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भय की कोख से शान्ति पैदा नहीं होती

चातक
चातक
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सभी विद्वान् पाठकों से गुजारिश है कि विवेकहीन एवं अशोभनीय तर्क ना रखें मैंने अगर कुछ गलत कहा हो तो उसकी आलोचना आप खुले दिल से करें स्वागत है |

सितम्बर में श्रीरामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर आने वाले फैसले को लेकर काफी गहमा गहमी मची हुई है हम और आप भी कहीं न कहीं इस विवाद से जुड़े हैं इसलिए बहुत से लोगों का चिंतित होना जायज़ है| बानगी ही दिखा रही है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर बहुत से ब्लॉग और बहुतेरे कमेंट्स देखने को मिलेंगे | बेहतर होगा कि हम इस मंच पर सभी प्रकार की अभिव्यक्तियों को खुले दिल से स्वीकार करे और अगर कोई भी ब्लॉग इस मंच पर सिर्फ तर्क रहित वितृष्णा एवं द्वेष की भावना से लिखा जाए तो उस पर किसी भी अच्छी या बुरी कमेन्ट न करें व्यक्ति अपने आप हतोत्साहित होकर शांत हो जाएगा|

हम भीरुता धारण ना करें तो बेहतर होगा | कुछ लोगों का मानना है कि फैसला आने से सामजिक समरसता और शान्ति पर फर्क पड़ेगा इसलिए फैसला न आता तो बेहतर था| ये भय मन से निकाले शान्ति भय की कोख से जन्म नहीं लेती, भय की कोख से कायरता जन्म लेती है साहस के साथ उत्पन्न परिस्थितियों का सामना करे और दूसरों को भी प्रेरित करें | अगर आपमें साहस नहीं तो भी चुपचाप तटस्थ रहें क्योंकि शान्ति प्रलय के बाद ही आती है इस समय का सन्नाटा आने वाले तूफ़ान के सूचना है जिसके बाद एक पूर्ण शांति और सद्भाव का वातावरण जरूर बनेगा आप कायरता धारण करके तूफ़ान को रुक जाने की कामना कर रहे हैं तो करिए लेकिन अन्य जो उस तूफ़ान से जहाज को कैसे निकाला जाय की तदबीर कर रहे हैं उनके राह में रोड़े मत अटकाईए| क्या अपने ऊपर, अपने ईश्वर पर और अपने पौरुष पर विश्वास नहीं रहा जो कायरों जैसी सोच रखते हो क्यों सोचते हो कि क्या होगा? ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोस्त्व कर्मणि’ फैसले का खुले दिल से स्वागत करो | न्याय का सम्मान करो, अन्याय के समक्ष घुटने मत टेको |

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