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तय है उत्तर प्रदेश की सत्ता में बदलाव

जागरण मेहमान कोना
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Mulayam Singh Yadavउत्तर प्रदेश की चुनावी बिसात बिछ चुकी है। चुनाव आयोग भी राज्य में चुनाव तारीखों की घोषणा करने की तैयारी में है। बीते 44 साल से राजनीति में सक्रिय व तीन बार मुख्यमंत्री रहे समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव का दो टूक कहना है कि बसपा सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है और आगामी चुनाव में राज्य में बदलाव तय है। वह न तो राहुल गांधी के दौरों से चिंतित हैं और न ही कांग्रेस-रालोद के ताजा गठबंधन से। उनका मानना है कि प्रदेश की जनता एक बार फिर सपा को याद कर रही है और वही राज्य में एक मात्र विकल्प है। प्रदेश के चुनावी समीकरणों, संभावित राजनीतिक बदलावों और मुस्लिम आरक्षण के मसले पर दैनिक जागरण के राजकेश्वर सिंह ने उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-


उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल को किस रूप में देखते है?

प्रदेश की सत्ता में बदलाव तय दिख रहा है। वजह यह कि हर किसी की जुबान पर बसपा सरकार को हटाने की बात है।


आपको ऐसा क्यों लगता है?

भ्रष्टाचार …! नोटों को गिनने के लिए मशीनें लगी हैं। बड़े अफसरों तक को इसकी छूट मिली हुई है। इस लूट-खसोट की सबसे बड़ी कीमत जनता को ही चुकानी पड़ रही है।


उत्तर प्रदेश की सत्ता के लिए सभी प्रमुख दलों में घमासान है, इस स्थिति में समाजवादी पार्टी को कहां पाते हैं?

सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव समाजवादी क्रांति रथ लेकर प्रदेश में निकले हुए हैं। उनकी जनसभाओं व साइकिल यात्राओं में जैसी भीड़ जुट रही है उससे इस बार प्रदेश में सपा की ही सरकार बननी है।


क्या सिर्फ भीड़ के पैमाने पर ही चुनाव जीता जा सकता है। भीड़ तो बसपा व दूसरे दलों की भी रैलियों में जुटती है?

बात सिर्फ भीड़ की ही नहीं है। प्रदेश में सपा की सरकारों में हमने काम करके दिखाया है। पिछली बार सरकार में रहते दस लाख लोगों को नौकरी दिलाई। साढ़े छह लाख लोगों को सरकारी तौर पर, जबकि बाकी को निजी क्षेत्रों में। जो उससे बचे उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिया। लड़कियों को पढ़ाने के लिए कन्या विद्या धन के रूप में जरूरतमंद परिवारों की मदद की। प्रदेश की वर्तमान सरकार ने इन सुविधाओं को बंद कर दिया। लिहाजा लोग सपा सरकार को याद कर रहे हैं।


उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी जमकर प्रचार कर रहे हैं। अब कांग्रेस का रालोद से समझौता भी हो गया है, इसका क्या असर देखते हैं?

यह सही है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की बात जरूर हो रही है, लेकिन सिर्फ दो जगह। एक-कांग्रेसियों में और दूसरी-मीडिया में। नीचे जमीन अब भी खाली है। लिहाजा कोई फायदा नहीं होगा। चुनाव में कांग्रेस की सीटें घट भी सकती हैं। देश में लगातार बढ़ रही महंगाई और बड़े-बड़े भ्रष्टाचार व घोटालों के लिए भी लोग जानते हैं कि कांग्रेस ही जिम्मेदार है। फिर लोग क्यों कांग्रेस को चाहेंगे? रही बात अजित सिंह की तो उनके लिए किसी भी दल से समझौता करना या उसे छोड़ देना कोई नई बात नहीं है।


..लेकिन राहुल गांधी की सक्रियता का तो कुछ असर पड़ेगा ही?

