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“माँ मेरी प्यारी माँ”

कलम...
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मेरे कंठ से फूटता सबसे पुण्य महात्मय उच्चारण है माँ !
इस पंचसंवत्सरात्मक युग का सबसे सतयुगी आचरण है माँ !
तुझमे ही समाहित साम-अथर्व-यजुर-ऋग वेदों का ज्ञान !
तू ही मीमांसा-वेदान्त-न्याय-वैशेषिक-सांख्य-योग शास्त्रों का सिखाया माँ !!

तू ही नभ-धरा-जल-अग्नि-वायु, पंचतत्व की पालक-पोषक !

तू ही पग-पग पर मेरी सरंक्षक , तू ही  मेरा साया माँ !!

माँ मेरी प्यारी माँ !!

****

तुझमे तेरह उपनिषदों, अट्ठारह पुराणों, उपपुराणों का सार !
तुझमे ही तीनो लोक और चोदह भुवन समाया माँ !!

तेरे चरणों में शीश नवाते है, ८४ करोड़ देवी-देवता !
तुने ही सत-द्वापर-त्रेता-कलि युगों को सँवारा है माँ !!
मै अभागा अभिशापित भटक रहा था अगणित योनियों मे  !
तेरे कोख-स्वर्ग से मैंने मनुमुक्ति का सुवर पाया माँ !!
माँ मेरी प्यारी माँ !!

***

मेरी बलइयां हरने को बाँधी, पैरो मे  मन्नत की पैजनियाँ !
वात्सल्य-लाड की मालिश से सींची क्षीण बदन की कलियाँ !!
काली नजर की काली छाया से काजल लगा बचाया माँ !
और बुरी नजर को कान मरोड़ तुने आग लगाया माँ !!
तेरी ही लोरी पर चन्दा मामा ने दही-पकोड़े खिलाया माँ !
तू ही हरिद्वार-मथुरा-काशी-मक्का मदीना-काबा माँ !!
माँ मेरी प्यारी माँ !!

***

तेरी गोद में आकर जन्नत का आराम भी फीका !
तेरे दूध के आगे अमृत झूठा और बेकाम !!
तेरा आँचल की छैयाँ अभेद कवच है मुझ पर !
तेरी ममता की पनागनाह इबादत से ज्यादा माँ !!
कोई छालिक शब्द क्या कहेगी तेरी महिमा-गाथा !
बारोह माह पूरे जीवन इक सा तेरी ममता का मौसम माँ !!
माँ मेरी प्यारी माँ !!

***

सिरजी तुने ही मुझमे सदाचरण की क्यारी !
मेरी अठखेलियाँ-किलोल तेरी ममता की प्यासी माँ !!
मेरे उदरपूर्ति को लेम्प की लौ में चूल्हे पर जारि माँ !
अपनी नींदे जोड़-जोड़ मुझको मीठी नींद सुलाती माँ !
तुने ही जीवन का प्रथम शब्द-ज्ञान-कदम सिखाया माँ !
तेरे चरणकमल में मेरा रामेश्वरम-बद्री-केदार-द्वारिका समाया माँ !!
माँ मेरी प्यारी माँ !!

***

मेरे कपोलो पर नन्ही बुँदे भी माँ को झर-झर नदिया कर देती है !
माँ मेरे हर अगलात अस्काम को गंगा सा नहलाती है !!
नुक्ताची जब करते है  मुझ पर शब्द-शूल से प्रहार !
बन सिहनी माँ फिर वक्र नजरो से लड़ जाती है !!
माँ के हाथ की सुखी रोटी भी छप्पन भोग से बढ़कर !
माँ मेरी सुबह की पूजा, और शाम की आरती है माँ !!
माँ मेरी प्यारी माँ !!

***

माँ करुणा की सागर , दया की देवी है !
एक वक़्त की भोजनग्रहणी, तीन दिवस व्रतनी है !!
जब दुआरे आते है भिक्षाटन को भिक्षु !
माँ परोपकारवंद दे उन्हें स्नेह से गले लगाती है !!
हमारे परिवार की शक्ति और आत्मा है माँ !
करती नहीं भेद तू पुत्र  रावन हो या राम,माँ !!
माँ मेरी प्यारी माँ !!

***

माँ का प्यार किसी कल्पतरु पर नहीं उगता !
तेरा प्यार अनमोल अनश्वर अतुल्य न्यामत है माँ !!
माँ का प्यार पनपता है उफनता है निरंतर बढ़ने को !
गर्भ के नोमासे से मृत्यु के मुहाने तक वरदान है माँ !!
माँ का रूप गीता-बाइबल-कुरान हर ग्रन्थ से पावन !
ठुमरी-दादरा-गामको-कजरी, सात सुरों की मधुरिमा है माँ !!
माँ मेरी प्यारी माँ !!

***

पिताजी की जीवन-संगिनी संजीवनी है माँ !
तेरे आँखों में जो आँसू भी जो देखू तो मर जाऊं माँ !!
जीवन सफल हो मेरा जो तुझको तेरी खुशियाँ दे पाऊं माँ !
हूंगा किस्मत वाला जो तेरे चरणों की जूती भी बन पाऊं माँ !!
जीवनदायनी मातेश्वरी श्रृष्टि का आधार है तू माँ !
मै तेरे ही बदन को तो टुकडा हूँ माँ !!
माँ मेरी प्यारी माँ !

***

है इतिहास गवाह माँ की विराट ममता का !
जब गांधारी ने दुर्योधन को अपना पुण्य-प्रताप गवाया था !!
कैकयी ने पुत्र भरत को भगवन राम को ठुकराया था !
लीलामय लीलाधर को माँ देवकी ने ही जन्माया था !!
और यशोधा मैया ने मुरलीवाले को पार लगाया था !
सीता माँ ने वन में भी लव-कुश को अस्वमेध विजयी बनाया था !!
बस ऐसी ही भोली बहुत भोली है मेरी माँ !
माँ मेरी प्यारी माँ !!

***

सहश्त्रों अब्दों में भी न गढ़ पाए जिसे तुलसी-बाल्मीकि !
ना कबीर-रसखान ना खानखाना ऐसी कोई कलम जनी !!
बद सके न कोई सतमई,श्लोक ,ग्रन्थ,ऋषि  न ही वेदव्यास!
कालिदास,कौटिल्य भी गौण माँ की महिमा इतनी अपरमपार !!
माँ की ममता अविरल, अक्षय,अंतहीन,असीमित !
वह कुबेरधनी से भी अतिशय धनी माँ है जिसके पास !!

मेरे तन-मन  के गोशे-गोशे में तेरा प्यार समाया माँ !

कर रहे त्रिभुवन ,त्रिदेव, सर्वदेव,देवी  पुष्पवृष्टि आज आकाश से !!

की लिख रहा हूँ तू खुद ही पूरक , सबसे ऊपर है मेरी माँ !
माँ मेरी प्यारी माँ !!

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