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वादों से तस्वीर बदलने के अपने-अपने दावे

जागरण मेहमान कोना
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Shiv Kumarउत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुफ्त लैपटॉप और टैबलेट के वादों के बीच कांग्रेस पार्टी ने विजन डॉक्यूमेंट 2020 और अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया तो गधे को इंसान बनाने की कहानी याद आ गई- एक राज्य में राजा ने एक दोषी व्यक्ति को फांसी की सजा सुनाई। फांसी की सजा पाए इस व्यक्ति ने अंतिम इच्छा के तौर पर राजा से मुलाकात का समय मांगा। राजा इस व्यक्ति से मिलने कारागार पहुंचे तो उसने राजा से कहा कि अगर मुझे फांसी दे दी गई तो मैंने एक ऐसी विद्या सीखी है, जो 20 साल में गधे को इंसान बना सकती है, वह विद्या भी मेरे साथ ही खत्म हो जाएगी। राजा ने कहा कि अगर तुम्हारी बात में सच्चाई है तो मैं तुम्हें एक मौका देता हूं, लेकिन अगर बीस साल में तुमने गधे को इंसान नहीं बनाया तो तुम्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा। राजा के आदेश पर उस व्यक्ति को रिहा कर दिया गया तो उसके परिवार के लोग खुश हुए, लेकिन उन्होंने इस बात पर दुख भी जताया कि आखिर बीस साल बाद जब आप गधे को इंसान नहीं बना पाओगे तो आपको फांसी पर लटका दिया जाएगा। दोषी व्यक्ति ने अपने घर के लोगों से कहा कि तुम लोग परेशान मत हो और बीस साल तक चैन की बंसी बजाओ। बीस साल में या तो गधा मर जाएगा या फिर राजा की मौत हो सकती है। इसलिए तुम लोगों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी चुनावी वादों की राजनीति भी कुछ इस तरह हो गई है, जो आम मतदाताओं को आने वाले सालों में विकास का सपना दिखाकर छलावा कर रही है। अपने चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस अब अति दलितों और अति पिछड़ों को कोटे में कोटा देने की बात कर रही है। इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने विजन डॉक्यूमेंट-2020 जारी किया, जिसका नाम नव-उत्तर प्रदेश 2020 रखा है। इस डॉक्यूमेंट के जरिए कांग्रेस पार्टी आने वाले बरसों में उत्तर प्रदेश की पूरी तस्वीर बदलने का दावा कर रही है।


कांग्रेस का कहना है कि समग्र विकास से उत्तर प्रदेश का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा। कांग्रेस के इस विजन डॉक्यूमेंट में अगले पांच साल में 20 लाख नौकरियां देने और नई हरित क्रांति तथा पिछड़े क्षेत्रों के लिए विशेष विकास पैकेज की बात कही गई है। कांग्रेस पार्टी इस डॉक्यूमेंट को उत्तर प्रदेश के विकास का रोडमैप बता रही है और इसके जरिए प्रदेश में 9 से 10 फीसदी तक विकास का लक्ष्य भी रखा गया है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना है कि हमने दूसरे राजनीतिक दलों की तरह मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाने के बजाय सिर्फ वही बातें कही हैं, जो हम पूरी कर सकते हैं। यह बात ठीक है कि हर राजनीतिक दल चुनाव के पहले जनता के सामने वादों का पिटारा खोलकर रख देता है, लेकिन जनता को वादों का सब्जबाग दिखाकर कब तक राजनीतिक पार्टियां अपने वोट बैंक की जुगत में जुटी रहेंगी? क्या कांग्रेस और अन्य पार्टियों को लगता है कि कोरे चुनावी वादों से जनता का भरोसा हासिल किया जा सकता है? आखिर कब तक राजनीतिक दल आम जनता के साथ गधे को इंसान बनाने की कहानी दोहरा कर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करते रहेंगे? एक तरफ कांग्रेस विजन डॉक्यूमेंट-2020 के जरिए उत्तर प्रदेश के समग्र विकास की बात कर रही है तो दूसरी तरफ आरक्षण की राजनीति के जरिए मुस्लिम वोट बैंक पर निशाना साध रही है।


मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने के लिए कांग्रेस अल्पसंख्यकों के लिए अन्य पिछड़ा वगर् (ओबीसी) कोटे से 4.5 फीसदी आरक्षण दिए जाने का ऐलान कर चुकी है और केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद इसे बढ़ाकर 9 फीसदी तक करने की बात कह चुके हैं। उत्तर प्रदेश में 18 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक को हासिल करने के लिए कांग्रेस के युवा महासचिव राहुल गांधी ने उर्दू अखबारों के संपादकों से हुई मुलाकात में प्रशासन में मुस्लिमों की उचित भागीदारी न होने के लिए अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को जिम्मेदार ठहराया है। राहुल गांधी का कहना है कि संघ ने अपने मोहरे विभिन्न जगहों पर फिट कर रखे हैं, जो मुस्लिम समुदाय की राह में रोड़े अटकाते हैं। उर्दू अखबार के संपादकों से हुई मुलाकात में राहुल गांधी इस बात पर भी खेद जता चुके हैं कि सांप्रदायिक मानसिकता वाले बहुत से अफसर इस बात को मानने से इनकार करते हैं कि जेलों में कुछ बेकसूर मुस्लिम युवकों को बंद किया गया है। सवाल यह उठता है कि समाज में सांप्रदायिकता का बीज बो कर कब तक कांग्रेस जैसे दल अपनी राजनीतिक फसल काटने की कोशिश करेंगे? कांग्रेस पार्टी मुस्लिमों को हमेशा से ही वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती रही है और यही वजह थी कि अपने इसी वोट बैंक की खातिर राजीव गांधी के समय 1985 में शाहबानों प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया गया।


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के युवा महासचिव राहुल गांधी मुस्लिमों के पिछड़ेपन पर चिंता जता रहे हैं, लेकिन क्या कांग्रेस पार्टी यह बताएगी कि आजादी के बाद पचास साल से भी ज्यादा वक्त तक केंद्र की सत्ता संभालने के बाद उसने मुस्लिम समाज की बेहतरी के लिए क्या कदम उठाए? देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश के लिए किस विजन-2020 की बात कर रहा है? चौबीस घंटे टेलीविजन न्यूज के दौर में जनता की राजनीतिक जागरूकता और भी ज्यादा बढ़ चुकी है और ऐसे में कांग्रेस या कोई भी राजनीतिक पार्टी विजन-2020 या ऐसे ही भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल करके जनता का वोट हासिल नहीं कर सकती। भ्रष्टाचार को लेकर ढुलमुल रवैया, सख्त लोकपाल जैसे कानून से किनारा करना, दोषी मंत्रियों पर तत्काल कार्रवाई करने से बचने की प्रवृत्ति और सीएजी जैसी संस्थाओं पर उंगली उठाने जैसी बातों ने कांग्रेस की अगुवाई में चलने वाली संप्रग सरकार की छवि को खराब किया है और ऐसे में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की विजन डॉक्यूमेंट-2020 को लेकर यह बात लोगों के गले नहीं उतरती कि संप्रग सरकार ने केंद्र में जो करके दिखाया है और जो ठोस कदम उठाए हैं, वही हमने इस विजन में उठाए हैं।


आज कांग्रेस उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के विकास के लिए आरक्षण का शिगूफा छोड़ रही है, लेकिन 40 साल से भी ज्यादा वक्त तक प्रदेश में राज कर चुकी कांग्रेस ने समाज के इस तबके की तरक्की की कोई सुध नहीं ली। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में विजन डॉक्यूमेंट के जरिए बिजली संकट दूर करने और सभी के लिए आठ घंटे बिजली आपूर्ति का वादा कर रही है, लेकिन कांग्रेस शासित ज्यादातर राज्यों में बिजली संकट के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने के लिए कांग्रेस अब कव्वाली का भी सहारा ले रही है। विजन-2020 या फिर आरक्षण का राग अलाप कर या फिर लोगों को कव्वाली सुनाकर कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टी अपनी राजनीतिक जमीन को बचाने में कितनी कामयाब होगी, यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चल सकेगा, लेकिन इतना तो तय है कि जनता अब राजनीतिक दलों की कोरी और सतही बयानबाजियों से उकता गई है। चुनावी नफे-नुकसान के बीच राजनीतिक दलों की फितरत तो नहीं बदलने वाली और ऐसे में अब फैसला जनता को करना है ताकि उत्तर प्रदेश विकास की रफ्तार में आगे बढ़े और प्रदेश में बाहुबलियों की राजनीति पर पूरी तरह लगाम लग सके।


लेखक डॉ. शिव कुमार राय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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