- 1877 Posts
- 341 Comments
अग्नि-5 की आंच पूरी दुनिया महसूस रही है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इस मिसाइल पर चीन की तीन तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं और ये तीनों प्रतिक्रियाएं मिलकर एक क्रमिकता बनाती हैं। पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया चीन के विदेश मंत्रालय से 19 अप्रैल को आई, जब चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हाल के सालों में दोनों देशों के रिश्ते इतने मजबूत हुए हैं कि अग्नि के परीक्षण से वे न टूटेंगे, न कमजोर होंगे। इस औपचारिक प्रतिक्रिया के कुछ ही देर बाद चीनी मीडिया की तरफ से अग्नि-5 के परीक्षण को लेकर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया आई। हालांकि आगे बढ़ने के पहले इसे भी स्पष्ट कर लिया जाए कि चीन की मीडिया प्रतिक्रिया भी एक तरह से चीन की सरकारी प्रतिक्रिया ही है क्योंकि चीन में मीडिया किसी लोकतांत्रिक देश की तरह स्वतंत्र नहीं है। फिर जिस मीडिया की तरफ से यह कड़ी प्रतिक्रिया आई वह तो सरकार का मुखपत्र ही था। चाइन पीपल्स डेली ने अग्नि-5 मिसाइल पर चीन की चिढ़ उजागर करते हुए कहा कि भारत यह न गुमान न पाल ले कि वह चीन से ज्यादा ताकतवर हो गया है। चीन के पास इससे ज्यादा ताकतवर और दूर तक मार करने वाली मिसाइलों का जखीरा है। चीन की मीडिया प्रतिक्रिया में इस बात का भी खासतौर पर उल्लेख किया गया कि चीन के पास परमाणु हथियारों का विश्वसनीय भंडार है। बहरहाल इस मीडिया प्रतिक्रिया का लब्बोलुआब यह था कि चीन भारत की इस मिसाइल ताकत को कुछ नहीं समझता। चीन की तीसरी प्रतिक्रिया इन दो प्रतिक्रियाओं के करीब 24 घंटे बाद आई और हैरानी की बात यह रही कि यह तीसरी प्रतिक्रिया पहली दोनों प्रतिक्रियाओं से भिन्न है।
तीसरी प्रतिक्रिया में चीन ने दूसरी प्रतिक्रिया के उलट जाते हुए अग्नि-5 को न सिर्फ ज्यादा ताकतवर बल्कि ज्यादा दूर तक मार करने में सक्षम मिसाइल बताया। चीन ने गया कि भारत जानबूझकर अग्नि-5 की रेंज को छिपा रहा है। यह 5000 किलोमीटर नहीं, बल्कि 8000 किलोमीटर दूर तक मार करने की क्षमता रखती है। चीन की इस तीसरी प्रतिक्रिया में एक तरह से पश्चिमी देशों विशेषकर यूरोपीय देशों को उकसाने की कोशिश साफ देखी जा सकती है। चीन ने खासतौर पर इस बात को रेखांकित किया कि भारत की इस मिसाइल की जद में यूरोप के ज्यादातर शहर आ चुके हैं। यह आइसीबीएम यानी इंटरकोंटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल ही है, जबकि भारत इसे जानबूझकर लांग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल दर्शाने की कोशिश कर रहा है। चीन की इन अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाओं में उसकी बेचैनी को साफतौर पर देखा जा सकता है। आमतौर पर चीनी प्रतिक्रिया करने के मामले में बेहद ठंडे और तकरीबन अबूझ होते हैं। लेकिन स्वभाव के तमाम ऐतिहासिक पेचों को एक तरफ रखते हुए अग्नि-5 की प्रतिरिया में चीन अपनी बौखलाहट और बेचैनी छिपा नहीं पाया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन और भारत के मुकाबले में होने पर ज्यादातर देश भारत के पक्ष में अपनी राय देते हैं। अग्नि-5 के संबंध में भी जो यूरोप और विशेषकर अमेरिका की प्रतिक्रिया आई है, वह भी इसी तरह की है।
अमेरिकी मीडिया ने स्पष्ट तौर पर भारत के बारे में जो मत व्यक्त किया है, उसके मुताबिक भारत एक गम्भीर, धैर्यवान और पहल न करने वाला देश है। कुछ साल पहले जब चीन ने सेटेलाइट मार गिराने की अपनी क्षमता का दुनिया के सामने प्रदर्शन किया था, तब तमाम देश न सिर्फ चीन की बढ़ती ताकत से सकते में आ गए थे, बल्कि उसके मुकाबले के लिए अगर किसी देश की तरफ टकटकी लगाकर देख रहे थे तो वह कोई और नहीं भारत ही था। आज भारत वह मुकाम हासिल कर चुका है। अग्नि सिर्फ हमारी सामरिक सुरक्षा ही नहीं करेगी, बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन के कृत्रिम उपग्रहों को मार गिराएगी और अचानक दुश्मनों द्वारा हमारे कृत्रिम उपग्रहों को निशाना बनाए जाने पर तुरंत नए व छोटे छोटे उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगी।
लेखक लोकमित्र स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं
Read Hindi News
Read Comments