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गूगल ने अपने 13वें जन्मदिन 27 सितंबर के एक हफ्ते पहले ही अपनी चर्चित सोशल नेटवर्किग साइट गूगल प्लस को सभी के लिए खोल दिया। इससे पहले सिर्फ निमंत्रण के जरिए गूगल प्लस का सदस्य बनना संभव था। इस फैसले का नतीजा गूगल के लिए जन्मदिन का तोहफा सरीखा साबित हुआ। गूगल प्लस को सभी के लिए खोले जाने के बाद पहले हफ्ते में इसके सदस्यों की संख्या में 1269 फीसदी का इजाफा हुआ। जी हां, 1269 फीसदी। इस तरह झटके में गूगल प्लस दुनिया की 10 सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किग साइट में शुमार हो गई। 13वें जन्मदिन पर गूगल के लिए इससे बेहतर खबर क्या हो सकती थी? गूगल इसके लिए जश्न मनाता अगर इसी वक्त उसकी विश्वसनीयता को लेकर उसे कोर्ट में जवाब न देना पड़ रहा होता। 21 सितंबर को अमेरिकी सीनेट की एंटीट्रस्ट कमेटी के सामने गूगल के एक्ज़ीक्यूटिव चेयरमैन एरिक शिडमिट सामने पेश हुए और उन्होंने गूगल के एकाधिकार से लेकर सर्च संबंधी गड़बड़झाले पर सफाई दी। पहले एकाधिकार की बात करें।
सर्च इंजन बाजार के बारे में नेटमार्केटशेयर डॉट कॉम के आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में सर्च इंजन के 84.73 फीसदी बाजार पर गूगल ग्लोबल का कब्जा है। इसके बाद याहू ग्लोबल के पास 6.35 फीसदी हिस्सेदारी है। सर्च इंजन बाजार पर कब्जे का सिर्फ किसी एक क्षेत्र में बढ़त का मामला नहीं है, बल्कि पूरे इंटरनेट के बाजार को अपने तरह से प्रभावित करना है। दरअसल, सर्च इंजन में किसी जानकारी को खोजने के लिए हम जिन शब्दों या की.वर्ड्स को टाइप करते हैंए हमें उनसे जुड़े वेब पेजों की एक सूची स्क्रीन पर दिखाई देती है। इसमें हमारी खोज का बिल्कुल सटीक परिणाम नहीं होता अलबत्ता वेब पेज के रूप में वे ठिकाने होते हैं जहां हमें समाधान मिल सकता है, लेकिन खोज करते हुए अक्सर ज्यादातर लोग सर्च नतीजों के दूसरे-तीसरे पेज से आगे नहीं बढ़ते। यानी गूगल ने जो वेब पेज लिंक पहले-दूसरे या तीसरे पृष्ठ पर दिखा दिए वहीं तक हम सीमित रह जाते हैं। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि हमारे सर्च की वर्ड उचित न हों। इसके अलावा गूगल की वेब पेजों को श्रेणीबद्ध करने का अपना फॉर्मूला है। जिसमें वेब पेज का शीर्षक, टैग, बैक लिंक्स और साइट की लोकप्रियता समेत कई बातें अहम भूमिका निभाती हैं। बावजूद इसके गूगल सर्च इंजन का तरीका शक के घेरे में है, क्योंकि गूगल पर आरोप लगाने वाले अपने तरीके सबूत लेकर हाजिर रहे हैं। दुनिया भर की कई कंपनियों और संगठनों को गूगल के सर्च प्रणाली पर शक है। यूरोपीय यूनियन में भी गूगल की सर्च रैंकिंग के खिलाफ जांच चल रही है।
सीनेट ने भी गूगल से सवाल किए हैं। गूगल सर्च इंजन के नतीजे लोगों के फैसले लेने में इतने अधिक अहम हो गए हैं कि उन कंपनियों की चिंता स्वाभाविक है जो कभी रैंकिंग में जगह नहीं बना पातीं। निश्चित तौर पर गूगल सर्च के नतीजे एक झटके में छोटी कंपनी को बड़ी बना सकते हैं और बड़ी को करारा झटका दे सकते हैं। यानी नतीजों का खेल बहुत खतरनाक है। गूगल के कुछ दूसरे फैसले लगातार उसे सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं। हाल में कनाडा फार्मेसियों के विज्ञापनों को संयुक्त राज्य अमेरिका में उपभोक्ताओं को दिखाए जाने के मामले में भी गूगलइंक पर 500 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया। नि:संदेह इंटरनेट पर गूगल का वर्चस्व स्थापित हो रहा है। सर्च इंजन गूगल और ई-मेल सेवा जीमेल से लेकर वीडियो शेयरिंग साइट यूट्यूब और सोशल नेटवर्किग साइट गूगल प्लस जैसी तमाम प्रमुख साइटों पर गूगल का कब्जा है। मोबाइल ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर एंड्रॉयड गूगल का है।
इंटरनेट पर अलग अलग क्षेत्रों की कई कंपनियों को हाल में गूगल ने खरीदा है। इंटरनेट और टीवी की सुविधा देने वाला गूगल टीवी बाजार में लॉन्च हो रहा है। गूगल अब फाइबर ऑप्टिक ब्रॉडबैंड नेटवर्क के जरिए ग्राहकों को सुपरफास्ट इंटरनेट सुविधा देने की योजना बना चुकी है। कंपनी के मुताबिक उनकी नेट सुविधा मौजूदा सुविधा से 100 गुना तेज चलेगी। गूगल के पास इतना डाटा है कि उसका दुरुपयोग लगभग तबाही मचा सकता है, लेकिन शानदार विकल्प का अभाव गूगल का एकाधिकार बनाए रखेगा।
पांडेय हैं
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