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आज का विराट, कल का सचिन

जागरण मेहमान कोना
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पहले होबॉर्ट, फिर मीरपुर और उसके बाद फिर से मीरपुर। भारत के बीते चार वनडे मैच इन मैदानों पर खेले गए हैं और इन चार में से तीन मैचों में विराट कोहली ने शतक ठोका है। खासकर होबॉर्ट में श्रीलंका के खिलाफ और मीरपुर में पाकिस्तान के खिलाफ कोहली ने जिस तरह के धमाकेदार बल्लेबाजी की है, उससे यह तो तय हो गया है कि भारतीय क्रिकेट को भविष्य के लिए नया सुपरस्टार मिल चुका है। अगर होबॉर्ट की पारी को याद करें तो आप इसे क्रिकेट इतिहास की चंद करिश्माई पारी में गिनेंगे, जहां एक टीम 37वें ओवर में ही 321 रनों का लक्ष्य हासिल कर लेती है। वहीं पाकिस्तान के खिलाफ पारी को भी कमतर नहीं आंका जा सकता। जब शून्य रन पर एक विकेट गिर चुका हो, तब एक बल्लेबाज खेलने आता है और पीछा करते हुए 330 रनों के लक्ष्य को भी बौना बना देता है। इन दो पारियों ने बताया है किविराट कोहलीवाकई में ना केवल प्रतिभाशाली बल्लेबाज हैं, बल्कि उनमें वह तमाम काबिलियत मौजूद है, जो किसी आम बल्लेबाज को दिग्गजों की जमात में ला खड़ा करती है। यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है, जब कोहली टीम इंडिया के लिए खेवनहार की भूमिका निभाते दिखे हैं। अपने वनडे करियर में कोहली ने अब तक 85 वनडे मैच खेले हैं। इनमें 11 बार उन्होंने शतक बनाया है। जब कोहली ने शतक बनाया है तो टीम इंडिया महज एक बार हारी है। अगर आप इन आंकड़ों की पड़ताल करेंगे तो पाएंगे कि कोहली का आंकड़ा कितना दमदार है। जब सचिन तेंदुलकर ने अपना पहला वनडे शतक जमाया था तो वह मैच उनका 79वां वनडे था।


कोहली के शतक बनाए जिन 10 मैचों में भारत जीता है, उसमें सात बार भारत को दूसरी पारी में बल्लेबाजी करनी पड़ी यानी विशाल रनों का पीछा करने का दबाव कोहली पर हमेशा रहा, लेकिन इस दबाव ने कोहली को डिगने नहीं दिया, बल्कि उनके हुनर को कहीं ज्यादा धार दी। लिहाजा, आज उन्हें भारतीय क्रिकेट में राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर की विरासत को संभालने वाला बल्लेबाज माना जा रहा है। कोहली भी इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं। उनका बल्ला लगातार बोल रहा है। दरअसल, बीते एक साले के दौरान एक उत्साही क्रिकेटर से कोहली बेहद परिपक्व नजर आने लगे हैं। करियर के शुरुआती दिनों में कोहली खासे आक्रामक थे और युवाओं वाला उत्साह कहीं ज्यादा था, लेकिन आइपीएल की रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू की टीम में अनिल कुंबले और राहुल द्रविड़ जैसे क्रिकेटरों की सोहबत ने उनके व्यवहार को कहीं ज्यादा संयत बनाया। इन दोनों शालीन क्रिकेटरों ने कोहली को बताया है कि अगर संयम नहीं रख पाए तो टैलेंट कोई काम नहीं आएगा। कोहली ने भी इस बात को गांठ बांध ली। पहले तो उन्होंने अपने व्यवहार को संयत बनाया। फिर सारा फोकस अपनी बल्लेबाजी पर झोंक दिया और फिटनेस के पहलू का भी ख्याल रखा।


नतीजा सबके सामने है, जो रोहित शर्मा और सुरेश रैना उनसे कहीं ज्यादा टैलेंटेड माने जा रहे थे, उनसे कोहली काफी आगे निकल गए हैं। कोहली अब हड़बड़ाहट में अपना विकेट नहीं गंवाते। वे शाट्स खेलने के लए कमजोर गेंदों का इंतजार करने लगे हैं। दरअसल, एक आक्रामक बल्लेबाज के तौर पर कोहली की प्रतिभा पर शायद ही किसी को शक रहा हो, वे नंबर चार के ऐसे बल्लेबाज हैं, जो टीम की जरूरत की मुताबिक ओपनिंग और वन डाउन से लेकर कहीं भी खेल सकता है। लिहाजा, हाल के दिनों में उन्होंने नंबर तीन बल्लेबाज के तौर पर टीम के लिए जोरदार पारियां खेली हैं। राहुल द्रविड़ के संन्यास लेने के बाद टीम इंडिया में इस स्थान की जगह खाली हुई है, लेकिन बिना कोई समय गंवाए कोहली इसे भरते हुए नजर आ रहे हैं।


हालांकि कोहली वनडे में शानदार बल्लेबाजी का रिकॉर्ड टेस्ट में कायम नहीं रख पाए हैं। वनडे में उनका औसत 50 से ज्यादा का है, जबकि टेस्ट में वे 32 की औसत से ही रन बना पाए हैं। लेकिन बीते साल वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने दिखाया है कि अब वे टेस्ट मैचों के अनुरूप भी खुद को ढाल रहे हैं। कोहली की बल्लेबाजी पर नजर रखने वालों को मालूम है कि बतौर क्रिकेटर उनमें बेमिसाल प्रतिभा मौजूद है। वे जिस सफाई से ऑफ साइड में अपने स्ट्रोक्स खेलते हैं, उतनी ही चतुराई से कलाई का इस्तेमाल भी करते हैं। इन सबके साथ क्रिकेट को दिमागी तौर पर खेलना भी उन्हें बखूबी आता है। लिहाजा, महज 23 साल की उम्र में टीम इंडिया की उप-कप्तानी उन्हें सौंप दी गई है। विराट कोहली सचिन तेंदुलकरऔर राहुल द्रविड़ जैसे बल्लेबाजों की विरासत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए पूरी तरह से तैयार दिखते हैं


इस आलेख के लेखक प्रदीप कुमार हैं


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