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ठंडा नहीं हुआ है मोदी का मुद्दा

जागरण मेहमान कोना
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जम्मू कश्मीर में नरेंद्र मोदी कितनी अहमियत रखते हैं, यह कोई नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और सूबे के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से पूछे या फिर प्रमुख विपक्षी दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती से। मोदी के साथ बैठना और हाथ मिलाना तो दूर, उनके बारे में किसी तरह की अच्छी बात करना भी कश्मीर की सियासत में किसी को मटियामेट कर सकता है। शायद यही वजह है कि खुद को कश्मीर का पैरोकार और अलगाववादियों के बीच भारत का झंडा बुलंद रखने का दावा करने वाली पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने नरेंद्र मोदी की तारीफ में अपने किसी भी बयान से पल्ला झाड़ लिया है। दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस पूरे मामले को लपक लिया है। घाटी के किसी भी बड़े नेता का मोदी की तारीफ करना किस कदर सूबे की राजनीति में भूचाल ला देता है, इसका ताजा उदाहरण महबूबा का हालिया बयान है। सुषमा स्वराज ने नरेंद्र मोदी की तारीफ में महबूबा मुफ्ती के बयान का हवाला क्या दिया, महबूबा भी इसे खफा हो गई।


मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने महबूबा द्वारा नरेंद्र मोदी की तारीफ पर कहा कि उन्हें अपने बयान से पलटना नहीं चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय एकता परिषद (एनआइसी) की बैठक में जो कहा है, वह सिर्फ सुषमा स्वराज ने ही नहीं सुना, बल्कि इसके गवाह वहां मौजूद तमाम लोग बने। अपनी बात से पलटकर उन्होंने अपनी पुरानी आदत का ही परिचय दिया है। वह अपनी सहूलियत के मुताबिक किसी की तारीफ कर सकती हैं और सहूलियत के मुताबिक उसकी निंदा भी। दूसरी ओर महबूबा मुफ्ती को सुषमा स्वराज द्वारा नरेंद्र मोदी की तारीफ में उनका नाम लिया जाना उतना नहीं अखरा, जितना इस मुद्दे पर उमर अब्दुल्ला का ट्वीट करना खला। महबूबा ने इस संदर्भ में एक बातचीत के दौरान कहा कि मैंने आज तक नरेंद्र मोदी की तारीफ नहीं की है।


भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने जो भी कहा है, वह गलत कहा है। मैंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वह एनआइसी की बैठक का रिकॉर्ड निकलवाएं और मेरे भाषण को सार्वजनिक करें। सच सामने आ जाएगा। मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली की कोई तारीफ नहीं की है और न ही अपने किसी दोस्त की सिफारिश उनसे की है। हां, यह मैंने जरूर कहा था कि मोदी ने एक मुस्लिम की मदद की। जिस शख्स को गुजरात में मुस्लिमों के कत्ल के लिए जिम्मेदार माना जाता है, मैं उसकी तारीफ कैसे कर सकती हूं। हमारा भाजपा, संघ परिवार और उनसे जुड़े लोगों से कोई संबंध नहीं है। अलबत्ता, केंद्रीय मंत्री डॉ. फारूख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला उस समय भी नरेंद्र मोदी के समर्थक थे, जब पूरे देश में धर्म निरपेक्ष लोग उसके खिलाफ थे। कोई मुस्लिम नेता मोदी के पक्ष में नहीं था, लेकिन डॉ. अब्दुल्ला तब भी उनके साथ थे और आज भी हैं। उन्हें ही मोदी की आंखों में अल्लाह नजर आता है। उनके पुत्र जो हमारे सूबे के आज सीएम हैं, गुजरात दंगों के दौरान भाजपा की सरकार में मंत्री थे। उमर और महबूबा के बीच नरेंद्र मोदी की तारीफ को लेकर जारी सियासत पर जम्मू कश्मीर के बाहर के ही लोग हैरान हो सकते हैं। सूबे के सियासी हलकों में इस पर किसी को हैरानी नहीं है।


कश्मीर की सियासत पर नजर रखने वालों के मुताबिक, मोदी की तारीफ कश्मीर के कट्टरपंथियों को नहीं सुहाती और उनकी नाराजगी मोलकर कश्मीर में आराम से नहीं रहा जा सकता। इसलिए उन्हें खुश रखने के लिए नरेंद्र मोदी की तारीफ नहीं, निंदा ही की जा सकती है। कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार और कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ बशीर मंजर के अनुसार, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की खिलाफत देखा जाए तो पूरे देश में एक ट्रेंड-सा बन गई है। कश्मीर को आप इससे अलग नहीं कर सकते। इसके साथ ही कश्मीर की राजनैतिक और सामाजिक परिस्थितियों की भी आप उपेक्षा नहीं कर सकते। यहां भी वोट बैंक की राजनीति है। अगर कोई अच्छा काम करता है तो उसकी तारीफ बुरी बात नहीं है, लेकिन यहां कश्मीर की सियासत में अच्छा काम नहीं, लोगों की भावनाओं को आप किस तरह भड़का सकते हैं और इन्हें किस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, यह मायने रखता है। इसलिए यहां नरेंद्र मोदी की तारीफ भारी पड़ती है, जो हमारे नेताओं को सार्वजनिक तौर पर उसके साथ खड़ा होने से रोकती है।


लेखक नवीन नवाज जम्मू-कश्मीर में दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता हैं


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