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यह आईना देखें राजनेता

जागरण मेहमान कोना
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Gouri shankarयूरोप आर्थिक संकट से गुजर रहा है और जनता वर्तमान नेताओं के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है। पिछले दिनों फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोजी को राष्ट्रपति के चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। सरकोजी ने बिना किसी शिकायत के हार स्वीकार कर ली और यह ऐलान कर दिया कि वह अब अपने पुराने पेशे वकालत में चले जाएंगे। कहने का अर्थ है कि वर्षो तक राष्ट्रपति पद का सुख भोगने के बाद और संसार की हस्तियों में गिने जाने के बाद सरकोजी अब एक साधारण व्यक्ति की तरह जीवन के शेष दिन बिताएंगे। विदेशों में पद त्यागने के बाद या चुनाव में हार जाने के बाद राजनेता खुशी-खुशी साधारण जीवन बिताने लगते हैं और नए सिरे से किसी काम में जुट जाते हैं। ब्रिटेन के दो पूर्व प्रधानमंत्री चुनाव हार जाने के बाद कॉलेजों में शिक्षक हो गए। उन्हें इस बात का जरा भी मलाल नहीं रहा कि वे कभी देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थे। हाल के वषरें में जब बिल क्लिंटन का कार्यकाल समाप्त हो गया तो उन्होंने विभिन्न देशों, खासकर अविकसित और अ‌र्द्धविकसित देशों की गरीब जनता को अपने फाउंडेशन से एडस की दवा उपलब्ध कराई। इसके अतिरिक्त इन देशों में उन्होंने जन कल्याण के लिए अनेक योजनाएं शुरू कीं। इन सभी देशों में वे छोटे शहरों और गांवों में एक साधारण नागरिक की तरह घूमते हैं। एक साधारण होटल में ठहरते हैं।


सिक्योरिटी का कोई तामझाम नहीं रहता है। विदेशों में राजनीति कितनी स्वच्छ और पारदर्शी है, इसका जीवंत उदाहरण हिलेरी क्लिंटन हैं। वे कभी अमेरिका की प्रथम महिला थीं। बाद में अपनी पार्टी में उन्होंने बराक ओबामा का राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला किया था। जब उम्मीदवारी के मुकाबले में वह हार गईं तो उन्होंने बड़ी शालीनता से अपना नाम वापस ले लिया और जब बराक ओबामा राष्ट्रपति बने और उन्होंने हिलेरी क्लिंटन को अपना विदेश मंत्री बनाना चाहा तब हिलेरी ने यह प्रस्ताव स्वीकार करने में एक मिनट का भी संकोच नहीं किया। कुछ महीनों में बराक ओबामा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। यह कहना कठिन है कि वह दोबारा राष्ट्रपति चुने जाएंगे अथवा नहीं, क्योंकि प्रथम बार राष्ट्रपति चुने जाने के समय उन्होंने जनता से दो वायदे किए थे। एक तो यह कि वह देश की गिरती हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला देंगे और दूसरे अफगान युद्ध में अमेरिका को विजय दिलाकर जवानों को वापस बुला लेंगे। उन्हें दोनों मामलों में असफलता मिली है। अमेरिका की आर्थिक हालत बद से बदतर होती जा रही है। मंदी का दौर जारी है।


महंगाई सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है। युवकों में बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका की खराब आर्थिक हालत का प्रभाव यूरोप और एशियाई देशों पर भी पड़ा है। हिलेरी क्लिंटन ने सच्चे हृदय से और पूरी लगन से बराक ओबामा का साथ दिया और विदेशी मामलों में जहां-जहां अमेरिका परेशानी में घिर गया वहां जाकर उन्होंने उस गुत्थी को सुलझाने का भरपूर प्रयास किया। अपने कार्यकाल के दौरान वह कई बार अफगानिस्तान गईं और राष्ट्रपति करजई को यह समझाया कि उन्हें वास्तविकता का सामना करना चाहिए। अमेरिकी फौज निश्चित रूप से सन 2014 में अफगानिस्तान से निकल जाएगी। इस हालत में यदि करजई सरकार ने अपनी सुरक्षा का प्रबंध स्वयं नहीं किया, अपनी फौज और पुलिस को समुचित ट्रेनिंग नहीं दी तो अफगानिस्तान में अराजकता फैल जाएगी। हिलेरी क्लिंटन ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि यदि बराक ओबामा दूसरी बार राष्ट्रपति चुन लिए जाते हैं, तब भी वह उनकी कैबिनेट में मंत्री नहीं बनेंगी। वह रिटायरमेंट ले लेंगी और गरीब देशों की जनता के हित में काम करना शुरू कर देंगी। भारत में यदि ऐसी बात होती तो कोई महिला जो राष्ट्रपति की पत्नी रह चुकी हो और सत्ता के शिखर पर हो, एक अन्य राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल की सदस्य कभी नहीं बनती।


कार्टून पर गलतफहमियां


अमेरिका में ऐसे अनेक उदाहरण हैं कि रिटायर होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जन कल्याणकारी योजनाओं में लग जाते हैं और एक साधारण व्यक्ति की तरह जीवन बिताते हैं। वे भूल जाते हैं कि वे कभी राष्ट्रपति थे। भारत की स्थिति ठीक इसके विपरीत है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति किसी कॉलेज में प्राध्यापक है और एमएलए का चुनाव जीतकर मंत्री बन जाता है तो मंत्री पद से हटने के बाद वह किसी भी हालत में स्कूल का टीचर या कॉलेज में प्राध्यापक बनना स्वीकार नहीं करेगा। वह तो तिकड़म करके अपने मंत्रित्व काल में करोड़ों की संपत्ति और काला धन जमा कर लेगा जिसके बल पर वह अगला चुनाव जीतने की कोशिश करेगा। दिन-रात विभिन्न राज्यों और केंद्र में राजनेताओं के घोटालों का जो पर्दाफाश हो रहा है, उसके पीछे यही मानसिकता है।


अधिकतर व्यक्ति यही सोचते हैं कि पता नहीं कल क्या हो? भारत में हिंदी राज्यों में एक और अजीब सी प्रवृत्ति देखी गई है। यदि किसी कॉलेज का प्रोफेसर एमएलए या एमपी बन जाता है और मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाता है, तो उसे राज्य सरकार या केंद्र सरकार के मंत्री की तनख्वाह तो मिलती ही है। जब तक वह मंत्री रहता है अपने कॉलेज से भी तनख्वाह उठाता रहता है। दुर्भाग्यवश किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। आज देश में जितना भ्रष्टाचार फैला हुआ है इसका मूल कारण यह है कि प्राय: सभी पार्टियों के राजनेताओं का तेजी से नैतिक पतन हो रहा है। राजनेता साधारण व्यक्ति की तरह जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। आवश्यकता है कि उन्हें आईना दिखाया जाए और कहा जाए कि जब अमेरिका और यूरोप के लोग सत्ता से हटने के बाद साधारण नागरिक के रूप में जीवन बिता सकते हैं तब वे ऐसा क्यों नहीं कर सकते?


गौरीशंकर राजहंस पूर्व सांसद एवं पूर्व राजदूत हैं


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