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प्रधानमंत्री के पद की दावेदारी

जागरण मेहमान कोना
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Ravi Shankarभाजपा में पीएम पद के कई सक्षम उम्मीदवार: रविशंकर प्रसाद


2जी घोटाले पर सरकार में घमासान मचा हुआ है। इसकी आंच अब प्रधानमंत्री तक पहुंच रही है, क्या उनकी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए?

सरकार के मंत्री तो इसमें घिरे हुए हैं ही, कुछ जेल में हैं और कुछ बाहर, लेकिन कुछ सवालों के जवाब तो सिर्फ प्रधानमंत्री को ही देने होंगे। साल 2003 में कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि स्पेक्ट्रम की कीमत का निर्धारण दूरसंचार मंत्रालय व वित्त मंत्रालय मिलकर करेंगे। तो फिर प्रधानमंत्री ने इस मामले को अकेले दूरसंचार मंत्रालय के हवाले क्यों कर दिया? राजा ने अगर गुमराह किया तो प्रधानमंत्री ने मामले की पड़ताल अपने स्तर पर क्यों नहीं की? वित्तमंत्री रहते हुए चिदंबरम ने अपने अधिकारियों की सलाह क्यों नहीं मानी?


नोट के बदले वोट मामले में खुद को व्हिसिल ब्लोअर बताने वाले जेल जा रहे हैं, लेकिन जिस सरकार को लाभ मिला उसकी जांच क्यों नहीं हो रही?

देखिए, भ्रष्टाचार को बचाने का इससे बड़ा कोई और उदाहरण नहीं हो सकता। तीन साल तक दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ही वह सक्रिय हुई। लाभार्थी तो सरकार ही थी। अमर सिंह तो सरकार में नहीं थे। भाजपा सांसदों ने इतने बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया। सबसे बड़ा आश्चर्य तो यही है कि इन सबकी जांच हो रही है। लेकिन जिसे लाभ मिला, उसकी नहीं। इससे भी बड़ी बात यह है कि इसी सरकार ने व्हिसिल ब्लोअर कानून को मंजूरी दी है। यह विधेयक अभी स्थायी समिति के पास है और वही सरकार इसके खिलाफ काम कर रही है। इतना ही, नहीं पहले भी स्टिंग आपरेशन हुए थे। लेकिन जिन्होंने किए थे वे तो जेल में नहीं हैं। फिर इस बार क्यों?


भाजपा मध्यावधि चुनाव की संभावना देख रही है। इस बीच कांग्रेस में भी प्रधानमंत्री के बदलाव की बात चल रही है। क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं।

इसका जवाब तो पहले कांग्रेस को देना होगा कि अगर 2014 से पहले चुनाव होता है तो मनमोहन सिंह, प्रणब मुखर्जी, राहुल गांधी में कौन प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा? भाजपा में कई सक्षम उम्मीदवार हैं। समय आने पर संसदीय बोर्ड नाम तय करेगा।


आडवाणी की यात्रा भाजपा की यात्रा है, लेकिन उसे हरी झंडी नीतीश कुमार दिखा रहे हैं। इसे भाजपा के अंदरूनी झगड़े का असर कहा जाए या भविष्य के लिए विपक्ष की रणनीति?

नीतीश कुमार से भाजपा का रिश्ता 18 साल से है। दोनों ने पांच विधानसभा व इतने ही लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़े हैं। भाजपा को खुशी है कि नीतीश कुमार हरी झंडी दिखा रहे हैं।


अन्ना हजारे व बाबा रामदेव के आंदोलनों का क्या असर होगा?

भ्रष्टाचार व काले धन के मुद्दों को भाजपा हमेशा उठाती रही है। इन मुद्दों को कोई और उठाएगा तो उसे नैतिक समर्थक स्वाभाविक है। इस साल केंद्र सरकार ने मई में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया था, लेकिन उसके बाद उसका आचरण कैसा रहा? भाजपा की लड़ाई देश और आम आदमी के लिए है।


विशेष संवाददाता रामनारायण श्रीवास्तव की बातचीत

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Rashid Alviदेश सेक्युलर प्रधानमंत्री ही चाहता है: राशिद अल्वी

2जी घोटाले पर सरकार में घमासान मचा हुआ है। इसकी आंच अब प्रधानमंत्री तक पहुंच रही है। क्या उनकी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए?

पॉलिसी व भ्रष्टाचार दो अलग-अलग चीजें हैं। पॉलिसी जनता के फायदे के लिए बनी थी। फायदा हुआ भी। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट के शुरू में खुद लिखा है कि जो लक्ष्य 11वीं योजना के अंत तक हासिल होना था, वह दो साल पहले ही पूरा हो गया। 2जी का सारा मामला अदालत में है। अगर कोई भ्रष्टाचार में शामिल पाया जाता है तो अदालत खुद दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी।


नोट के बदले वोट मामले में खुद को व्हिसिल ब्लोअर बताने वाले जेल जा रहे हैं, लेकिन जिस सरकार को लाभ मिला उसकी जांच क्यों नहीं हो रही है?

भाजपा के सांसद रुपये लेकर लोकसभा में गए। वहां बहुमत के लिए सरकार को उनके वोट की जरूरत नहीं थी और न ही उन्होंने सरकार के पक्ष में मतदान किया। अदालत ने भाजपा से जुड़े दो सांसदों व वरिष्ठ नेता के सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी को जेल भेज दिया। अदालत के फैसले से कोई इंकार कैसे कर सकता है। मामले में स्टिंग की बात खुद आडवाणी खुद कह चुके हैं। इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार को अस्थिर करने के लिए यह भाजपा की साजिश थी।


भाजपा मध्यावधि चुनाव की संभावना भी देख रही है। इस बीच कांग्रेस में भी प्रधानमंत्री के बदलाव की बात चल रही है। क्या कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं?

राहुल गांधी आज भी सिर्फ कांग्रेस के ही नहीं, बल्कि देश के नेता हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री अभी अपने पद पर हैं। रही बात भाजपा की, तो वह अपने भीतर ही एक ऐसी लड़ाई लड़ रही है, जिसकी दूर-दूर तक कोई गुंजाइश ही नहीं हैं। उसे सोचना चाहिए कि वह 65 साल में सिर्फ एक बार 28 पार्टियों को मिलाकर सरकार बना पाई। वह भी भगवान राम, जिन्हें पूरा देश चाहता है, की इज्जत को दांव पर लगाकर। वाजपेयी को एक बार जनता ने मौका दे दिया, लेकिन यह देश सेक्युलर प्रधानमंत्री ही चाहता है।


आडवाणी की यात्रा भाजपा की यात्रा है, लेकिन उसे हरी झंडी नीतीश कुमार दिखा रहे हैं। इसे भाजपा के अंदरूनी झगड़े का असर कहा जाए या भविष्य के लिए विपक्ष की रणनीति?

आडवाणी ने जब-जब रथयात्रा निकाली, उसका उद्देश्य नहीं पूरा नहीं हुआ। उनकी यात्रा का मकसद होता कुछ है और वह बताते कुछ और हैं। इस बार भ्रष्टाचार को बहाना बनाया है। वैसे यह प्रकरण बंगारू लक्ष्मण, दिलीप सिंह जूदेव, निशंक, येद्दयुरप्पा व रेड्डी ब्रदर्स के बगैर पूरा ही नहीं होता। आडवाणी भ्रष्टाचार पर वाकई गंभीर हैं तो यह यात्रा उन्हें कर्नाटक से निकालनी चाहिए।


अन्ना हजारे व रामदेव के आंदोलनों का क्या असर होगा?

रामदेव के आंदोलन में भाजपा कार्यकर्ता मंच पर थे, जबकि अन्ना के आंदोलन के पीछे आरएसएस के लोग थे। उससे कांग्रेस व सरकार को कोई नुकसान नहीं। देश जानना चाहता है कि रामदेव कैसे संत हैं। उनके पास 1100 करोड़ की संपत्ति कहां से आई?


विशेष संवाददाता राजकेश्वर सिंह की बातचीत

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चुनाव की चर्चा और प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर जागरण के पांच सवालों के जवाब दे रहे हैं भाजपा व कांग्रेस के प्रवक्ता


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