उत्तर प्रदेश के विकास के लिए कांग्रेस के पास बताने को कुछ नहीं है। ऐसे में राहुल गांधी उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को छोड़, बाकी जगहों पर ही मेहनत करें तो अच्छा रहेगा।


केंद्र सरकार और कांग्रेस मुस्लिम आरक्षण को लेकर सक्रिय हैं। सरकार ऐसा करती है तो उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस को क्या उसका फायदा मिल सकता है?

मुसलमान कांग्रेस को क्यों वोट देंगे? यह केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार है, जिसने अब तक सच्चर कमेटी की सिफारिशों पर पूरी तरह अमल नहीं किया। सच्चर कमेटी ने मुसलमानों की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति दलितों से भी बदतर बताई थी। ऐसे में पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण में से ही मुसलमानों का कोटा तय करना-यह कैसा आरक्षण है? इस तरह का बहाना ढूंढने के बजाय सरकार को सभी मुसलमानों को आरक्षण देना चाहिए। केंद्र सरकार तो रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशें भी दबाए बैठी है।


आपके पुराने साथी रशीद मसूद सपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए हैं। इसका कितना असर पड़ेगा, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर?

कांग्रेस ने रशीद मसूद को केंद्र में किसी आयोग का चेयरमैन बनाने का लालच देकर तोड़ा है। कोई असर नहीं होगा। वे पहले से बेनकाब हैं। यही रशीद मसूद हैं जिन्होंने सपा में वापसी के समय कुरान पाक की कसम खाकर मुझसे कहा था कि अब जीवन में आपका साथ नहीं छोडूंगा। बिना यह बताए सपा छोड़कर चले गए कि मैंने उनके साथ ऐसा क्या कर दिया? लोग उन्हें जान गए हैं।


केंद्र में कांग्रेस की संप्रग-एक व दो की सरकारों को सपा ने परमाणु करार समेत कई मौकों पर बचाया है। अब राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में सीधे आप पर हमले कर रहे हैं। आपकी पूर्व सरकारों के समय की कमियां गिना रहे हैं। फिर भी सपा समर्थन वापस क्यों नहीं लेना चाहती है?

गलती हुई…। अमेरिका से परमाणु करार के समय पार्टी में रहे अमर सिंह ने कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन देने की बात कह दी थी? मैंने उसे मान लिया था। केंद्र सरकार ने इतने वर्षों में सपा का कोई काम नहीं किया। हमने भी अगर शर्त लगाकर समर्थन दिया होता तो सरकार हमारी भी बातें सुनती। रही बात समर्थन वापसी की तो यह कांग्रेस के आचरण पर निर्भर करेगा और समय बताएगा।


जन लोकपाल को लेकर अन्ना हजारे उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस और केंद्र के खिलाफ प्रचार करने की बात कर रहे हैं। क्या सपा उनके सुर में सुर मिला कर कांग्रेस को घेरेगी?

अन्ना उत्तर प्रदेश में जाएं, घूमें। सपा को आपत्ति नहीं। उसे उनकी मदद की भी जरूरत नहीं है। सपा अपना चुनाव प्रचार व मदद खुद कर लेगी।


उत्तर प्रदेश में हाल में मनरेगा में भ्रष्टाचार की बातें सामने आई हैं। क्या भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा बनेगा?

मनरेगा क्या है? उसमें तो सिर्फ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। चाहे जितना लूट लो। अधिकारी-कर्मचारी कहीं भी मिट्टी का काम दिखाकर पेमेंट ले लेते हैं। ऐसी ही स्थिति सांसद निधि में भी बनती दिख रही है। एक सांसद को साल में पांच करोड़ सांसद निधि मिलती है। सीमेंट की एक किलोमीटर सड़क में ही 50 लाख रुपए तक खर्च हो सकते हैं। फिर पांच करोड़ से क्या होगा? सरकार को इसे दस करोड़ कर देना चाहिए, नहीं तो इस योजना को ही बंद कर देना चाहिए।


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