- 14 Posts
- 19 Comments
पिछले कई दिनों से कुछ लिखना चाह रहा था | आज सुबह भी काम पर जाते समय सोच रहा था की लौटूंगा तो जरुर कुछ लिखूंगा | ढलती शाम के साथ – साथ कागज -पेन लेकर बैठ गया , सोचा एक टूटी फूटी कविता ही लिख लूँ | मन को चैन तो मिलेगा | लेकिन सब बेकार | देर तक कागज-पेन लेकर बैठा रहा | बार-बार पेन कागज पर दौड़ने निकलता लेकिन लडखडा जाता और फिर रुक जाता | कई बार पेन को दौडाना चाहा लेकिन हर बार वही परिणिति | नाराज होकर पेन ने भी पूछ लिया ” भाई ! लिखना क्या है ? ए तो बता दो ! ”
” लिखना ! हाँ लिखना क्या है ! लिखने के लिए कोई बात तो होनी चाहिए ! ” मैंने सोचा | लेकिन अब लिखने वाली बात कहाँ से लाऊं ?
कागज पेन रख देर तक सोचता रहा , लेकिन दिमाग पर तो जैसे कर्फु लगा था , लिखने वाली कोई बात बाहर ही नहीं आ पाई |
देर तक सर खपा लेने के बाद लगने लगा कि काश ! लिखने वाली बातों की भी कोई दुकान होती तो कितना अच्छा था |
हम वहां जाते और जिस तरह की बात लिखनी होती उसे खरीद लाते | बातों की भी कई कैटेगरियां होतीं | हर केटेगरी के अलग-अलग दाम |
हमारे समाज में दार्शनिक बातों का बड़ा महत्व होता है | अगर कोई दार्शनिक बात कहे तो उसे बड़ा ज्ञानी विद्वान समझा जाता है | ऐसे में दार्शनिक बातों का दाम ज्यादा होता |
प्रेम की बातों का भी जबरदस्त स्कोप होता | इस घोर व्हात्सेपिये , फेस्बुकिये दौर में प्रेम की बातों की खूब बिक्री होती |दुकानदार तो कुछ ही दिन में करोडपति बन जाता |
राजनितिक बातों की तो बात ही निराली होती | राजनितिक बातें करना आपकी समझ को ISO वाला सर्टिफिकेट देने की तरह है | बस किसी चाय की या पान कि दुकान पर खड़े होकर दो-चार अच्छी बातें झाड़ दीजिये , फिर देखिये आप पर फूल बरसने लगेंगे | कल तक जहाँ आप बेवकूफी में मास्टर समझे जाते थे वहीँ अब समझदारी के उस्ताद मन लिए जायेंगे |अत: जिस किसी को समझदार बनने का चस्का लगता वह दुकान से राजनीती वाली बाते खरीद लेता | लेकिन बस इतनी शर्त होती की सुनने वाले किस पार्टी के समर्थक हैं इसी हिसाब से बातों का चयन भी करना पड़ता नहीं तो मामला उल्टा भी हो सकता है |
अरे …..एक मिनट ..! यह तो मैं भुला ही जा रहा था कि आज कल राजनीती में दे लात ! ले लात ! वाली स्थिति हो गयी है |
ऐसे में राजीनीतिक बातों की उग्र प्रजाति का भाव ज्यादा होने पर भी खूब बिकता |
इसके अलावा भी बातों की कई प्रजातियाँ होतीं जैसे कि- भुतहा बातें , हंसने वाली बातें , रोने वाली बातें , झगरह्वा , सर फोड़ुवा , और भी कई तरह की बातें |
लेकिन सत्य तो यही है की मुझे ऐसी किसी दुकान का पता नहीं मालूम | आपको है ?
Read Comments