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फेसबुक पर ममता

जागरण मेहमान कोना
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फेसबुक पर अवतरित हो गई हैं। दिलचस्प है कि राष्ट्रपति पद के लिए उनके दिए नाम यानी अब्दुल कलाम के नाम को यूपीए द्वारा ठुकराए जाने के बाद ममता ने फेसबुक की राह पकड़ी और अपनी पहली ही पोस्ट में लोगों को कलाम की दावेदारी की अहमियत बताई। ममता ने कहा कि कलाम लोगों की पहली पसंद हैं। वह नेक, ज्ञानवान और संकीर्ण राजनीति से परे हैं। ममता ने पोस्ट की आखिरी पंक्तियों में लिखा है लोकतंत्र में लोगों की इच्छा सर्वोपरि है। मैं देशवासियों से प्रार्थना करती हूं कि वह अपने जनसेवकों को कलाम के समर्थन में याचिका दें ताकि वे कलाम के पक्ष में वोट करें। ममता के इस आधिकारिक पेज को अभी तक करीब 250 लोगों ने ही पसंद किया है, लेकिन ममता का फेसबुक पर आना एक खबर है तो सिर्फ इसलिए नहीं कि वह मुख्यमंत्री हैं या उन्होंने यूपीए में अकेले पड़ने के बीच खुद को वर्चुअल दुनिया में सक्रिय किया है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह वही ममता बनर्जी हैं जिनके राज में जादवपुर युनिवर्सिटी के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा और उनके 72 वर्षीय पड़ोसी सुब्रत सेनगुप्ता को गिरफ्तार तक किया गया। उन पर आरोप था कि उन्होंने ममता के कार्टून बनाए और उसे सोशल नेटवर्किग साइट के जरिए सार्वजनिक किया। सीआइडी ने ममता ऐंड टीम के कार्टूनों को हटाने को लेकर फेसबुक को नोटिस भी भेजा था।


ममता ने बाकायदा आरोप लगाया था कि फेसबुक, ट्विटर और एसएमएस के जरिए उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। ममता ने उस वक्त विपक्षी दलों को चेतावनी देते हुए कहा था अभी मुझे फेसबुक पर दिखाया जा रहा है अब मैं तुम्हें फेसबुक दिखाऊंगी। इस चेतावनी का शाब्दिक अर्थ कुछ भी निकले लेकिन दीदी ने वर्चुअल दुनिया में कदम रख दिया है। मजे की बात यह है कि पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रेन ने ममता बनर्जी ऑफिशियल नाम के उनके खाते का अपने ट्विटर खाते पर जिक्र किया तब लोगों को इस बारे में मालूम चला। वरना ममता बनर्जी के नाम से फेसबुक पर कई खाते और फैन पेज सक्रिय हैं। ममता बनर्जी ने फेसबुक के जरिए साइबर दुनिया में सक्रियता बढ़ाई है तो साफ है कि उन्हें इस बात का आभास तो हो ही गया है कि सोशल मीडिया के मंचों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कार्टून विवाद के वक्त लोगों का भड़का गुस्सा ममता के खिलाफ जबरदस्त तरीके से दिखाई दिया। उस वक्त प्रोफेसर के साथ मारपीट की वजह की खबर का खुलासा होते ही इंटरनेट पर हजारों लोगों ने ममता से जुड़े कार्टून शेयर कर डाले थे। कई लोगों ने खोजकर वही कथित आपत्तिजनक कार्टून इस टैगलाइन के साथ प्रसारित किया कि वे गिरफ्तार होना पसंद करेंगे बजाय चुप रहने के।


माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अरेस्ट मी नाउ भारत का टॉप ट्रेंड बन गया। हैशटैग अरेस्ट मी नाउ के साथ लोगों ने ममता की तानाशाही और देश के आइटी कानूनों को लेकर मुख्यमंत्री पर चुटकुलों की बौछार कर दी थी। वर्चुअल दुनिया में एक लिहाज से ममता बनर्जी स्ट्रीजएंड अफेक्ट का शिकार हो गई थीं। बहुत मुमकिन है कि ममता ने पिछली गलती से सबक सीखा हो। तमाम साइटों के सर्वे में यह बात साफ हो चुकी है कि आम लोगों की पहली पसंद कलाम ही हैं। बावजूद इसके ममता के पक्ष में सोशल मीडिया पर लोगों का समर्थन नहीं दिखता। ममता शायद इस बात को समझ रही हैं। उन्होंने ट्विटर के बजाय फेसबुक को चुनने की रणनीति अपनाई तो इसकी मुख्य वजह संभवत: फेसबुक उपयोक्ताओं की संख्या है। भारत में साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स हैं। देश के सात बड़े शहरों में कोलकाता का नंबर दूसरा है। फेसबुक इंडिया के हाल में जारी आंकड़ों के मुताबिक कोलकाता में 5,85,080 उपयोक्ता हैं। दीदी अगर दादागिरी छोड़कर वर्चुअल दुनिया में विपक्षियों से लड़ने की सोच रही हैं तो यह सोच गलत नहीं है, लेकिन उनके सामने पहली चुनौती फेसबुक पर नियमित रूप से सक्रिय रहने की है।


इस आलेख लेखक पीयूष पांडे हैं


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