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अब प्यार से ज्यादा ब्रेकअप में मजा आता है !!

हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
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एक समय ऐसा था जब दो दिलों का मिलना ही किसी के भी दिल को राहत दिया करता था पर अब जब तक किसी का दिल टूट ना जाए या फिर एक प्रेमी जोड़े में से कोई एक मर ना जाए तब तक लोगों को राहत नहीं मिलती है. हां, यहां हिन्दी सिनेमा के उस समय की बात हो रही है जब अधिकांश फिल्मों के अंत में दो दिलों को मिलता हुआ दिखाया जाता था पर आज जरूरी नहीं की फिल्म के अंत में दिल मिलें ही. आज फिल्म की कहानी का अंत कुछ इस तरह का होता है कि प्रेमी या प्रेमिका में से कोई एक मौत को गला लगा लेता है या फिर एक, दूसरे की याद में पागल हो जाता है. फिल्म का ऐसा एंड देखने के बाद दर्शक फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट करा देते हैं.

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चलिए हम आपको ‘आशिकी’ फिल्म के उस समय में ले चलते हैं जब एक प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे के लिए अपने कॅरियर को भी छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं और कहानी के अंत से पहले प्रेमिका प्रेमी से इसलिए दूर हो जाती है क्योंकि उसे अपने प्रेमी का कॅरियर बनाना होता है पर कहानी के अंत में दोनों एक-दूसरे से हमेशा के लिए मिल जाते हैं. अब आप ‘आशिकी 2’ फिल्म की कहानी पर एक नजर डालिए. प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं और प्यार का नशा प्रेमी पर कुछ इस कदर होता है कि वो अपनी प्रेमिका का कॅरियर बनाने के लिए सारी हदें पार कर जाता है. जिस गति से प्रेमिका को कामयाबी मिलती जाती है, प्रेमी उसी रफ्तार से बर्बादी की तरफ बढ़ता रहता है. यहां तक कि लोग उसकी नाकामयाबी पर ताने देना शुरू कर देते हैं. अंत में जाकर प्रेमी प्रेमिका के लिए आत्महत्या कर लेता है.

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ऐसा नहीं है कि आज की फिल्मों में पहले की फिल्मों की तरह क्लासिकल ऑन स्क्रीन रोमांस नहीं होता है पर फिर भी आज लव स्टोरी पर आधारित फिल्मों का निर्देशन कुछ इस तरह से किया जाता है जैसे दर्शकों को प्रेमी जोड़ों का ब्रेकअप देखने में आनंद की प्राप्ति होती हो. कुछ ही समय पहले ऐसी फिल्में भी आई हैं जिनमें प्रेमी, प्रेमिका को दुख पहुंचाकर उसे प्यार करता है और फिल्म की कहानी के शुरू से अंत तक प्रेमी-प्रेमिका को दुख ही देता है फिर अंत में जाकर प्यार का इजहार करता है और प्रेमिका प्यार के इजहार का जवाब ‘हां’ में ही देती है. ऐसी लव स्टोरी का बड़ा उदाहरण इंकार फिल्म है. यदि आप ‘इंकार’ फिल्म को सालों पहले आई ‘डर’ फिल्म से तुलना करके देखें तो आपको इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि कैसे आज फिल्मों में निर्देशक रोमांस के साथ-साथ सस्पेन्स को पैदा करते हैं और फिर अपनी बुनी हुई कहानी के लिए समाज के चलन को जिम्मेदार बता देते हैं. सिनेमाघरों में फिल्म देखने आए दर्शक भी रोमांस, सस्पेन्स और ब्रेकअप इन तीन शब्दों के इर्द-गिर्द ही फिल्म की कहानी का आनंद लेने लगते हैं.

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