Menu
blogid : 5736 postid : 4583

निजता की नीति पर बवाल

जागरण मेहमान कोना
जागरण मेहमान कोना
  • 1877 Posts
  • 341 Comments

Peeyush Pandeyगूगल की हाल में लागू निजता नीति पर ब्राजील में भी जांच आरंभ हो सकती है। ब्राजील के कानून मंत्रालय ने सीधे-सीधे गूगल से कुछ सवाल पूछे हैं। इनमें एक बड़ा सवाल यह है कि गूगल उपयोक्ताओं के ई-मेल यानी जीमेल से प्राप्त सूचनाओं का इस्तेमाल विज्ञापनों की प्राथमिकता तय करने में किस तरह करेगी? यह भी कि नई नीति बनाते वक्त उपयोक्ताओं से क्या कोई रायशुमारी की गई और इस नीति को लागू करते वक्त उपयोक्ताओं से किस तरह की सहमति ली गई? इन सवालों के जवाब के लिए गूगल को दस दिन का वक्त दिया गया है। ठोस जवाब न मिलने पर गूगल के खिलाफ औपचारिक जांच का ऐलान होगा। यूरोपीय नियामक पहले ही गूगल की निजता नीति को कानूनों का उल्लंघन करने वाला बताकर जांच शुरू कर चुके हैं। यूरोपीय यूनियन के जस्टिस कमिश्नर वीवेन रीडिंग के मुताबिक यह पारदर्शिता के कानून का उल्लंघन करती है और निजी डाटा को तीसरी कंपनियों को सौंपती है। ब्रिटेन में निजता की वकालत करने वाली संस्थाएं लगातार गूगल पर निशाना साधे हैं कि यह आवश्यकता से अधिक निजी जानकारियां जुटा रही है।


दक्षिण कोरिया में भी गूगल की नई निजता नीति को लेकर हंगामा मचा हुआ है। गूगल ने एक मार्च से निजता नीति में परिवर्तन कर दिया है। जनवरी में प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव की घोषणा के बाद से ही नई नीति पर हंगामा बरपा हुआ है। इसके विरोध में छोटे देश भी आगे आ रहे हैं। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हमारी जिंदगी में गूगल की तमाम सेवाएं इस तरह दाखिल हो चुकी हैं कि तमाम निजी और व्यावसायिक जानकारियां इसके पिटारे में बंद हैं। इनके सार्वजनिक होने का भूत जब भी खड़ा होता है बवाल मचता है, लेकिन इस बार मामला अलग है। दरअसल गूगल की अभी तक 60 से अधिक सेवाओं के लिए निजता नीति थी, लेकिन नई नीति के तहत सभी सेवाओं के लिए एक नीति बना दी गई है। नई निजता नीति लागू होने के बाद से गूगल की सेवाओं का उपयोग करने वाले हर शख्स की जानकारी एक ही जगह सहेजकर रखी जा रही है। अलग-अलग सेवाओं पर उपयोक्ताओं द्वारा दी गई सूचनाओं को अब गूगल किसी भी दूसरे प्लेटफॉर्म पर दिखा सकता है। अर्थ यह कि यूट्यूब पर आपने कोई वीडियो खोजा तो उस आधार पर गूगल आपको जी-मेल इस्तेमाल करते वक्त भी कोई विज्ञापन दिखा सकता है।


गूगल हमेशा ऐसी जानकारी संग्रहित करती रही है और इसका इस्तेमाल लोगों के सर्च संबंधी अनुभव को वैयक्तिक रूप देने में किया जाता रहा है। गूगल की इस कवायद का सीधा सिरा अधिक विज्ञापनों के गणित और ज्यादा मुनाफे से जुड़ता है। गूगल के सालाना 38 बिलियन डॉलर राजस्व का 90 फीसदी से ज्यादा विज्ञापनों से आता है। गूगल की लगभग सभी सेवाएं उपयोक्ताओं के लिए नि:शुल्क हैं, लेकिन इनके विकास और इनसे जुड़े शोध में गूगल को खासी रकम खर्च करनी पड़ती है। गूगल कॉरपोरेट कंपनी है जिसका एक उद्देश्य मुनाफा कमाना है। गूगल अपने विज्ञापनों पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित करने की रणनीति इसलिए भी बनाना चाहता है, क्योंकि गूगल को विज्ञापनों से उसी स्थिति में आय होती है जब लोग उन विज्ञापनों पर क्लिक करते हैं, लेकिन ऐसे में कहीं यूजर्स की निजता बिक तो नहीं जाएगी यही अहम सवाल है और इसलिए दुनिया के कई देशों में चिंता भी है। हालांकि गूगल की तरफ से अभी तक सूचनाओं को तीसरी कंपनी को बेचे जाने का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन परेशानी सिर्फ सूचनाएं बेचे जाने की नहीं, बल्कि चुराने की भी है। हाल में हैकिंग की एक प्रतिस्पर्धा में हैकर्स ने गूगल के लोकप्रिय ब्राउजर क्रोम में सेंध लगाकर इंटरनेट कार्यकर्ताओं की चिंता को थोड़ा और बढ़ा भी दिया है। दरअसल गूगल की नई निजता नीति ने इस बहस को गर्मा दिया है कि उपयोक्ताओं की निजी जानकारियों के इस्तेमाल का कंपनियों को किस हद तक हक है।


इस आलेख के लेखक पीयूष पांडे हैं


Read Hindi News


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh