CHETANA चेतना
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किसी के दामन में सिर, छिपाके रोना चाहता हूँ ।
माँ तेरे आँचल की छाँव में, मैं सोना चाहता हूँ ।१।
जाने कितनी ही रातें होंगी, बिन सोए तूने काटी।
तेरे हर कष्ट का जवाब मैं, अब होना चाहता हूँ ।२।
मेरी खातिर बहाए हैं, माँ आँसू जो भी तुमने।
एक माला मैं उनकी आज, पिरोना चाहता हूँ।३।
सताया है रुलाया है माँ को, तूने ही बनाया है।
माँ के वास्ते खुशी का, तुझसे दोना चाहता हूँ।४।
बहनें मेरे वास्ते दुआ, सलामती की करती हैं।
मैं भी उनके वास्ते, खुशियाँ बोना चाहता हूँ ।५।
बात बेटियों की, न हो तो, अधूरी है ये कहानी।
हर दौलत मैं बेटियों के नाम, खोना चाहता हूँ।६।
माँ बहन और बेटी ही तो, होती हैं घर का गहना।
इन गहनों में हर खुशी को, मैं पिरोना चाहता हूँ।७।
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