Menu
blogid : 5736 postid : 4219

पुरस्कारों का फैशन

जागरण मेहमान कोना
जागरण मेहमान कोना
  • 1877 Posts
  • 341 Comments

प्रत्येक गणतंत्र दिवस पर मैं भारत रत्न तथा पद्म पुरस्कारों के लिए अपनी सूची बनाता हूं। मेरी दो शर्ते होती हैं। पहली यह कि अगर कोई पुरस्कार दिए जाने की सिफारिश करते हुए दिखाई दे तो उसे पदक लेने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। दस में से नौ पुरुष और महिलाएं ऐसा ही करते हैं। अगर ऐसा पाया जाए तो उन्हें पदक देने के लिए कभी विचार नहीं किया जाना चाहिए और यदि बाद में पता चले तो भी पदक वापस ले लेना चाहिए। इंग्लैंड में ऐसा ही होता है। मेरे मित्र जैक लियोंस को नाइटहुड मिली थी बाद में जब यह पाया गया कि वह कुछ गलत सौदों में शामिल थे तो उनकी नाइटहुड निरस्त कर दी गई। निरस्त करने के पीछे सेमीटिज्म विरोधी तत्व भी हैं। जैक लियोंस इजराइल चले गए मन में कड़वाहट लिए। मेरा दूसरा सुझाव है कि पुरस्कार प्राप्त करने वाले इसे अपने नाम के साथ या लेटरहेड पर इस्तेमाल न करें। दस में से नौ भारतीय ऐसा करते हैं। पद्म श्री, भूषण, विभूषण, श्री या श्रीमती और इसी तरह। यह सस्ता और अशोभनीय है। पुरस्कृत व्यक्ति ही व्याख्या करने के लिए दूसरों को इसका इस्तेमाल करने दें न कि खुद ही इस्तेमाल करें। इंग्लैंड में बहुत से पदक जैसे कि काउंट, अर्ल, लॉर्ड या सर किसी व्यक्ति के नाम से पहले लगाए जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते।


मार्क टुली जिन्होंने भारत को अपना घर बना लिया है उन्हें बहुत साल पहले नाइटहुड मिला था और पदम भूषण भी। उन्होंने कभी इसका इस्तेमाल नहीं किया। वह हमेशा मार्क टुली ही रहे। शीतल शर्मा की कर्तव्यभावना मैं हमेशा से ऐसे लोगों के बारे में लिखने के लिए उत्सुक रहता हूं जो गीता के कर्तव्य सिद्धांत को मानते हैं और उस पर चलने की भी कोशिश करते हैं। कर्मण्येवाधिकारस्ते, मां फलेशु कदाचन यानी बिना किसी फल की इच्छा किए अपना कर्तव्य निभाते चलिए। मेरी नजर में शीतल शर्मा एक ऐसी ही शख्सियत हैं जो डीएवी स्कूलों और कॉलेजों का प्रबंध देखने वाली सोसाइटी की सचिव हैं। यह भारत की सबसे बड़ी गैर सरकारी शिक्षण संस्था है। शीतल का लालन पालन शैक्षिक माहौल में हुआ और एक शिक्षाविद से शादी हुई। उनके पिता विक्रम विश्वविद्यालय के उपकुलपति थे और बाद में डीएवी कॉलेज मैनेजिंग कमिटी के अध्यक्ष बने। उनके पति एक आइएस थे और रिटायर होने के बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के उपकुलपति और नेशनल डिफेंस कॉलेज के निदेशक बने।


शीतल दिल्ली स्कूल ऑफ इकोकॅमिक्स में पढ़ी हैं और पंजाब विश्वविद्यालय से बीएड किया। शीतल ने दिल्ली और चंडीगढ़ में बहुत सी एजूकेशन एसाइनमेंट पूरी की है। उन्होंने इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका, मिस्र और रूस में वहां की शिक्षा पद्धति का अध्ययन करने के लिए यात्राएं की है। उन्होंने अपने अनुभवों को लुक एराउंड शीर्षक सेलिखा है। शीतल की अंतिम श्रृंखला हैलो लाइफ है जोकि पूरी तरह सचित्र है और उसमें जीवन की उपयोगी बातें हैं। उन्होंने साधनहीन बच्चों, बेसहारा और दिमागी रूप से अशक्त लोगों और वृद्धों (मैं आखिरी श्रेणी में आता हूं) की सहायता करने में विशेषज्ञता हासिल की। मुझे उनके आने की प्रतीक्षा रहेगी, क्योंकि वह मुस्कुराहट और हंसी से भरी एक आकर्षक महिला हैं। भारत पाक में अंतर पाकिस्तान में एक चुटकुला चल रहा है कि भारत में सरकार सेना अध्यक्ष की उम्र का फैसला करती है और पाकिस्तान में सेना अध्यक्ष सरकार की उम्र का फैसला करते हैं।


लेखक खुशवंत सिंह वरिष्ठ स्तंभकार हैं


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh