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खेलने का आनंद

जागरण मेहमान कोना
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रस्म के तौर पर आज हमने एक बार फिर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया। एक खिलाड़ी होने के नाते मैं स्वयं को इससे गहराई के साथ जुड़ा हुआ अनुभव करता हूं। खेलों ने संपूर्ण देश के युवाओं को एकजुट करने, साथ-साथ रहने, मिल-बांट कर खाने-पीने और एक ही समय पर खेल विशिष्टताओं में उच्चतर से उच्चतम स्तर प्राप्त करने के लिए परस्पर प्रतियोगिता में बने रहने का अवसर प्रदान किया है। किसी भी खेल का महत्व उसे खेलने के आनंद में है। पिछले ओलिंपिक खेलों में हमारा प्रदर्शन कुछ अच्छा नहीं रहा। यह हमारे खिलाडि़यों के लिए उचित समय है कि वे जमकर तैयारी करें और 2012 के ओलिंपिक खेलों में बेहतर प्रदर्शन करें। अपने राष्ट्र को विश्व स्तर पर गौरव का अनुभव करवाने के लिए हमें अभी बहुत कुछ पाना है।


भारत अनेक क्षेत्रों में बहुत अच्छा कार्य कर रहा है। अब हमें अपने आपको विश्व के खेल-मैदानों में प्रमाणित करने का समय आ गया है। भारत में विशाल प्रतिभा है। इस प्रतिभा को सजाने, विकास करने, उन्नत सुविधाएं प्रदान करने और प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन की चुनौतियां हमारे सामने हैं। इसके लिए चहुंमुखी प्रयास करने की आवश्यकता है, जिसमें केंद्र व राज्य सरकारें, खेल संगठन, विश्वविद्यालय एवं स्कूलों की सहभागिता होनी चाहिए। बच्चों में शुरू से ही खेलने की आदत डालनी चाहिए। इसके प्रशिक्षण के लिए स्कूल प्रथम कार्यक्षेत्र हैं। बहुत-से राज्यों में बच्चे कुपोषण से पीडि़त हैं इसलिए हमें अपने बच्चों का उचित पोषण, पर्याप्त देखरेख एवं उचित चिकित्सकीय देखभाल की ओर ध्यान देना चाहिए। फिर ये बच्चे स्कूल जाएंगे, खेलों में हिस्सा लेंगे और विजेंदर सिंह, अखिल कुमार, दिनेश कुमार, गीता देवी, गगन नारंग, विजय कुमार, दीपिका कुमारी, सुशील कुमार, मनोज कुमार, अभिनव बिंद्रा जैसे खिलाड़ी बनेंगे। हमें खेल संस्कृति को प्रोत्साहन देना चाहिए, जहां बच्चों को उनके माता-पिता, शिक्षक एवं समाज के द्वारा खेलने के लिए बढ़ावा दिया जाए।


स्कूलों में खेल को एक वैकल्पिक विषय के रूप में नहीं बल्कि एक नियमित विषय के रूप में रखा जाना चाहिए और इसी प्रकार कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में खेल को एक विषय के रूप में जोड़ा जाना चाहिए। खेलों को मुख्य विषय के रूप में रखने पर छात्र भविष्य में अपनी प्रतिभाओं का बेहतर ढंग से विकास कर सकते हैं। राष्ट्रमंडल 2010 में शानदार प्रदर्शन ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है। हमें अत्यंत गौरव का अनुभव हुआ जब भारत पदक तालिका पर दूसरे स्थान पर रहा। देश में खेलों के विकास के लिए हमें गावों तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। हमारी सरकार खेल एवं युवा मामलों का विशेष ध्यान रख रही है। हम अपने देश को सभी खेलों के क्षेत्र में उच्चतम स्थिति तक ले जाने के लिए वचनबद्ध हैं। हमें ओलिंपिक में विशेषता प्राप्त करने के लिए भी हरसंभव प्रयास करने चाहिए।


29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के स्मरणार्थ मनाया जाता है इसलिए हमें हॉकी के बारे में बात करनी चाहिए जो कभी गौरवपूर्ण ऊंचाई पर था। हमारा वर्तमान प्रदर्शन कहीं भी इस सुनहरे अतीत से मेल नहीं खाता। हमें इस खेल को पुन:स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। भारतीय क्रिकेट अब एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड है, किंतु हमें फुटबॉल, टेबल टेनिस, तैराकी, मुक्केबाजी, कबड्डी, ऐथलेटिक्स, जिमनास्टिक्स, निशानेबाजी जैसे खेलों में भी अपनी स्थिति को विश्व स्तरीय बनाना है। मैं यह देख कर बहुत आनंदित हूं कि बैडमिंटन, टेनिस, निशानेबाजी, शतरंज, गोल्फ, कुश्ती, मुक्केबाजी और तीरंदाजी भारत में दिनोंदिन लोकप्रिय होते जा रहे हैं और इन खेलों में भारतीय अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। युवाओं का देश होने के नाते, भारत में खेल एवं क्रीडा के विश्व में महान संभावनाएं हैं। खेलों में युवाओं को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। केंद्र, राज्य एवं खेल संगठनों का सहयोग निश्चित रूप से इसमें सहयोगी रहेगा।


नवीन जिंदल लोकसभा के सदस्य हैं


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