Menu
blogid : 5736 postid : 6395

नकद सब्सिडी पर सवाल

जागरण मेहमान कोना
जागरण मेहमान कोना
  • 1877 Posts
  • 341 Comments

केंद्र सरकार ने सब्सिडी को लाभार्थियों को नकद देने के लिए आधार नंबर का सहारा लिया है। आधार संगठन द्वारा देश के हर नागरिक के आधार तथा पता रखा जाएगा। लाभार्थी की शारीरिक पहचान होने से उसको मिलने वाली सुविधा को हड़पा नहीं जा सकेगा, जैसे वर्तमान में सरकारी गल्ले की दुकान के दुकानदार तमाम लाभार्थियों के राशन कार्ड रख लेते हैं। इनके नाम से चीनी आदि की बिक्री दिखा कर ब्लैक करते हैं। आधार नंबर लागू होने के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा, क्योंकि राशन की दुकान पर मशीन लगी होगी। यह मशीन दुकान पर खड़े ग्राहक के फिंगर प्रिंट को आधार के कम्प्यूटर में पड़े फिंगर प्रिंट से मिलाएगी। मिलने पर ही दुकानदार को बिक्री की स्वीकृति दी जाएगी। आधार के माध्यम से गैस की सब्सिडी भी नकद दी जा सकेगी। आधार नंबर के साथ अभ्यर्थी का बैंक खाता जुड़ा रहेगा। वर्तमान में आपको एक वर्ष में गैस के छह सिलेंडर मिलने हैं।


Read:भारत की नई भूमिका


Dr.Bharat Jhunjhunwalaसिलेंडर का बाजार भाव 900 रुपये है, जबकि सब्सिडी में यह लगभग 450 रुपये में उपलब्ध है। आपको 450 रुपये प्रति सिलेंडर की दर से 2700 रुपये की सब्सिडी मिलनी है। यह सब्सिडी सीधे खाते में जमा करा दी जाएगी और सिलेंडर बाजार भाव में 900 रुपये में खरीदने होंगे। इसी प्रकार खाद पर मिलने वाली सब्सिडी किसान के खाते में सीधे जमा करा दी जाएगी और उसे खाद बाजार भाव पर खरीदनी होगी। अध्ययनों से साबित हुआ है कि सब्सिडी का आधा हिस्सा ही लाभार्थी तक पहुंचता है। शेष सब्सिडी सरकारी कर्मचारियों, कंपनियों एवं दुकानदारों द्वारा हड़प ली जाती है। आधार के लागू होने पर यह धांधली समाप्त हो जाएगी। सब्सिडी के नकद वितरण में लाभार्थी का सम्मान है। लाभार्थी को छूट रहेगी कि मिली रकम का उपयोग किस प्रकार करे। वर्तमान में आपको चीनी की जरूरत न हो तो सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आप राशन दुकान से चीनी खरीद कर दूसरे दुकानदार को बेचते हैं। नगद वितरण से आपको चीनी, सिलेंडर अथवा खाद खरीदने की आवश्यकता नहीं रहेगी। कुछ समाजशास्त्री नकद हस्तांतरण का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि रकम के दुरुपयोग की संभावना है। वर्तमान में सब्सिडी का दुरुपयोग करने के लिए आपको काफी समय और श्रम करना होगा।


