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मराठी में विकीपीडिया

जागरण मेहमान कोना
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दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन संदर्भकोष विकीपीडिया ने मराठी में भी अपना करण आरंभ कर दिया है। हिंदी, गुजराती, संस्कृत, भोजपुरी और कन्नड़ समेत कुछ भारतीय भाषाओं में विकीपीडिया के संस्करण पहले से हैं, लेकिन अब विकीपीडिया की योजना जल्द ही भारत की सभी प्रमुख 22 भाषाओं में अपनी सेवा आरंभ करने की है। विकीमीडिया फाउंडेशन की गैर मुनाफाकारी सेवा विकीपीडिया को बड़ा विस्तार भारत के जरिए मिल सकता है और यह बात विकीपीडिया को बहुत अच्छी तरह से समझ आ रही है। विकीपीडिया ने हाल में अपने सालाना राजस्व संबंधी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कुछ खास बातें हैं। मसलन विकीपीडिया अब हर साल लगभग 20 मिलियन डॉलर एकत्र कर रही है जिससे उसके दैनिक कामकाज का संचालन होता है। इस रिपोर्ट में एक दिलचस्प अंश डोनेशन यानी दान से संबंधित है। इसके मुताबिक विकीपीडिया को दान देने के इच्छुक लोगों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं। विकीपीडिया के 42 फीसदी भारतीय उपयोक्ता उसे दान देना चाहते हैं। यह अलग बात है कि दान देने की सुविधा के अभाव के चलते सभी दान दे नहीं पा रहे हैं। भारत के बाद मिस्त्र और अमेरिका का नंबर है, जहां के 33 फीसदी लोग दान देना चाहते हैं। जर्मनी, फ्रांस और जापान के लोग दान देने की इच्छा रखने के मामले में सबसे पीछे हैं। इस सर्वे रिपोर्ट में एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई कि विकीपीडिया के लगभग 47 फीसदी उपयोक्ता इस बात से अनभिज्ञ थे कि यह गैर मुनाफाकारी योजना है।


विकीपीडिया की साइट पर कोई विज्ञापन नहीं है तो इसकी वजह यही है कि साइट का संचालन दान पर निर्भर है और इसकी परिकल्पना इसी तरह की गई थी। 11 साल पूरी कर चुकी विकीपीडिया ने दान के बूते ही खुद को इस स्तर पर ला खड़ा किया है कि अब जानकारी पाने का यह सबसे प्रमुख स्त्रोत है, लेकिन विकीपीडिया के सामने बड़ी चुनौती विस्तार करने की है। इस चुनौती के हल के रूप में विकीपीडिया को भारत का व्यापक इंटरनेट उपयोक्ता वर्ग दिखाई दे रहा है। भारत में अभी भी विकीपीडिया की उपयोगिता को ठीक से महसूस नहीं किया गया है। विकीपीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों की बहुतायत अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों में हैं जहां से 60 फीसदी से अधिक ट्रैफिक साइट को मिलता है। भारत और चीन जैसे देशों में कुल इंटरनेट आबादी का दस फीसदी भी विकीपीडिया का इस्तेमाल नहीं करती है, लेकिन विकीपीडिया को संचालित करने वाले विकीमीडिया फाउंडेशन की नजर भारत पर है तो इसकी वजह है। भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की तेजी से बढ़ती संख्या विकीपीडिया को नई ऊर्जा दे सकती है। विकीपीडिया ने अमेरिका से बाहर अपना दफ्तर भारत में खोलने के अलावा कई अलग प्रयोग किए हैं। मसलन पुणे में कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के साथ मिलकर विकीपीडिया ने अनूठी पहल की है। इसके तहत बीटेक के पहले सेमेस्टर के 800 से अधिक छात्रों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना विकीपीडिया।


विकीपीडिया ने मुंबई में विकीकॉन्फ्रेंस आयोजित की। विकीपीडिया भारत को केंद्र में रखकर तमाम कार्यक्रम बना रहा है और इस कड़ी में मराठी विकीपीडिया लांच किया गया। मराठी विकीपीडिया पर अभी तक करीब 36 हजार लेख उपलब्ध कराए जा चुके हैं जबकि 2003 में शुरू हुए हिंदी विकीपीडिया पर अभी तक महज एक लाख के करीब ही लेख हैं। अंग्रेजी विकीपीडिया पर 40 लाख से ज्यादा लेख हैं। नि:संदेह इंटरनेट पर उपलब्ध किसी साइट के संदर्भ में अंग्रेजी और हिंदी की तुलना बेमानी है। सवाल हिंदी विकीपीडिया की दुर्दशा का है तो क्षेत्रीय भाषा में तैयार हो रहे नए संस्करणों के प्रति लोगों की दिलचस्पी पैदा करने का भी है। हिंदी और तमाम दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में स्तरीय कंटेंट की इंटरनेट पर अभी भी खासी कमी है। विकीपीडिया इस कमी को दूर करने का बेहतरीन माध्यम बन सकता है।


इस आलेख के लेखक पीयूष पांडे हैं


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