के अनुकूल क्षेत्र में एक ऐसी नई महापृथ्वी का पता लगाया था, जहां की परिस्थितियां जीवन के लायक हो सकती हैं। यह ग्रह छह ग्रहों के सिस्टम का हिस्सा है। इस ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी से सात गुना अधिक है। नया ग्रह लगभग 44 प्रकाश वर्ष दूर है। इस ग्रह की खास बात यह है कि मेजबान तारे से इसकी दूरी सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी के बराबर ही है। इसका अर्थ यह हुआ कि यह ग्रह अपने तारे से उतनी ही ऊर्जा प्राप्त कर रहा है, जितनी कि पृथ्वी सूरज से प्राप्त करती है। इससे इस ग्रह के जीवन अनुकूल होने संभावना बढ़ गई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन स्थितियों में जीवन के पोषण के लिए तरल जल और स्थिर वायुमंडल की उपस्थिति संभव है। बहुत मुमकिन है कि यह ग्रह अपने तारे की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी की तरह ही अपनी धुरी पर घूम रहा होगा। इससे वहां रात और दिन होते होंगे। रात और दिन के प्रभाव से पृथ्वी जैसे माहौल की संभावना बनती है। नए ग्रह की लंबी कक्षा का अर्थ यह है कि उसकी जलवायु और वायुमंडलीय स्थितियां जीवन के लिए सहायक हो सकती हैं। बाहरी ग्रहों और निकटवर्ती तारों की खोज करते हुए हमें कई अनोखी चीजों का पता चल रहा है। भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. निक्कू मधुसुदन के नेतृत्व में अमेरिकी और फ्रेंच रिसर्चरों ने एक ऐसे चट्टानी ग्रह का पता लगाया है, जो विशुद्ध रूप से हीरे का बना हुआ है। यह ग्रह 55कैंसराई नामक तारे का चक्कर लगा रहा है। यह तारा हमारे सौरमंडल से करीब 40 प्रकाश वर्ष दूर है। अभी कुछ दिन पहले ही कुछ शौकिया खगोल वैज्ञानिकों ने एक और अजीबोगरीब ग्रह का पता लगाया था, जो चार सूर्यो से घिरा हुआ है। यह ग्रह करीब 5000 प्रकाश वर्ष दूर है। समझा जाता है कि यह ग्रह पृथ्वी से करीब छह गुना बड़ा है। यह ग्रह दो सूर्यो का चक्कर लगाता है, जबकि दो अन्य तारे दूर से इसकी परिक्रमा कर रहे हैं। इस तरह चार सूर्यो की उपस्थिति से आसमान का वह हिस्सा ज्यादा चमकीला हो जाता है। खगोल-वैज्ञानिकों को अभी तक दो सूर्यो का चक्कर काटने वाले छह ग्रहों का पता था, लेकिन यह पहला मौका है जब किसी ग्रह को दो से ज्यादा सूर्यो के साथ देखा गया है। अंतरिक्ष में ऐसे अजूबे और भी हो सकते हैं।
लेखक मुकुल व्यास स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं
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Tags:Geography, Planet, Sun, New Planet , France, Earth, खगोल वैज्ञानिकों, सूरज, सीएफबीडीएसआइआर, फ्रांस
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