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पाक का एटमी जुनून

जागरण मेहमान कोना
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हाल ही में अमेरिका के एक गैर सरकारी संगठन रिचिंग क्रिटिकल विल ऑफ द वूमंस इंटरनेशनल लीग फॉर पीस एंड फ्रीडम की तरफ से जारी एश्योरिंग डिस्टक्शन फॉरएवर न्यूक्लियर मार्डेनाइजेशन अराउंड द व‌र्ल्ड नामक शीर्षक वाली तकरीबन 150 पृष्ठों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों के जखीरे में तेजी से वृद्धि कर रहा है जबकि उसके पास पहले से ही भारत के मुकाबले अधिक परमाणु हथियार हैं। रिपोर्ट के अनुसार वह परमाणु हथियारों के विकास पर सालाना 2.5 अरब डॉलर अर्थात 128 अरब रुपये खर्च कर रहा है। रिपोर्ट में उल्लेख है कि पाकिस्तान प्लूटोनियम की क्षमता बढ़ा रहा है। इसका उपयोग परमाणु हथियार बनाने में किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान उच्च सवं‌िर्द्धत यूरेनियम आधारित हथियारों की ओर बढ़ रहा है। यह प्लूटोनियम उत्पादन क्षमता में तेज वृद्धि से संभव हो सका है। इसी के बल पर वह परमाणु हथियार अनुसंधान, विकास व आधारभूत ढांचा भी बढ़ा रहा है। पाकिस्तान अधुनातन श्रेणी की परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक तथा क्रूज मिसाइलों का परीक्षण करके उनकी तैनाती भी कर रहा है। इनसे वह अपने लड़ाकू विमानों को लैस कर रहा है जिससे परमाणु बम गिराए जा सकें। इसके अलावा वह तरल ईंधन से ठोस ईंधन वाली मध्यम दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइलों की ओर आगे बढ़ रहा है।


हथियार लॉबी को ध्वस्त करना होगा


रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के पास 90 से 110 के लगभग परमाणु हथियार हैं जबकि भारत के पास 80 से 100 परमाणु आयुध हैं। अनुमान है कि पाकिस्तान के पास 2750 किलोग्राम परमाणु हथियार बनाने वाला उच्च सवं‌िर्द्धत यूरेनियम है और हो सकता है कि वह प्रतिवर्श 150 किलोग्राम उच्च सवं‌िर्द्धत यूरेनियम विकसित कर रहा है। रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार पाकिस्तान ने 140 किलोग्राम प्लूटोनियम का उत्पादन किया है। पाकिस्तान की भारत से आगे बढ़ने की होड़ उसके परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है। पाकिस्तान की दीर्घकालिक चिंता अमेरिका की उस नीति को लेकर है, जिसके तहत वह चीन को आगे बढ़ने से रोकने के लिए भारत के साथ अधिक मजबूत सामरिक संबंध विकसित कर रहा है। इस तरह पाक व भारत के बीच परमाणु हथियारों का भविष्य अमेरिका व चीन के बीच उभरती प्रतिस्पर्धा पर निर्भर हो सकता है।


पाकिस्तान चाहता है कि भारत की तरह अमेरिका के साथ परमाणु करार हो। पाकिस्तान की संसद ने 12 अप्रैल को सरकार से कहा है कि वह अमेरिका के साथ वैसा ही परमाणु समझौता करने का प्रयास करे जैसा उसने भारत के साथ कर रखा है। इसी दिन वहां की नेशनल एसेंबली व सीनेट के संयुक्त सत्र में सर्वसम्मति से स्वीकार किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत अमेरिका परमाणु करार से क्षेत्र में सामरिक संतुलन बिगड़ गया है। इससे पहले मार्च माह के अंतिम सप्ताह में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के शीर्ष अधिकारी जेम्स मिलर ने भी कहा था कि यदि इस्लामाबाद अपने पड़ोसी देश के खिलाफ आतंकवादियों को समर्थन देना जारी रखता है तो दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध हो सकता है।


पाकिस्तान कम, मध्यम तथा लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली कई बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने गत पांच वषरें के दौरान दूसरी पीढ़ी की एक बैलिस्टिक मिसाइल विकसित की है। बीते 5 मार्च को उसने अपनी मिसाइल प्रणाली को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से भारत तक मार करने वाली हत्फ-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह भारी मात्रा में परमाणु आयुध के साथ 180 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है। यह पाकिस्तान के सामरिक बलों को संचालनात्मक स्तर की क्षमता प्रदान करती है जो सामरिक व रणनीतिक क्षमता के अतिरिक्त है। सामरिक व रणनीतिक क्षमता पाकिस्तान के पास पहले से है।


लेखक डॉ. लक्ष्मीशंकर यादव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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