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ईरान का परमाणु बम

जागरण मेहमान कोना
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पिछले दिनों अमेरिका और इजराइल में तब खलबली मच गई जब इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आइएइए) ने रहस्योद्घाटन किया कि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब है। एक पहाड़ी के नीचे गोपनीय स्थान पर ईरान का परमाणु हथियार कार्यक्रम चल रहा है और एक वर्ष में परमाणु बम तैयार हो जाएगा। इसके बाद हर छह महीने में वह परमाणु बम या दूसरे परमाणु हथियार बनाता जाएगा। उसके पास प्रक्षेपास्त्र भी हैं जिनसे वह आसपास के देशों पर परमाणु हथियारों से हमला कर सकता है। खबर आते ही अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि हम किसी भी हालत में ईरान को परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। उन्होंने यह साफ नहीं किया कि ईरान के द्वारा खुद को परमाणु हथियार से लैस करने की स्थिति में वह उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेंगे या नहीं। परंतु इतना जरूर कहा कि अमेरिका कोई विकल्प नहीं छोड़ेगा। अमेरिका मानता है कि परमाणु हथियार से लैस ईरान न केवल उस क्षेत्र के लिए खतरनाक सिद्ध होगा, बल्कि अमेरिका के लिए भी खतरा बन जाएगा। ओबामा ने रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेव और चीन के राष्ट्रपति हु जिनताओ के साथ बैठक करके ईरान के खतरनाक मंसूबों के बारे में बताया। प्राप्त संकेतों के अनुसार रूस और चीन ने ओबामा को कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया कि वे ईरान पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगाने को तैयार हैं या नहीं। इसका एक कारण यह भी है कि रूस और चीन का ईरान के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार होता है और वे दोनों ईरान के बाजार को खोना नहीं चाहते।


इंटरनेशनल ऐटोमिक एनर्जी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ईरान ने 2003 में परमाणु हथियार बनाने का कार्यक्रम शुरू किया था। परंतु दिसंबर, 2007 में उसने इस कार्यक्रम को पूरी तरह बंद करने की घोषणा कर दी। लोगों को लगा कि ईरान अब परमाणु हथियार बनाने की दिशा में अग्रसर नहीं होगा। परंतु हाल की घटनाओं से यह साबित हो गया है कि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने का कार्यक्रम बंद नहीं किया था। वह इस कार्यक्रम को एक गोपनीय स्थान में पहाडि़यों के नीचे ले गया था, जिसकी भनक गुप्तचर एजेंसियों को भी नहीं लगी। ध्यान रहे कि मध्य-पूर्व में सऊदी अरब, तुर्की और कई अन्य देश अमेरिका के मित्र और सहयोगी हैं। यदि ईरान ने परमाणु बम बना लिया तो वह न केवल इजराइल पर हमला करके उसे दुनिया के मानचित्र से मिटा सकेगा बल्कि मध्य-पूर्व में अमेरिका के मित्र राष्ट्रों के लिए भी खतरा बन जाएगा। इसीलिए अमेरिका और इजराइल चाहते हैं कि देर होने से पहले ही ईरान का परमाणु कार्यक्रम ध्वस्त कर दिया जाए। अमेरिका को डर है कि इसके पहले कि वह ईरान के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाए, इजराइल जल्दबाजी में ईरान के परमाणु संयंत्र को नष्ट करने के लिए उस पर चढ़ाई कर सकता है और अमेरिका को बाध्य कर सकता है कि वह इजराइल का साथ देकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट कर दे। परंतु यह उतना आसान नहीं है। यदि ईरान पर चढ़ाई की गई तो वह शत्रु देशों के लड़ाकू हवाई जहाजों को मार गिरा सकता है।


ईरान अपना तेल निर्यात पूरी तरह बंद कर सकता है। इसके अलावा यदि लड़ाई भड़की तो आर्थिक संकट से जूझ रहा अमेरिका लंबी अवधि तक इसे जारी नहीं रख सकता है। इराक और अफगानिस्तान की लड़ाई से वह बुरी तरह टूट चुका है। इजराइल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतानयाहू ईरान पर चढ़ाई करके उसके परमाणु कार्यक्रम को ध्वस्त करने के पक्ष में तो हैं परंतु सरकार के कुछ मंत्री इसके पक्ष में नहीं हैं। ऐसी हालत में यह कहना कठिन है कि ईरान के परमाणु बम के कार्यक्रम को इजराइल तुरंत चढ़ाई करके समाप्त कर देगा। परंतु इजराइल ने खुलेआम घोषणा की है कि यदि ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम नहीं रोका तो उसके सामने उस पर चढ़ाई करने के अलावा और कोई विकल्प बचा ही नहीं रहेगा। स्पष्ट है कि यदि ईरान पर सैन्य कार्रवाई की गई तो रूस और चीन अमेरिका तथा इजराइल का साथ नहीं देंगे।


लेखक डॉ. गौरीशंकर राजहंस पूर्व सांसद एवं पूर्व राजदूत हैं


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