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केजरीवाल का हर कदम स्टंट (jagran junction forum)

ijhaaredil
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दिल्ली विधानसभा चुनावोँ मेँ चमत्कारिक प्रदर्शन कर हरदिल अजीज और सभी के नूरे नजर बने श्रीमान अरविन्द केजरीवाल आज सभी की आँखोँ की किरकिरी बन गये हैँ । उनके हर कदम को सराहने तथा मुक्त कंठ से प्रशँसा करने वाला मीडिया आज उनको ड्रामेबाज, नौटंकीबाज, दिखावाखोर जैसे विशेषणोँ से अलंकृत कर रहा है । आइये देखते हैँ इसका क्या कारण है?

अरविन्द केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी की पैदाइश भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना आँदोलन के गर्भ से हुयी । भ्रष्टाचार के जहरभरे और दमघोटू वातावरण मेँ जैसे ही लोगोँ को केजरीवाल रूपी एक ताजा हवा का झोँका आता दिखा तो उन्होने इसका तहेदिल से इस्तकबाल किया । जिसका सबूत दिल्ली विधान सभा के चुनाव हैँ ।

यहीँ से गङबङी शुरू हो गयी । कहा जाता है कि कामयाबी पाना तो आसान है, लेकिन कामयाबी को सम्भालना बङा ही मुश्किल है । पहले तो उन्होँने गलत तरीके से सरकार का गठन किया, फिर मन्त्रियोँ की आये दिन अधिकारियोँ से टकराहट, उपर से केजरीवाल द्वारा घोषित धरना, जनता मेँ गलत संदेश लेकर गये । जनता को लगने लगा कि केजरीवाल का मकसद सुर्खियाँ बटोरना है तथा इससे उनकी लोकप्रियता का ह्रास होने लगा । सबसे बङी गलती केजरीवाल 49 दिन बाद ही मुख्यमन्त्री पद से त्यागपत्र देकर की । इसका मतलब लोगोँ ने निकाला कि केजरीवाल वादे पूरे नहीँ कर सकता था, इसलिए छोङकर भाग गया ।

कामयाबी को पचाना आसान नहीँ होता । दिल्ली फतह के बाद केजरीवाल सोचने लगे कि अब तो प्रधानमन्त्री पद उनकी मुटठी मेँ है । वह नरेँद्र मोदी को अपना प्रतिद्वन्दी समझने लगे और मोदी की छवि खराब करना ही अपना ध्येय बना लिया । लेकिन जितनी ज्यादा वे मोदी की बुराई करते, उससे कई गुना ज्यादा उनकी अपनी छवि गिर गयी । केजरीवाल अपना मुख्य मुद्दा यानि भ्रष्टाचार विरोध तो भूल गये, और सेक्युलरिज्म-2 चिल्लाने लगे । लोगोँ को लगा कि वे अन्य नेताओँ की तरह वही घिसे पिटे राग अलाप रहे हैँ ।

केजरीवाल ने मीडिया के बारे मेँ भी एक गलत टिप्पणी की थी कि अगर वे सत्ता मेँ आये तो मीडिया वालोँ को जेल भेज देँगे । वे ये भूल गये कि उनके उत्थान मे मीडिया की कया भूमिका थी ।

केजरीवाल द्वारा लिये गलत फैसले जैसे बार-बार हमलोँ के बावजूद सुरक्षा लेने से इँकार करना, गुजरात जाकर मोदी को बदनाम करने की कोशिश करना, वाराणसी मेँ मोदी के खिलाफ चुनाव लङना और अब जुर्माना न भरकर के जेल चले जाना, यही साबित कर रहे हैँ कि केजरीवाल का एकमात्र उद्देश्य लाइमलाईट मेँ रहना व जनता की सहानुभूति हासिल करना है । इसीलिए आज उनके हर कदम को स्टंट माना जा रहा है ।

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