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अजीब थी मधुमती और सागर की प्रेम कहानी

हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
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हर साल नई फिल्में आती हैं और चली जाती हैं पर कुछ ही फिल्में ऐसी होती हैं जो लोगों के दिल में घर कर जाती हैं. आपको आज भी मदर इंडिया, देवदास, रंग दे बसंती, 3 इडियट्स, बर्फी जैसी सुपरहिट फिल्मों की कहानी याद होगी और इसी कारण यह फिल्में ऑस्कर अवार्ड की मंजिल तक पहुंचीं पर मंजिल का आखिरी पड़ाव पार ना कर सकीं. ऑस्कर तक पहुंचने का ख्वाब अधिकांश फिल्म निर्देशकों का होता है पर यह ख्वाब हकीकत में कम ही तब्दील होता है. ऑस्कर की दर पर भारतीय फिल्मों का इतिहास काफी निराशाजनक रहा है. भारत की ओर से ऑस्कर में कई फिल्में भेजी गईं पर मंच तक पहुंचने वाली फिल्मों में मदर इंडिया [1957], सलाम बांबे [1988], और लगान [2001]  ही हैं. लेकिन साल 2009 में 81वां ऑस्कर समारोह भारत के लिए पहले की अपेक्षा काफी बेहतर रहा था.

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ऑस्कर में भारत ने सबसे पहले साल 1957 में फिल्म ‘मदर’ इंडिया’ भेजी थी. लेकिन वहां के मंच पर हॉलीवुड फिल्म ‘नाइट्स ऑफ केबिरिया’ से एक सिंगल वोट से यह फिल्म हार गई और तब से लेकर अब तक भारत से बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज श्रेणी के अकादमी अवॉर्ड के लिए मात्र तीन भारतीय फिल्में लगान, सलाम बाम्बे और स्लमडॉग मिलिनेयर नामित की गई पर वहां से भारतीय फिल्मों का नाकाम होकर लौटने का सिलसिला अब तक जारी हैं.


मदर इंडिया [1957]

मदर इंडिया का गाना ‘दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा’ आज भी लोगों को याद हैं. बॉलीवुड निर्देशक महबूब खान ने फिल्म मदर इंडिया को निर्देशित किया था. 1957 में जब यह फिल्म रिलीज हुई तो बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने के साथ-साथ लोगों के दिलों में भी जगह बना गई थी. फिल्म मदर इंडिया में हिन्दी सिनेमा की अभिनेत्री नर्गिस ने मदर इंडिया के किरदार को निभाया है. फिल्‍म मदर इंडिया के एक सीन में बिरजू, रूपा को उठाकर ले जाता है, लेकिन उसके रास्‍ते में उसकी मां राधा खड़ी हो जाती है. राधा विरजू से रूपा को छोड़ने के लिए कहती है, लेकिन उसके न मानने पर वह अपने बेटे को गोली मार देती है और बन जाती हे मदर इंडिया.

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मधुमती [1958]

‘मैं तो कब से कड़ी इस पार, ये अँखियाँ थक गयी पंथ निहार, आजा रे परदेसी आजा रे परदेसी’ यह गाना मधुमती फिल्म का है और इसे लता मंगेशकर ने गाया था. 1958 में रिलीज हुई इस फिल्म को विमल राय ने निर्देशित किया था और अपने मनमोहक नृत्य से वैजयंतीमाला ने लाखों लोगों के दिल को जीता था जिसमें उनका साथ दिलीप कुमार ने निभाया था.


सागर [1985]

1985 में रिलीज हुई सागर फिल्म में एक ऋषि कपूर और डिम्पल कपाड़िया की पर्दे पर केमिस्ट्री लाजवाब रही थी और फिल्म ‘सागर’ में दोनों के बीच फिल्माए गए दृश्य को आज भी दर्शक याद करते हैं.

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परिंदा [1989]

निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्‍म ‘परिंदा’ काफी मशहूर फिल्म रही थी और इस फिल्म में अनिल और माधुरी के बीच के अंतरंग दृश्य खूब मशहूर हुए थे. हिन्दी सिनेमा ही नहीं भारत में तमाम भाषाओं में बनने वाली फिल्में ऑक्सर अवार्ड तक पहुंची थीं और कुछ फिल्में हाल ही में ऑक्सर अवार्ड के लिए लड़ाई लड़ रही हैं जैसे:-


अप्पू संसार [1959] [बांग्ला]

साहब बीवी और गुलाम [1962]

महानगर [1963] [बांग्ला]

गाइड [1965]

आम्रपाली [1966]

आखिरी खत [1967]

गुरु [1997]

लगान [2001]

देवदास [2002]

तारे जमीन पर [2008]

स्लमडॉग मिलिनेयर [2009]

हरीशचंद्राची फैक्ट्री [2009] [मराठी]

पीपली लाइव [2010]

3 इडियट्स [2010]

अबु, सन ऑफ एडम [2011]

बर्फी [2012]


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ऑस्कर

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