Menu
blogid : 5736 postid : 5683

फटाफट क्रिकेट की साख पर बट्टा

जागरण मेहमान कोना
जागरण मेहमान कोना
  • 1877 Posts
  • 341 Comments

एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से साफ हो गया है कि आइपीएल भी फिक्सिंग के खेल से अछूता नहीं है। यह स्टिंग ठीक पाकिस्तानी क्रिकेटरों वाले स्टिंग की याद दिलाता है। हालांकि इसमें कोई बड़ा स्टार खिलाड़ी नहीं फंसा है। बावजूद इसके इस स्टिंग ऑपरेशन में पहली बार भारतीय क्रिकेट में आन स्क्रीन यह देखने को मिल रहा है कि युवा खिलाड़ी पैसे के लिए स्पॉट फिक्सिंग का खेल खेलने को तैयार हैं। आइपीएल की टीम डेक्कन चार्जर्स के गेंदबाज टीपी सुधींद्र तो पैसे लेकर नो बॉल फेंकते दिखे हैं। टीपी सुधींद्र वह गेंदबाज हैं, जिन्होंने बीते घरेलू क्रिकेट सीजन में सबसे ज्यादा विकेट चटकाए हैं। सुधींद्र के अलावा मोहनीश मिश्रा, शलभ श्रीवास्तव और अमित यादव जैसे युवा क्रिकेटरों को दिखाने वाले इस स्टिंग से यह पूरी तरह साफ होता है कि भारतीय क्रिकेट में सबकुछ चकाचक नहीं है। इस स्टिंग से एक साथ तीन-चार गंभीर बातें जाहिर होती हैं। एक तो युवा खिलाड़ी पैसों के लिए स्पॉट फिक्सिंग करने के लिए तैयार हैं। दूसरी अहम बात खिलाडि़यों के भुगतान से जुड़ी है। एक खिलाड़ी के दावे के मुताबिक उसे ब्लैकमनी के तौर पर भुगतान किया गया है। इसके अलावा तीसरी गंभीर बात यह है कि सीजन के बीच से ही खिलाड़ी अपनी आइपीएल टीम को बदलने के लिए तैयार हैं। इन सबसे बढ़कर इस स्टिंग ऑपरेशन ने आइपीएल जैसे टूर्नामेंट की साख पर सवालिया निशान लगा दिया है। हालांकि राहत की बात यह हो सकती है कि इस स्टिंग ऑपरेशन में कोई बड़ा खिलाड़ी पैसे के लिए अपने लक्ष्य से भटकता नहीं दिखा है। जो खिलाड़ी फिक्सिंग की जद में आए हैं, उनमें टीम इंडिया तक पहुंचने की काबिलियत का भी अभाव दिख रहा है। लेकिन इसने एक बार फिर से भारतीय क्रिकेट को फिक्सिंग के दलदल में ला पटका है।


दरअसल, आइपीएल टूर्नामेंट अपनी शुरुआत के बाद ही वित्तीय अनियमितताओं और घपलों के आरोपों में फंसता रहा है। ललित मोदी के समय में पैसों के घालमेल के साथ शुरू हुई यह लीग तीन सीजन बाद ही अपनी चमक-दमक पहले जैसी नहीं रख पा रही है। ऐसे में उसका नाम एक बार फिर नए विवाद से जुड़ गया है। इस विवाद से सबसे ज्यादा नुकसान इस लीग का ही होना है। इस सीजन में इसके सामने दर्शकों का टोटा पहले से ही था, स्पांसरों का भरोसा भी लीग से हटता दिख रहा था और अब फिक्सिंग के साये में लोगों का भरोसा और भी कम होगा। बीसीसीआइ को इस विवाद से होने वाले नुकसान का अंदाजा है। लिहाजा, वह तुरंत हरकत में आई है। खिलाडि़यों को आइपीएल से सस्पेंड कर दिया गया है। ऐसे में इन युवा क्रिकेटरों का कॅरियर खत्म होता दिख रहा है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इन खिलाडि़यों पर पाबंदी लगाने से यह मसला खत्म हो जाएगा? आज से एक दशक पहले अजहरुद्दीन, अजय जडेजा और अजय शर्मा जैसे बड़े खिलाडि़यों पर भी फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप के चलते पाबंदी लगी थी। अगर पाबंदी का खौफ इतना ही ज्यादा होता तो शायद भारत में फिक्सिंग का बात दोबारा नहीं होती। लेकिन जब चीजें बड़ी तेजी से बढ़ने और फैलने लगें तो यह समझना मुश्किल नहीं है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी शुरू हो चुकी है।


भारत में क्रिकेट के साथ भी यही हो रहा है। भारत क्रिकेट की दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। बीते एक दशक के दौरान इस खेल के सबसे बड़े सितारे भी भारतीय क्रिकेट की देन हैं। हालांकि एक पहलू ऐसा है, जिससे थोड़ी उम्मीद बंधती है कि भारतीय क्रिकेटर जल्दी नहीं फिसलते होंगे, क्योंकि उन्हें दुनिया भर के खिलाडि़यों के मुकाबले क्रिकेट खेलने पर बेहतर पैसा मिलता है। खिलाडि़यों के विज्ञापन का बाजार भी सैकड़ों करोड़ का है, जहां वे अपनी साफ-सुथरी छवि से ज्यादा से ज्यादा पैसा बना सकते हैं। लेकिन इसके बरक्स आइपीएल जैसे टूर्नामेंटों में खेलने वाली वह पौध भी सामने आ रही है, जो आनन-फानन में जल्दी से जल्दी कुछ सालों में ही पैसा कमाना चाहती है। वह खेल के साथ-साथ दूसरे वाजिब और गैरवाजिब तरीकों से आनन-फानन करोड़ों रुपये कमाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखती है। आइपीएल ने इन खिलाडि़यों को वह मंच उपलब्ध करा दिया है, जहां खेलकर वह काफी पैसा बना लेते हैं। लेकिन लालच है कि कम होने का नाम नहीं ले रहा है। क्रिकेट की दुनिया के लिए बड़ी चिंता इस बात की ही है कि अलग-अलग खिलाडि़यों पर नजर रखना बेहद मुश्किल काम है, लेकिन अब इस दिशा में क्रिकेट बोर्डो को कुछ कारगार उपाय तलाशने ही होंगे। इसके लिए बीसीसीआइ पर शुरुआत करने की जिम्मेदारी है।


इस आलेख के लेखक प्रदीप कुमार हैं


Read Hindi News


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh