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कश्‍मीर में बदलती फिजा

जागरण मेहमान कोना
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इस साल गर्मियों में कश्मीर में एक नया विश्वास पैदा हुआ है। कानून-व्यवस्था संतोषजनक है और घाटी में बड़ी संख्या में सैलानी आ रहे हैं। नियंत्रण रेखा के पार से घुसपैठ बीते 20 सालों में सबसे कम है और भारत सरकार ने पिछले सप्ताह विदेश सचिव स्तर पर पाकिस्तान के साथ विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा जारी रखी। विदेश सचिव निरुपमा राव के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठने पर कोई नाक-भौं नहीं सिकोड़ी। बताया जाता है कि प्रतिनिधिमंडलों ने चार घंटे तक कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की। उम्मीद की जाती है कि विश्वास बहाली के उपायों के तहत वीजा व्यवस्था उदार बनेगी, नियंत्रण रेखा पर व्यापार और लोगों की आवाजाही बढ़ेगी तथा बैंकिंग संबंधों में बेहतरी आएगी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के मीरवाइज उमर फारुख ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ चर्चा करने का सुझाव दिया था।


केवल कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी का मानना था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करना समय बर्बाद करना है। उमर सरकार ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं जिनके चलते केंद्र और राज्य सरकारों को पर्यटन सीजन से उम्मीद बंधी है। राज्य में पंचायत चुनावों में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। राज्य सरकार ने जमीनी स्तर पर अधिकतम अधिकार देने के प्रति अपनी वचनबद्धता भी दोहराई है। नवनिर्वाचित निकायों को वित्तीय शक्तियां देने में मदद के लिए राज्य वित्त आयोग बनाने की तैयारियां चल रही हैं। कश्मीर की वार्षिक योजना के लिए 6600 करोड़ रुपये के आवंटन से राज्य के विकास में तेजी आने की उम्मीद है। इस साल का आवंटन 600 करोड़ रुपये अधिक है। इसके अलावा प्रधानमंत्री पुनर्निर्माण कार्यक्रम के तहत भी राज्य को 1200 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी। योजना आयोग ने भौतिक तथा सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास में सार्वजनिक-निजी भागीदारी बढ़ाने के लिए कुछ और उपाय सुझाए हैं। खास बात यह है कि सरकार में रोटेशन व्यवस्था के विवाद को विराम लगा दिया गया है।


सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के बाद गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि केंद्र मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से खुश है और राज्य में बारी-बारी से मुख्यमंत्री नहीं बदलेगा। चिदंबरम ने यह भी देखा कि घाटी में सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है और श्रीनगर शहर जैसे इलाकों में सेना नहीं दिखती। सेना या तो बैरकों में है या फिर सीमा पर। उम्मीद है कि इस शांतिपूर्ण माहौल से पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होगा और नतीजतन रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इस साल अ‌र्द्धसैनिक बलों में तीन हजार से अधिक नौजवानों को भर्ती किया जाएगा। अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है। सरकार ने अ‌र्द्धसैनिक बलों की अतिरिक्त बटालियनें तैनात की हैं जो बाद में जल्दी ही बैरकों में वापस लौट आएंगी। उम्मीद है कि राज्य के जिन इलाकों में सुरक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है वहां से सशस्त्र सेना विशेषाधिकार अधिनियम हटाने पर गौर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट दे देगी। दिलीप पडगावकर, राधा कुमार और एमएम अंसारी का मध्यस्थ समूह भी जल्दी ही केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगा।


पिछली दो गर्मियों में हिंसा का मुख्य कारण वे तत्व थे जो 2008 में विधानसभा चुनावों में राज्य के लोगों की 61़ 47 प्रतिशत की भागीदारी को बराबर करने के लिए राज्य के खिलाफ काम कर रहे थे। विकास के रास्ते में रोड़ा बनने वाले तत्वों से निपटने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों के कारण घाटी में हालात सुधरे हैं। अगले महीने भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की मुलाकात के लिए मंच तैयार है और इन वार्ताओं के दौरान भारत कश्मीर शब्द पर बिदकेगा नहीं।


गजनफर बट्ट एकस्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।


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