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लगभग पांच दशक की लंबी अवधि वाले सैन्य शासन को झेलने के बाद तेजी से लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर बढ़ रहे पड़ोसी देश म्यांमार से भारत की मित्रता को मजबूत करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह 27 से 29 मई की तीन दिवसीय यात्रा पर वहां गए। यह पिछले 25 वषरें में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री की म्यांमार यात्रा थी। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का प्रतिधिमंडल के साथ म्यांमार की यात्रा अपनी मित्रता को बढ़ाने की कोशिश है जो एक सराहनीय पहल व अनुकरणीय कार्य है। वहीं दूसरी तरफ म्यांमार के वर्तमान राष्ट्रपति थेन सेन की भी प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने अपने स्वाभाविक व पुराने मित्र देश की ओर मित्रता के कदम बढ़ाए हैं। संबंध प्रगाढ़ बनाने की प्रक्रिया में प्रधानमंत्री की इस तीन दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन दोनों देशों के मध्य विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौतों में ज्यादातर ऐसे हैं जिनमें भारत मददगार की भूमिका में है जबकि कुछ समझौते ऐसे हैं जिनका उद्देश्य भारत और म्यांमार के बीच संपर्क सेतुओं को मजबूत बनाना है। इन समझौतों में सबसे प्रमुख है भारत द्वारा म्यांमार को 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर अर्थात 27.59 अरब रुपये की ऋण सहायता मंजूर करने की है। इसका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर व विकास के क्षेत्र में किया जाएगा। इसमें कृषि, रेल यातायात, सिंचाई व बिजली संबंधी परियोजनाएं शामिल हैं। दूसरा समझौता सीमा क्षेत्र के विकास का है। इसमें भारत प्रति वर्ष 50 लाख अमेरिकी डॉलर अर्थात 27.93 करोड़ रुपये की मदद करेगा।
तीसरा समझौता भारत-म्यांमार-थाईलैंड प्रस्तावित हाईवे का काम सन 2016 तक पूरा करवाने में सहयोग प्रदान करने का है। इस परिवहन व्यवस्था के दूरगामी परिणाम काफी फायदेमंद होंगे। इसके अतिरिक्त दोनों देशों के मध्य रेल, सड़क तथा हवाई संपर्क बढ़ाने का चौथा समझौता हुआ। पांचवे समझौते के रूप में भारत म्यांमार में सूचना प्रोद्यौगिकी संस्थान की स्थापना में मदद करेगा। इसी तरह छठे समझौते के तहत भारत वहां के कृषि अनुसंधान व शिक्षा का आधुनिक केंद्र स्थापित करने में सहायता देगा। सातवां समझौता इस बात का है कि म्यांमार-भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में बाजारों की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही आठवें समझौते के तहत भारत ने म्यांमार के नैपीतो में राइस बायो पार्क बनाए जाने में मदद का आश्वासन दिया है। नौवां समझौता इस बात का है कि भारत व म्यांमार के बीच सन 2012 से 2015 के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान जारी रहेगा। इन सबके अतिरिक्त अध्ययन क्षेत्र में भी कई समझौतै हुए हैं। इनमें प्रमुख हैं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संबंधी संस्थानों के बीच सहयोग पर समझौता। सैन्य अध्ययन क्षेत्र पर भी समझौता किया गया।
अध्ययन संबंधी तीसरे समझौते के रूप में भारत के कोलकाता विश्वविद्यालय और म्यांमार के डैगोन विश्वविद्यालय के बीच शैक्षणिक सहयोग की बातें निश्चित हैं। 13वां समझौता संयुक्त व्यापार व निवेश फोरम की स्थापना का है। एक मुख्य समझौता दोनों देशों की सीमा के पास सीमा व्यापार केंद्र स्थापित किए जाने का है। इसके अलावा भारत ने म्यांमार के कर्मचारियों के लिए अपने देश में प्रशिक्षण को दोगुना करने की बात कही है। भारत न केवल म्यांमार को कर्ज दे रहा है बल्कि अलग-अलग स्तर पर संबंधों के विस्तार के लिए भी प्रयासरत है। म्यांमार की सत्ता अब अगर भारत की तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाती है तो निश्चित रूप से वहां के लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। म्यांमार के साथ बढ़ते मित्रवत संबंधों का फायदा भारत के नागालैंड व मणिपुर सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को होगा। इन प्रदेशों में सक्रिय हथियारबंद संगठनों के म्यांमार में छिपने के ठिकाने ध्वस्त होंगे। भविष्य में संबंधों की प्रगाढ़ता को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री ने वहां की लोकतंत्र समर्थक नेता अंग सान सू की को भारत आने का निमंत्रण देकर सकारात्मक पहल की है।
लेखक डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं
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