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बेमिसाल मिसाइल

जागरण मेहमान कोना
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भारत बहुस्तरीय बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा तंत्र को विकसित करने की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। 23 नवंबर को ओडिशा के तट से कुछ ही दूर अभ्यास के तौर पर आवाज की रफ्तार से भी तेज अर्थात सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज के कांप्लेक्स-3 से दोपहर 12.52 बजे पहले पृथ्वी मिसाइल को लक्ष्य की ओर प्रक्षेपित किया गया। इसके बाद चांदीपुर से 70 किलोमीटर दूर स्थित व्हीलर द्वीप से इंटरसेप्टर मिसाइल एएडी ने राडार से संकेत मिलते ही तकरीबन चार मिनट में ही हवा में आने वाली पृथ्वी मिसाइल को समुद्र के ऊपर आसमान में लगभग 15 किलोमीटर की उंचाई पर अपने निशाने में लेकर ध्वस्त कर दिया। इस तरह का यह सातवां परीक्षण था। यह इंटरसेप्टर पाकिस्तान की गौरी मिसाइल को हवा में ही मार गिराने में सक्षम है। यह मिसाइल पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसकी लंबाई साढ़े सात मीटर है।


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यह मिसाइल नौवहन प्रणाली, एक अत्याधुनिक कंप्यूटर और एक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्टिवेटर से लैस है। शत्रु की हमलावर मिसाइल को जमीन पर गिरने से पहले उड़ान के दौरान आसमान में ही उसे नष्ट कर देने वाली मिसाइल को इंटरसेप्टर मिसाइल कहा जाता है। इसे विकसित करने के प्रयास सन 1999 में प्रारंभ कर दिए गए थे। इसका परिणाम 2006 में तब सामने आया जब 27 नवंबर को इसका प्रथम सफल परीक्षण किया गया। इसके बाद 6 दिसंबर, 2007 एवं 6 मार्च, 2009 को इसके सफल परीक्षण हुए। इंटरसेप्टर मिसाइल के संशोधित स्वरूप का अगला परीक्षण 14 मार्च, 2010 को व्हीलर द्वीप से किया जाना था, लेकिन मिसाइल की उप प्रणाली की तकनीकी खामियों के कारण इसे टालना पड़ा। अगले दिन 15 मार्च, 2010 को परीक्षण के समय पृथ्वी मिसाइल अपने पूर्व निर्धारित पथ से भटक गई। इसके बाद 26 जुलाई, 2010 एवं 6 मार्च, 2011 के पांचवे व छठे परीक्षण सफल रहे थे। इस वर्ष 10 फरवरी, 2012 को भी इसका परीक्षण सफल रहा था। इस इंटरसेप्टर मिसाइल का अपना राडार व हमलावर मिसाइल का पता लगाने के लिए डाटा लिंक, आंतरिक संचालन प्रणाली तथा सिक्योर डाटा लिंक हैं। यह सटीक निशाना लगाने की क्षमताओं व अत्याधुनिक राडारों जैसी विशेषताओं से लैस है।


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इंटरसेप्टर मिसाइल शत्रु द्वारा दागी गई किसी भी विध्वसंक मिसाइल की गति, दिशा व समय आदि की गणना करके उसे अति शीघ्र हवा में नष्ट करने की क्षमता रखती है। इसके इंफ्रारेड सेंसर व संवेदनशील कैमरे आसमान की गतिविधियों की सूचना शीघ्र देते हैं। इससे उसे निशाने में लेना आसान हो जाता है। चूंकि इसे मोबाइल लांचर से भी छोड़ा जा सकता है इसलिए युद्धकाल में इस मिसाइल की क्षमता और भी बढ़ जाती है। इस मिसाइल को द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली की योजना के तहत विकसित किया गया है। यह पूर्ण रूप से स्वदेश निर्मित सुपरसोनिक मिसाइल है। 50 किलोमीटर की उंचाई तक शत्रु की मिसाइल को मार गिराने की क्षमता वाली इंटरसेप्टर मिसाइल को अंतरवायु मंडलीय कहा जाता है। यह मिसाइल एडवांस्ड एयर डिफेन्स होती है। इसी तरह 50 किलोमीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर दुश्मन की मिसाइल को ध्वस्त करने वाली इंटरसेप्टर मिसाइल को वाह्य वायु मंडलीय कहा जाता है। इसकी श्रेणी पीएडी होती है। शत्रु की हमलावर मिसाइल से अधिक तेज रफ्तार से चलने वाली एंटी बैलिस्टिक मिसाइल पीएडी हाई सुपरसोनिक है। इस इंटरसेप्टर मिसाइल का भी अपना मोबाइल लांचर तथा राडार है। यह भी तेज गति के साथ दुश्मन की मिसाइल अपने अचूक निशाने में ले लेती है। पीएडी को दुश्मन की मिसाइल चकमा नहीं दे पाती है क्योंकि यह मिसाइल शत्रु की मिसाइल का पीछा करने में अत्यंत माहिर है। इस मिसाइल में इंटरसेप्शन के लिए सुरक्षित डाटा लिंक, होमिंग व टैकिंग के लिए राडार सुविधा उपलब्ध है। यही उन्नत तकनीक की विशेषता शत्रु की मिसाइल को मार गिराने में मदद करती है।

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लेखक लक्ष्मी शंकर यादव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


रक्षा तंत्र ,computer,mesael

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