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बर्थडे पर धमाकों का सच

जागरण मेहमान कोना
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peeyushमुंबई में 13 जुलाई को लगातार तीन धमाकों के बाद टेलीविजन स्क्रीन और कई अखबारों की वेबसाइट पर एक खबर तेजी से उभरी। वह यह कि आतंकवादियों ने 2008 में मुंबई में हुए हमले के मुख्य आरोपी मोहम्मद अजमल कसाब के जन्मदिन पर हमला किया है, लेकिन यह खबर आई कहां से? दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन संदर्भकोश विकीपीडिया पर किसी ने कसाब की दर्ज जन्मतिथि में बदलाव करके उसे 13 सितंबर से 13 जुलाई कर दी और अभी तक विकीपीडिया पर कसाब की दोनों जन्मतारीखें दर्ज हैं। सवाल कसाब के बर्थडे का नहीं, बल्कि विकीपीडिया पर उपलब्ध गलत सूचना और इनके इस्तेमाल का है। अंग्रेजी विकीपीडिया पर आज 37 लाख से ज्यादा लेख हैं और लगभग हर विषय पर यहां पेज है। स्वैच्छिक संपादकों की बड़ी फौज लगातार अंग्रेजी विकीपीडिया को अपडेट भी करती है जिससे इनकी अहमियत और बढ़ जाती है, लेकिन मुंबई हमले के दिन विकीपीडिया पर उपलब्ध अजमल कसाब के पेज पर अजीबोगरीब खेल खेला गया। सिर्फ इसी दिन कसाब की जन्मतिथि में कम से कम सात बार बदलाव किया गया।


यह पहले 13 सितंबर से 13 जुलाई की गई। फिर 13 सितंबर और 13 जुलाई। यानी यह क्रम लगातार चला, जबकि 13 जुलाई को इस पेज पर 15 से ज्यादा बार सूचनाएं अपडेट की गईं। दिलचस्प है कि कसाब की जन्मतिथि पर भारी असमंजस रहने के बाद अब लगभग साफ हो गया है कि उसका सही जन्मदिन 13 जुलाई है। हफीन्टन पोस्ट ने इस बात को साबित करने के लिए कसाब के पुलिस के समक्ष दिए बयान का पीडीएफ पेज भी साइट पर जारी किया। इसमें उसकी जन्मतारीख 13 जुलाई, 1987 है तो विकीपीडिया पर दर्ज गलत जानकारी को मुंबई विस्फोट होते ही सही किसने किया? क्या इसे आतंकवादियों ने अंजाम दिया जो इस संदेश को लोगों तक पहुंचाना चाहते थे। यह संभव है, लेकिनए कई टेलीविजन चैनलों, अखबारों की वेबसाइट और सोशल मीडिया उपयोक्ताओं ने जिस तेजी से कसाब की जन्मतिथि को लेकर खबरें परोसी वह चिंता का विषय है, क्योंकि कसाब की जन्मतिथि का विस्फोट से जुड़ने का प्रकरण विकीपीडिया पर तारीख बदलने से हुआ और इसी पेज को कई जगह फॉरवर्ड भी किया गया।विकीपीडिया के दुनिया भर में करीब 40 करोड़ उपयोक्ता हैं, लेकिन इस पर सूचनाएं डालने का काम वेतन पर नियुक्त कोई स्टॉफ नहीं करता, बल्कि यह ऑनलाइन संदर्भकोश स्वैच्छिक संपादकों की मदद से चलता है।


इसकी विश्वसनीयता 100 फीसदी कभी नहीं रही। हां, यह तमाम विषयों पर जानकारी का प्रथम स्त्रोत अवश्य है। खासकर सर्च इंजन से कहीं बेहतर, क्योंकि विकीपीडिया पर वांछित जानकारी तक सीधे पहुंच पाते हैं। कसाब की जन्मतिथि भी कई दिनों से गलत दर्ज थी। अब यह जानकारी किसने और क्यों बदली इसका खुलासा तो बारीक जांच से पता चल सकता है, लेकिन विकीपीडिया पर दर्ज सूचनाओं को परखने का सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है। सोशल मीडिया से हाल के दौर में कई अफवाहें फैली हैं। इसमें नेल्सन मंडेला के निधन से लेकर बराक ओबामा की हत्या की अफवाह तक शामिल हैं, लेकिन बम विस्फोट जैसे संवेदनशील मसले के बीच इस तरह किसी खबर का सिर उठाना गंभीर प्रश्न खड़े कर रहा है।


स्वैच्छिक संपादकों द्वारा संचालित होने के बावजूद विकीपीडिया ने अपनी विश्वसनीयता बनाई है, लेकिन क्या इसके सहारे ही साजिश नहीं रची जा सकती? मुंबई हमले के दौरान विकीपीडिया के जरिए ही यदि कोई बड़ी अफवाह फैला दी जाती तो क्या होता? इस बार कसाब की जन्मतिथि 13 जुलाई ही निकली है लिहाजा मुख्यधारा का मीडिया जिम्मेदारी से बच निकला है। परंतु इस प्रकरण ने जता दिया है कि विकीपीडिया या सोशल नेटवर्किंग से पांव पसारती सूचनाओं की पुष्टि जरूरी है। इन सूचनाओं को अगर मुख्यधारा के मीडिया में स्पेस मिल रहा हो तो क्रॉस चैकिंग निहायत आवश्यक है। पत्रकारों के लिए विकीपीडिया के संपादन को लेकर समझ विकसित करना भी जरूरी है। सोशल मीडिया व इंटरनेट से बहते कंटेंट को तेजी से पुष्ट करना भी एक कला है जिसे मीडियाकर्मियों को अब सीखना होगा।


पीयूष पांडे हैं


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