- 83 Posts
- 164 Comments
किसी शायर ने बिल्कुल ठीक ही कहा है :-
“वक्त की बात गज़ब है प्यारे,
पल मेँ प्यादे वजीर होते हैँ,
और एक जरा सी भूल पर,
शहजादे फकीर होते हैँ”
केन्द्रीय मन्त्री व भाजपा नेता गोपीनाथ मुण्डे की आकस्मिक मृत्यु की खबर सुनकर दिल को सदमा लगा । साथ ही साथ ही मन इस सोच मेँ डूब गया कि वक्त कितना बलवान है , इन्सान अगले क्षण मेँ किस परिस्थिति का सामना का सामना करने जा रहा है, कोई नहीँ जानता । कदम उठाना तो इन्सान के वश मेँ है, लेकिन वह कदम फूल पर पङे या अंगार पर जले, यह तो वक्त ही जानता है ।
श्रीमान मुण्डे साहब घर से निकले थे मुंबई जाने के लिए । वहाँ से उन्हेँ अपने संसदीय क्षेत्र जाना था जहाँ उनके सम्मान मेँ एक कार्यक्रम आयोजित होना था । वक्त खुशी का था । लेकिन क्या हुआ यह हम सब जानते हैँ । मुण्डे साहब मुम्बई पहुँचे, लेकिन सुबह नहीँ दोपहर बाद, जीवित नहीँ एक मृत शरीर के रूप मेँ । कार्यक्रम भी आयोजित हुआ, लेकिन उनकी अंत्येष्टि का । दुख का वक्त ।
पलक झपकते ही यह अनमोल शरीर जिस पर मनुष्य गर्व करता है, महत्वहीन हो जाता हैँ । अस्तित्व मिट जाता है । सारी योजनाऐँ धरी की धरी रह जाती हैँ । इस संदर्भ मेँ एक मेरे मित्र महाभारत का एक प्रसंग अकसर मुझे सुनाते हैँ जो कि इस प्रकार है ।
महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ । पाण्डवोँ को विजयश्री मिली । कहते हैँ सफलता व्यक्ति को दम्भी बना देती है । एक दिन अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण से कहने लगे ” वासुदेव ! आपने रणक्षेत्र मेँ मेरा और मेर गाँडीव का कौशल देखा, मैँने इसकी सहायता से शत्रुओँ को धूल धूसरित कर दिया” । भगवान समझ गये कि अर्जुन के मन घमण्ड की भावना अँकुरित हो रही है । अतः इसको सही राह पर लाना पङेगा । श्रीकृष्ण अर्जुन से बोले “पार्थ! मेरे साथ ये कुछ गोपिकाऐँ हैँ, तुम कल सुबह इन्हे पङौस के नगर मेँ छोङ आना” । अर्जुन बोले “जो आज्ञा, प्रभु” अगली सुबह अपने रथ पर सवार होकर गोपिकाओँ को साथ लेकर अर्जुन पङौस के नगर की ओर रवाना हुए । रास्ते मेँ अर्जुन जैसे ही भीलोँ के एक कबीले के समीप से गुजरे तो भीलोँ ने उनका रास्ता रोक लिया और कहा कि इतनी सारी सुन्दर स्त्रियोँ को कहाँ लेकर जा रहा है, ला इन्हेँ हमेँ दे । अर्जुन ने भीलोँ को युद्ध के लिए ललकारा । भयँकर सँग्राम हुआ । अर्जुन पराजित हुए तथा भीलोँ ने उन्हेँ एक पेङ से बाँध दिया । कुछ देर बाद भीलोँ का सरदार जो छिपे हुए भेष मेँ भगवान कृष्ण स्वयं थे अपने वास्तविक रूप मेँ आये और बोले “कहो अर्जुन, अब क्या हुआ तुमको और तुम्हारे गाँडीव को” अर्जुन बहुत लज्जित हुए और क्षमा माँगने लगे । तब कृष्ण बोले ” अर्जुन, व्यक्ति बलवान नहीँ होता, समय बलवान होता है । महाभारत तुम्हारा अच्छा समय था, तुम विजयी हुए, लेकिन आज तुम्हारा समय नहीँ था तो तुम साधारण भीलोँ से भी पराजित हो गये ।” अर्जुन को शिक्षा मिल गयी । उसका अहंकार दूर हो गया ।
“पुरूष बलि नहीँ होत है,
समय होत बलवान,
भीलन लूटीँ गोपिका,
वही अर्जुन वही बान”
Read Comments