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कोलावरी डी वाया नेट

जागरण मेहमान कोना
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Peeyush Pandeyमशहूर गीतकार जावेद अख्तर भले तमिल गीत कोलावरी डी को बकवास करार दें और प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन इसे भद्दा मानें, लेकिन सच यही है कि यह गाना अपने आप में न केवल अनूठे रिकॉर्ड बना चुका है, बल्कि एक फिनोमिना भी बन गया है। कोलावरी डी को युवा गीत की संज्ञा दी जा चुकी है। इस गीत पर टेलीविजन कार्यक्रम बन रहे हैं तो अखबारों में संपादकीय लिखे जा रहे हैं। इस गाने की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके आधिकारिक वीडियो को यू-ट्यूब पर अभी तक एक करोड़ 35 लाख से भी अधिक बार देखा जा चुका है। इस गाने के हिंदी, तेलगू, कन्नड़ और गुजराती समेत कई भाषाओं के संस्करण इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। यू-ट्यूब पर ऐसे चार हजार वीडियो पोस्ट किए जा चुके हैं जिनके टाइटल में कोलावरी डी है। समाजविज्ञानी इस गीत की लोकप्रियता की वजह तलाशने में जुटे हैं कि आखिर इस सामान्य से गाने में ऐसा क्या है कि पूरे देश के युवा इस गाने के रंग में रंगे हैं? हिंदी एफएम स्टेशनों से लेकर संगीत चैनलों तक पर यह गाना लगातार बजाया जा रहा है।


सवाल कोलावरी डी लोकप्रियता का नहीं, इसके लोकप्रिय होने की वजह का है। तमिल फिल्म 3 का गाना कोलावरी डी क्यों इतना लोकप्रिय हुआ इसका सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है। गाने में बोलचाल की अंग्रेजी के शब्दों के होने, गुनगुनाने लायक धुन और समर्थन में सेलेब्रिटीज का आगे आना कई वजहों में कुछ हैं, लेकिन इस गाने की लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह है सोशल मीडिया। क्या आज से पांच साल पहले कोई भी गाना इस तरह सरहदों और भाषाओं के पार जाकर इतना लोकप्रिय हो सकता था, शायद नहीं। फेसबुक, ट्विटर और सोशल मीडिया के तमाम मंचों की गैर मौजूदगी में इस गाने को इतनी लोकप्रियता मिलना असंभव था। इस गाने के संगीत वितरक सोनी ने गीत को एचडी फॉर्मेट में यू-ट्यूब पर अपलोड किया, जिसे डाउनलोड करने में कम समय लगता है। इस गाने को 16 नवंबर को यू-ट्यूब पर अपलोड किया गया, लेकिन महज पांच दिन के भीतर कोलावरी डी एक ट्रेंड बन गया। इसकी बड़ी वजह तमिल भाषियों का इंटरनेट फ्रेंडली होना माना जा रहा है। सॉफ्टवेयर की दुनिया में तमिलभाषियों का दबदबा है। युवाओं को आकर्षित करने वाले इस गीत को शुरुआती बढ़त सॉफ्टवेयर व आइटी क्षेत्र के तमिलभाषियों ने दिलाई।


माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर जब यह ट्रेंड जोर पकड़ना शुरू किया तो फेसबुक पर लोगों ने एक-दूसरे से शेयर करना प्रारंभ कर दिया। शेयरिंग सोशल मीडिया की सबसे बड़ी ताकत है। महज हफ्ते भर के भीतर सोशल मीडिया की दुनिया में कोलावरी डी एक अनूठा कारनामा कर चुका था। दरअसल, इस गीत ने एक बात सीधे तौर पर समझा दी है कि सोशल मीडिया अपनी रचनात्मकता के प्रदर्शन का बेहतरीन मंच है। गीत, फिल्म, लघु फिल्म, सॉफ्टवेयर, कहानी, अप्लीकेशन आदि के प्रचार के लिए सोशल मीडिया से बेहतरीन जगह कोई नहीं, जहां झटके में लोग जुड़ते चले जाते हैं। सोशल मीडिया के तमाम मंच प्रशंसक समूह तैयार करने का सबसे बेहतरीन माध्यम हैं और इससे व्यावसायिक सूत्र भी जुड़ते हैं।


कोलावरी डी की लोकप्रियता की वजह से अब फिल्म को न केवल तमिलनाडु में, बल्कि हिंदी पट्टी में भी दर्शक मिलना तय हैं। इससे हुनर को राष्ट्रीय मंच तो मिला ही है, गीतकार-गायक धनुष और 18 साल के संगीतकार अनिरुद्ध को दुनिया ने जान-पहचान लिया। यह अलग बात है कि इनकी अपनी पहचान पहले भी थी, लेकिन पूरे देश ने इन लोगों को सिर्फ इस गाने की वजह से जाना। वैसे, सोशल मीडिया पर बना प्रशंसक समूह सिर्फ दर्शक के रूप में काम नहीं करता, बल्कि वे कट्टर समर्थक के रूप में भी काम करते हैं। हाल में फिल्म रा.वन के प्रदर्शन के फौरन बाद जब अखबारों में खबर छपी कि शाहरुख खान की इस फिल्म ने कमाई के मामले में सलमान खान की बॉडीगार्ड को पीछे छोड़ दिया है तो अचानक ट्विटर पर सलमान खान के प्रशंसक सक्रिय हो गए। अनजाने में घटित हुई इस घटना का नतीजा यह हुआ कि इंटरनेट पर बॉडीगार्ड से जुड़ी खबरें फिर छा गई, जबकि फिल्म को रिलीज हुए काफी वक्त बीत चुका था।


इस आलेख के लेखक पीयूष पांडे हैं


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