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गत माह 18 तारीख को चीन के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली में प्रकाशित आलेख भारत के सैन्य आधुनिकीकरण के पीछे जोखिम में कहा गया कि भारतीय अधिकारी व वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि अग्नि-5 मिसाइल कुछ देशों के लिए घातक साबित होगी। इससे यह परिलक्षित होता है कि भारत शक्ति का क्षेत्रीय संतुलन स्थापित करना चाहता है। भारत की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। वह चाहता है कि वैश्विक मामलों में अहम भूमिका निभाए। इसलिए वह सुरक्षा के मामलों में आंतरिक बंधन बर्दाश्त नहीं कर सकता। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के इस मुखपत्र में यह भी कहा गया है कि भारत का लक्ष्य सेना को मजबूत करना और एक प्रमुख शक्ति का दर्जा हासिल करना है। इसके अलावा लेख में यह प्रश्न उठाया गया कि आज के मिसाइल युग में सभी सरकारों के समक्ष यह सवाल खड़ा है कि कितनी मिसाइलें किसी देश की सुरक्षा के लिए पर्याप्त होंगी। नवंबर 2011 में जब भारत ने 3000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली अग्नि-4 मिसाइल का परीक्षण किया गया था तब चीनी मीडिया ने इसकी खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इस परीक्षण के बाद डीआरडीओ के महानिदेशक वीके सारस्वत ने कहा था कि अग्नि-5 का परीक्षण फरवरी 2012 के अंत तक किया जाएगा।
दरअसल चीन के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अग्नि-1 व अग्नि-2 मिसाइलें पाकिस्तान के मद्देनजर तथा अग्नि-3, अग्नि-4 व अग्नि-5 की परिकल्पना चीन को ध्यान में रखकर की गई है। लेख में आगे सुझाव दिया गया है कि भारत को पड़ोसी देशों से शत्रुता रखने के बजाय उनसे सहयोग रखना चाहिए और भविष्य में वैश्विक मंच पर एक भूमिका निभाने के लिए अपनी सोच बदलनी चाहिए। यहां यह सवाल उठता है कि चीन स्वयं तो यही कार्य कर रहा है और भारत को नसीहत दे रहा है। उसने स्वयं ही मध्यम व लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें विकसित ही नहीं की बल्कि उन्हें भारतीय सीमा के नजदीक तिब्बत व शिनजियांग प्रांत में तैनात भी कर रखा है।
चीन की चिंता इसलिए बढ़ रही है कि अग्नि-4 मिसाइल 3000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है और इसकी मारक दूरी को 3500 किलोमीटर तक किया जा सकता है। इस हिसाब से अग्नि-4 की मारक जद में चीन की राजधानी बीजिंग व पूरा पाकिस्तान आएगा। यह मिसाइल परमाणु हथियार सहित विभिन्न प्रकार के रणनीतिक वारहेड ले जाने में सक्षम है। इसी तरह अग्नि-5 मिसाइल 1500 किलोग्राम पेलोड के साथ 3500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है। इसकी मारक जद में चीन के शंघाई व बीजिंग शहर आते हैं। आने वाले दिनों में यदि भारत अग्नि-5 के परीक्षण में सफल होता है तो भारत उन देशों के प्रतिष्ठित समूह में शामिल हो जाएगा जिनका आयुध भंडार अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइलों से लैस है। यह सामरिक क्षमता विश्व में कुछ ही देशों के पास है।
5000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने वाली यह पहली सचल मिसाइल होगी जिसकी मारक जद में चीन के सभी इलाके आ जाएंगे। भारत के पूर्वोत्तर सीमांत से अगर इसे छोड़ा जाए तो यह चीन की उत्तरी सीमा पर स्थित हरबिन को अपनी चपेट में ले लेगी। यह मिसाइल चीन की डोंगफोंग-31ए व अमेरिका की परशिंग मिसाइल की बराबरी वाली है। अग्नि-5 मिसाइल 17.5 मीटर लंबी होगी। तीन चरणों वाली यह मिसाइल देश की पहली कैमिस्टर्ड मिसाइल होगी। यह दस परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम होगी और प्रत्येक अस्त्र से अलग-अलग निशाने लगाए जा सकने की खूबी होगी। इसके तीन खंडों में प्रयुक्त किए जाने वाले राकेट मोटर, सॉफ्टवेयर तथा अन्य आवश्यक पुर्जे विकसित कर लिए गए हैं। अब इनके इंटीग्रेशन का काम चल रहा है। इस मिसाइल को 2014 तक सेना को सौंपा जाना है।
लेखक डॉ. लक्ष्मीशंकर यादव सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं
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