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गलती एक बार हो और माफी मांग ली जाए तो काम चल जाएगा। दूसरी बार भी माफी संभव है। तीसरी बार मन-मसोस कर माफ किया जा सकता है, लेकिन एक ही गलती बार-बार दोहराई जाए और हर बार माफी मांग ली जाए तो यही लगता है कि गलती और माफी दोनों जान-बूझकर तथा एक रणनीति के तहत की गई है। यानी इस तरह की गलती नाकाबिल-ए-बर्दाश्त होती है। इसका उचित मंच पर विरोध किया जाना चाहिए। गलतियों को बार-बार नजरंदाज करने और गलती करने वाले के माफी मांगने पर माफ करने का यह संकेत मिलता है कि परोक्ष रूप से ही सही, गलती करने वाले को इसकी पुनरावृत्ति की छूट दी जा रही है। इस स्थिति में जब प्रतिक्रिया होगी तो उसमें न सिर्फ गलती करने वाले के खिलाफ आक्रोश भड़केगा, बल्कि गलती करने की छूट देने वाले भी कठघरे में खड़े होंगे। पिछले दिनों जांच के नाम पर बॉलीवुड सुपर स्टार शाहरुख खान से फिर दुर्व्यवहार हुआ। बाद में अमेरिका ने माफी मांग ली। यह निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है। शाहरुख खान को न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर 12 अप्रैल को करीब दो घंटे तक पूछताछ के लिए रोका गया था।
अमेरिका में शाहरुख खान के साथ भी हुई घटना ने भारतीयों को झकझोर कर रख दिया है। शाहरुख को येल यूनिवर्सिटी ने अपना सर्वोच्च सम्मान चब फेलोशिप देने के लिए अमेरिका बुलाया था। बाद में वहां भाषण देते हुए शाहरुख ने बताया कि उन्हें हवाई अड्डे पर रोका गया था और पूछताछ हुई। मुस्कुराते हुए उन्होंने छात्रों से कहा कि जब भी मुझे हवाई अड्डे पर रुकना हो तो मुझे अमेरिका आ जाना चाहिए। शाहरुख ने बताया कि मुझसे पूछा गया कि मेरा कद कितना है। तब मैंने झूठ बोला कि मैं पांच फीट दस इंच लंबा हूं। फिर पूछा गया कि मेरा रंग कैसा है, मैंने फिर झूठ बोला कि मैं गोरा हूं। बता दें कि चब फेलोशिप से सम्मानित लोगों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, रोनाल्ड रीगन और जिमी कार्टर जैसी हस्तियां शामिल रहीं हैं। एक ओर जहां अमेरिकी राष्ट्रपति खुद भारत को एक बड़ी शक्ति मानते हैं, वहीं दूसरी ओर वह भारतीयों का अपमान करने से भी पीछे नहीं हटते। इससे पहले भी 2009 में शाहरुख अमेरिकी अधिकारियों की बदतमीजी और शक भरी निगाहों के घेरे में आ गए थे।
शाहरुख को उस समय सुरक्षा जांच के नाम पर अमेरिका के नेवार्क एयरपोर्ट पर पूरे दो घंटे तक हिरासत में रखा गया। उनके सामान की तलाशी ली गई और उनसे बेतुके सवाल भी किए गए। इस दौरान उन्हें कहीं फोन तक नहीं करने दिया गया। शाहरुख के साथ इस तरह की सलूक के पीछे यह बात सामने आई कि उनके नाम के साथ खान जुड़ा था। इस प्रकार बॉलीवुड के किंग खान हों या फिर देश के कोई बड़े राजनेता। ऐसे वाकये कई बार दोहराए गए हैं, जिसमें भारतीयों को अमेरिका में शर्मिदगी झेलनी पड़ी है। बीते वर्ष केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को शिकागो एयरपोर्ट पर पूछताछ के लिए रोका गया। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री शहनवाज हुसैन को तो उनके नाम पर अमेरिकी सरकार ने वीजा तक देने से आनाकानी की थी, जबकि वे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में हिस्सा लेने अमेरिका जाना चाहते थे। जब शहनवाज ने भारत सरकार से सिफारिश की और सरकार ने अमेरिका पर दबाव डाला, तब जाकर उन्हें वीजा मिला। हद तो तब हो गई, जब अमेरिकी अधिकारियों ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की कॉन्टिनेंटल एयरलाइंस के जरिये दिल्ली से न्यूयॉर्क जाते समय तलाशी ली। वह भी तब, जब वह जहाज में बैठने ही वाले थे। उन्हें अपना बैग और मोबाइल भी जांच के लिए देना पड़ा था। जैसे ही यह खबर फैली तो न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व में हड़कंप मच गया। इस भारत सरकार ने तुरंत एयरलाइंस को कारण बताओ नोटिस भेजा और जब उसका जवाब नहीं मिला, तब एफआइआर भी दर्ज करवाई। हालांकि बाद में अमेरिका ने इस पर भी माफी मांगी थी।
अब सवाल यह उठता है कि अमेरिका ऐसा करके क्या दिखाना चाहता है। माना कि अमेरिका 26/11 के बाद से ज्यादा चौकन्ना हो गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ इस तरह का बर्ताव करे। बहरहाल, लगता है कि भारतीय अपनी सभ्य संस्कृति के अनुरूप अमेरिका को इस बार भी माफ कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति हुई तो भारत को भी उसी के अंदाज में जवाब देना होगा।
इस आलेख के लेखक राजीव रंजन तिवारी हैं
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