एक दुकानदार से खरीदकर दूसरे को बेचना होगा। आधार लागू होने के बाद आप आसानी से बैंक से रकम निकालकर मनचाहा उपयोग कर सकेंगे। मैं लाभार्थी की इस स्वतंत्रता को अच्छा मानता हूं। अल्प संख्या में हर समाज में दुराचारी होते हैं। इन मुट्ठी भर दुराचारियों के नाम पर पूरे समाज का तिरस्कार नहीं करना चाहिए। आधार के माध्यम से मनरेगा आदि की रकम कुछ राज्यों में वितरित करना शुरू कर दिया गया है। इन्हें लागू करने में कुछ समस्याएं सामने आई हैं, जैसे लाभार्थी के फिंगर प्रिंट कंप्यूटर में दर्ज फिंगर प्रिंट से मेल नहीं खाते हैं। इन समस्याओं को एक निश्चित कालखंड में दूर किया जाएगा। आधार कार्यक्रम में समस्या दूसरे स्तर पर है। देश के नागरिकों पर सरकार की चौतरफा नजर रहेगी। मान लीजिए आप भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में भाग लेने जा रहे हैं। रेल टिकट बुक कराने में आपको अपना आधार नंबर देना पड़ेगा। इससे सरकार को पता चल जाएगा कि कौन-कौन आंदोलन में भाग ले रहा है। अथवा मान लीजिए कि किन्हीं प्रेमियों ने घर छोड़ने का मन बनाया। नए शहर में बैंक खाता खोलने अथवा मोबाइल फोन लेने के लिए उन्हें अपना आधार नंबर देना होगा, जिससे परिजनों को पता लग जाएगा कि वे कहां हैं?


मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्य कर रहे गोपाल कृष्ण बताते हैं कि इंग्लैंड, अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया में व्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन के कारण आधार जैसी योजनाओं को रद किया गया है। इंग्लैंड के गृह सचिव ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार जनता की सेवक के रूप में रहना चाहती है, न कि जनता को हंटर से हांकने वाले दादा के रूप में। फिलीपींस के सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वतंत्रता के हनन के आधार पर ऐसी योजना को रद किया था। जर्मनी में नागरिकों की इसी प्रकार की सूचना अमेरिकी कंपनी आइबीएम ने एकत्रित की थी। बाद में हिटलर ने आइबीएम से इस जानकारी को प्राप्त किया और इसका उपयोग कुछ लोगों की पहचान और नरसंहार के लिए किया। कुछ समाजसेवियों का मानना है कि होस्नी मुबारक ने मिF के नागरिकों की ऐसी जानकारी तख्तापलट के पहले अमेरिका को दे दी थी। दूसरी समस्या है कि भारत सरकार द्वारा आधार लागू करने का कार्य उस अमेरिकी कंपनी को सौंपा गया है, जो अमेरिकी रक्षा तंत्र से जुड़ी हुई है। यद्यपि सरकार ने दावा किया है कि आधार की जानकारी भारतीय कंप्यूटरों में ही रहेगी, परंतु यह विश्वसनीय नहीं है। आधार के दो पक्ष हैं। सब्सिडी के नगद वितरण की योजना अच्छी है, परंतु इसे लागू करने के लिए लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन तथा देश की जानकारी को विदेशियों के हाथ में दिया जा रहा है। हमें आधार के दूसरे विकल्प पर विचार करना चाहिए। हर व्यक्ति को मासिक पेंशन दे देनी चाहिए।


खाद्य, खाद, एलपीजी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि तमाम सब्सिडियों से जनता को मुक्त कर देना चाहिए। प्रोविडेंट फंड की तरह एक संस्था को यह कार्य दिया जा सकता है। इस कार्य के लिए जनता के फिंगर प्रिंट एकत्रित करना जरूरी नहीं है। विपक्ष को जागना चाहिए। पिछले चुनाव में संप्रग सरकार ने मनरेगा और ऋण माफी को हथकंडा बना सत्ता हासिल की और परमाणु संधि लागू की थी। आधार के माध्यम से अब संप्रग देश के गर्भगृह को विदेशियों के लिए खोलना चाहती है। विपक्ष को चाहिए कि हर नागरिक के लिए मासिक पेंशन की मांग करने के साथ-साथ व्यक्तिगत जानकारी एकत्रित करने का विरोध करे।


लेखक डा.भारत झुनझुनवाला आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ हैं


Read:लोकतंत्र और विकास


Tag:subsidy, Cylinder,LPG, Congress, Central Government, Aadhar Card, Finger Print, Retina, Photo, केंद्र सरकार, सब्सिडी, आधार, कम्प्यूटर, सिलेंडर, समाजशास्त्री, चीनी, मानवाधिकार, कोंग्रेस, क़ेन्द्र सरकार, खाद्य, खाद, एलपीजी, शिक्षा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh