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व्हाइट हाउस और एलियंस

जागरण मेहमान कोना
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सितंबर में हजारों अमेरिकी नागरिकों ने ओबामा प्रशासन को हस्ताक्षरित याचिकाएं देकर मांग की थी कि सरकार परग्रही जीवों के बारे में अब तक छुपाए गए तथ्यों को उजागर करे और अमेरिकी जनता को यह बताए कि एलियंस और सरकार के बीच किस तरह के संपर्क हुए हैं। एक याचिका में कहा गया था कि 50 प्रतिशत से अधिक अमेरिकी जनता को परग्रही प्राणियों की मौजूदगी में यकीन है, जबकि 80 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि सरकार इस बारे में सच को छुपा रही है। अत: लोगों को सचाई जानने का हक है। ये याचिकाएं वी द पीपल प्रोजेक्ट के तहत दायर की गई थीं। इस प्रोजेक्ट के तहत अमेरिकी नागरिक सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए याचिकाएं दायर कर सकते हैं। इन याचिकाओं के जवाब में व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा कि अमेरिकी सरकार के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि हमारे ग्रह से बाहर किसी जीवन का अस्तित्व है, न ही किसी परग्रही जीव ने मनुष्य जाति के किसी सदस्य से संपर्क किया है। इसके अलावा ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जिसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि जनता से कोई साक्ष्य छुपाया जा रहा है। लेकिन ओबामा प्रशासन यह बात दावे के साथ कैसे कह सकता है कि परग्रही जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है? यह सवाल उन वैज्ञानिकों द्वारा पूछा जा रहा है, जो यह कह रहे हैं कि हमने अभी तक गहन अंतरिक्ष की अच्छी तरह से पड़ताल नहीं की है। हो सकता है कि हमारे सौर मंडल में एलियंस के ऐसे-ऐसे शुभकामना चिह्न बिखरे हुए हों, जिन पर अभी तक हमारी नजर नहीं पड़ी है। उनका यह भी कहना है कि सुदूर अंतरिक्ष के अन्वेषण के लिए नासा द्वारा छोड़े गए पायनियर और वोएजर यान इतने छोटे हैं कि परग्रही प्राणियों ने उनका नोटिस ही नहीं लिया हो।


अमेरिका की पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के दो रिसर्चरों ने व्हाइट हाउस के बयान से असहमति जाहिर की है। रॉक एथिक्स इंस्टीट्यूट के जेकब हक-मिसरा और एनवायरमेंटल सिस्टम्स इंस्टीट्यूट के रवि कुमार कोप्परापू के अनुसार यह मुमकिन है कि रेसिंग नौका के आकार के परग्रही यान हमारे सौर मंडल के आसपास तैर रहे हों और उन पर हमारी नजर नहीं पड़ी हो। उन्होंने अपने रिसर्च पेपर में लिखा है कि अंतरिक्ष की गहनता और अब तक की हमारी सीमित खोजबीन को देखते हुए इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि परग्रही श्चोत वाला कोई भी अन्वेषक यान कभी हमारे नोटिस में ही नहीं आया हो। यह भी संभव है कि एलियंस के पहचान-चिह्न हमारे सौरमंडल में मौजूद हों। हमें इन चिह्नों के बारे में प्रमाण इसलिए नहीं मिला है क्योंकि हमने इन्हें खोजने की ठीक से कोशिश नहीं की है। नासा द्वारा साठ और सत्तर के दशक में छोड़े गए पायनियर और वोयेजर यान अंतरिक्ष की दूसरी सभ्यताओं के लिए पृथ्वीवासियों की तरफ से स्मृति पट्टिकाएं ले गए थे। पायनियर यान की पट्टिकाओं में पुरुष और महिला की छवियां अंकित थीं, जबकि वोयेजर में गोल्डन रिकार्ड थे, जिनमें फोटोग्राफ और अन्य सूचनाएं दर्ज थीं।


परग्रही प्राणियों द्वारा छोड़ी गई इतने ही आकार की पट्टिकाएं पृथ्वीवासियों के लिए अदृश्य रहेंगी। रिसर्चरों का तो यह भी कहना है कि ग्रीटिंग कार्ड के समकक्ष एलियंस संदेश अथवा उनके टोही यान पृथ्वी पर ही कहीं छुपे हुए हैं। यह सही है कि हमने पृथ्वी की सतह की लगभग पूरी पड़ताल कर ली है, लेकिन समुद्री तलों, घने जंगलों और गहरी गुफाओं में छुपने के बहुत से स्थान हो सकते हैं। हम भले ही 21वीं सदी में पहुंच चुके है,ं लेकिन आज भी हमें नई प्रजातियों और जंगलों में रहने वाली आदिम सभ्यताओं की जानकारियां मिल रही हैं। हो सकता है कोई परग्रही यान हमारे बीच किसी चट्टान के रूप में मौजूद हो और हमें बहुत ही करीब से देख रहा हो। अत: परग्रही जीवों और उनकी निशानियों की तलाश के लिए हमें चांद, मंगल और अंतरिक्ष के समीपवर्ती क्षेत्रों में अन्वेषण अभियान को लगातार जारी रखना पड़ेगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्टियल इंटेलिजेंस के रेडियो टेलिस्कोपों, नासा के केप्लर मिशन और मंगल के लिए नए क्यूरोसिटी मिशन से परग्रही जीवन के सुराग जुटाने में मदद मिलेगी।


लेखक मुकुल व्यास स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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