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चीन के गंुसू प्रांत में उत्तरी गोबी रेगिस्तान स्थित झियुक्कान अंतरिक्ष केंद्र से 16 जून को शेनझेउ-9 मानवयुक्त यान को अंतरिक्ष के लिए प्रक्षेपित किया गया। उड़ान भरने के दस मिनट बाद ही यह विमान अपनी कक्षा में पहुंच गया और पूरे चीन में हर्ष की लहर दौड़ गई। इस कार्यक्रम का वहां के सरकारी टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया। इस प्रसारण में जानकारी दी गई कि यह चीन का अब तक का सबसे लंबा और भारी रॉकेट है। चीन के इस सफल प्रक्षेपण से उसकी लंबी दूरी की मिसाइल क्षमता की जानकारी सभी को हो गई है। मानवयुक्त यान शेनझेउ-9 पृथ्वी से 343 किलोमीटर ऊपर स्थित अंतरिक्ष स्टेशन तियांग गोंग-1 पर रहेगा। चीन की योजना यहां पर एक स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की है। मानवयुक्त यान शेनझेउ-9 के साथ प्रथम चीनी महिला अंतरिक्ष यात्री लिउ येंग अपने दो पुरुष साथियों के साथ सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंच गई हैं। 34 वर्षीय लिउ येंग चीन के हेनान प्रांत से हैं। उन्हें मार्च 2010 में मॉडल पायलट के खिताब से नवाजा गया था। अंतरिक्ष में पहुंचने वाली चीन की पहली महिला तथा दुनिया की 57वीं महिला हैं। लिउ येंग का कहना है कि मैं दृढ़ता में यकीन करती हूं और यदि आप दृढ़ हैं तो कामयाबी आपके चरण चूमती है। उन्होंने बताया कि मुझे पहले दिन से ही कहा जा रहा है कि मैं पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों से अलग नहीं हूं। चीन ने पिछले वर्ष एक तकनीक विकसित की थी जिससे अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष केंद्र तियांग गोंग-1 से स्वचालित तरीके से जुड़ गया। शेनझेउ-9 भी इसी तरीके से जुड़ गया है। अब इससे वैज्ञानिक नई जानकारियां जुटाने का प्रयास करेंगे। चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के उपप्रमुख नियू होंगांग के अनुसार इस परीक्षण के लिए चुने गए सात अंतरिक्ष यात्रियों में पांच पुरुष व दो महिलाएं थीं, जिनमें से दो पुरुषों व एक महिला को शेनझेउ-9 के साथ जाना था।
चीन का यह मिशन उस कार्यक्रम का हिस्सा है जिसके तहत वह अपने अंतरिक्ष केंद्र को पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए विकसित कर रहा है। उल्लेखनीय है कि चीन सन 2020 तक 60 टन का मानवयुक्त अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। चीन ने गत वर्ष मानव रहित अंतरिक्ष यान भेजा था। चीन अंतरिक्ष में अपना स्टेशन स्थापित कर अमेरिका व रूस द्वारा संयुक्त रूप से संचालित अंतरिक्ष प्रयोगशाला को टक्कर देना चाहता है। चीन ने अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के लिए 20 नवंबर, 2011 को दो उपग्रह चुआंगक्सिन 1-03 तथा शियान सैटेलाइट-4 प्रक्षेपित किए थे। इनमें से एक उपग्रह का उद्देश्य अंतरिक्ष तकनीक के साथ प्रयोग करना है, जबकि दूसरे उपग्रह का उपयोग कुछ नई जांचों में किया जाएगा।
चुआंगक्सिन 1-03 से मिलने वाले आंकड़ों का उपयोग जल संरक्षण, बिजली आपूर्ति और आपदा राहत के कायरें में किया जाएगा, जबकि शियान सैटेलाइट का उपयोग अंतरिक्ष तकनीक और जलवायु से जुड़ी जांच में होगा। चीन के ये प्रयोग अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के प्रयासों के तहत हो रहे हैं। चीन ने इससे पहले यह कहा था कि वह सन 2011 के अंत तक अपने 25 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की योजना बना चुका है और वह इस पर अमल भी करेगा। चीन की अगली योजना शेनझेउ-10 को प्रक्षेपित करने की है। चीन ने इसके लिए चालक दल का चयन भी कर लिया है। यह अंतरिक्ष यान भी चीन के प्रथम अंतरिक्ष लैब मॉड्यूल तियानगोंग-1 से जोड़ा जाएगा। इसके बाद 10 अन्य अंतरिक्ष यानों के जोड़े जाने की योजना है। चीन का अंतरिक्ष स्टेशन कम से कम 10 वषरें तक कार्य करने में सक्षम होगा। यहां जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण व अंतरिक्ष विकिरण जैसे विषयों पर अनुसंधान कार्य किया जाएगा। इन अनुसंधानों के बाद चीन विश्व की बड़ी ताकतों को टक्कर देगा।
लेखक लक्ष्मीशंकर यादव सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं
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