Menu
blogid : 11280 postid : 303

रोमांस के लिए बारिश की नहीं मानसून की जरूरत

हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
  • 150 Posts
  • 69 Comments

कहा जाता है कि रोमांस का आनंद बारिश के दिनों में ही आता है पर यह गलत है रोमांस का मजा मानसून के दिनों में भी लिया जा सकता है. अब आप सोच रहे होंगे कि कैसे रोमांस का मजा बारिश से ज्यादा मानसून में लिया जा सकता है इस बात का जबाव आपको हिंदी फिल्मे देंगी. हिंदी फिल्मों में अधिकांश अभिनेता और अभिनेत्रियों को बारिश में रोमांस करते हुए दिखाया गया है पर कुछ फिल्मों में बारिश में रोमांस कराने के बदले मानसून में रोमांस करता हुआ दिखाया गया है. बॉलीवुड ने कुछ हिन्दी फिल्मों के जरिए यह माना है कि “जरूरी नहीं है कि जब तक बारिश में साड़ी और शर्ट बदन से चिपक न जाए, प्यार नहीं हो सकता. ‘सिलसिला’ से लेकर ‘मौसम’ तक कई काबिल फिल्मकारों ने स्वेटर और शाल में भरा है रोमांस, फर्क है तो बस इतना कि वहां भड़काऊ ग्लैमर की जगह है सिर्फ प्यार दिखाया गया है.”

Read:प्यार पर आंखें बंद कर भरोसा मत करना


romance and moviesहिंदी फिल्मों में बारिश के मौसम को भले ही रूमानियत का प्रतीक माना गया हो, लेकिन कुछ फिल्मों में प्यार की रुमानियत को मानसून के मौसम में दिखाया गया हैं. मरहूम यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला की कहानी सर्दियों की बजाए अगर बरसात में फिल्माई जाती तो कैसी लगती? गुलजार के निर्देशन में बनी फिल्म इजाजत का सिर्फ टाइटल ट्रैक बारिश को रिप्रजेंट करता है और पूरी फिल्म एक प्लेटफॉर्म पर शुरू होकर जाड़े के कुछ दिनों में खत्म हो जाती है. गुलजार की लगभग सभी फिल्मों में सर्दियों को आधार बनाकर प्रेम कथा बयान की गई है. यहीं नहीं उनकी फिल्मों के गानों में सर्दियों को प्रमुखता दी गई है. फिल्म मौसम का सुपरहिट गाना ‘दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात-दिन’ में तो अंतरा ही जाड़े के मौसम को समर्पित किया गया है. ‘जाड़े की नर्म धूप में आंगन में लेटकर, आंखों से खींचकर तेरे दामन के साये को’ गीत से लेकर विवेक ओबेराय और रानी मुखर्जी अभिनीत साथिया की प्रेम कहानी के कई दृश्यों में नायक-नायिका आधी आस्तीन के स्वेटर पहनकर एक दूसरे से मिलते हैं. उस फिल्म का भी टाइटल ट्रैक काफी मशहूर हुआ था, जिसके अंतरे की पंक्तियां भी कुछ इसी तरह थी कि ‘पीली धूप पहनकर तुम देखो बाग में मत जाना, भौरे तुझे सब छेड़ेंगे देखो बाग में मत जाना. इस एक गाने में पूरे मौसम की बात कही गई है.

Read:फिगर है तो पढ़ाई की क्या जरूरत ?

गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर कहते हैं, ”आज का वक्त बदल गया है. पहले की कहानियों में जाड़ा एक किरदार के तौर पर आता था जो कहानी को और भी पुख्ता करता था. रोमांस का प्रतीक था जाड़ा, उसके लिए कम कपड़ों की जरूरत नहीं थी. बाद के दिनों में लोगों को जाड़ा एक मेटाफर के तौर पर लगने लगा तो उन्होंने गानों में और कुछ दृश्यों में चुनिंदा तरीके से उसे डालना शुरू किया, लेकिन धीरे-धीरे हमारी कहानियों से मौसम की प्राथमिकता कम होने लगी. अब तो इतना तनाव है कि जीवन में लोगों को मौसम के हिसाब से रोमांस की फुर्सत कहां? शायद यही वजह है कि बरसात को उत्तेजित करने वाले दृश्यों के साथ आइटम सॉन्ग या कहानी से बेमेल दिखने वाले गाने बनाए जा रहे हैं. अब तो आलम है कि किसी एक फिल्मकार को बर्फ से प्यार होता है तो अलास्का, कनाडा या फिर कश्मीर में शूट करता रहता है. उसकी हर फिल्म की कहानी की शूटिंग वहीं होती हैं.”


आज के कुछ फिल्मकारों का मानना है कि ”हर कहानी के अनुसार लोकेशन की जरूरत होती है. जब कोई इंटेंस प्रेम कहानी बताई जा रही हो तो उसमें बरसात की शूटिंग का कोई सवाल नहीं पैदा होता. अगर ऐसा कहीं स्क्रिप्ट में लिखा भी होगा तो हम निर्देशक से कंसल्ट कर उसको बदलवाने की कोशिश करेंगे, क्योंकि उससे पूरी फिल्म की क्वालिटी पर असर पड़ता है. इंडस्ट्री के बॉक्स ऑफिस पंडितों की मानें तो अब वैसी कहानियां नहीं है और ना ही वैसा दौर है. सब कुछ तीव्र है और प्रैक्टिकल है. ऐसे में स्वेटर या शाल में लिपटा नायक आपको पिछली बार किसी फिल्म में दिखा था, याद करना होगा. उदारीकरण के बाद दर्शकों की पहुंच विश्व सिनेमा तक हो गई है, ऐसे में अगर आप उनको आदर्शवादी नायक या फिर खलनायक दिखाएंगे तो उनको पचेगा नहीं. बरसात इस वजह से बरकरार है, क्योंकि यह मौसम लोगों को उत्तेजित करता है.

Read:आज भी लाखों दिल फिदा जीनत की जवानी पर


Tags: romance and love, romance and bollywood movie, bollywood romance, bollywood style, bollywood hit movies, बॉलीवुड और रोमांस, फिल्म की कहानी और रोमांस

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh