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1. आधे अधूरे इल्म पर मगरूर हैँ इतना,
कि कुऐँ को ही समन्दर समझ बैठे हैँ,
2. हौसला हार को जीत मेँ तब्दील कर देता है,
कभी-2 यह जज्बा तकदीर बदल देता है,
3. मत होना ऐ दिल मगरूर खुशहाली मेँ,
वर्ना कोई हाल भी न पूछेगा बदहाली मेँ,
4.डूब जायेगी गर कश्ती तो घबराना कैसा,
मैँ तैरकर दरिया के पार उतर जाउँगा,
5. सँघर्ष से बढकर सँघर्ष का ज़ज्बा होता है,
इकतरफा जीत मेँ कहाँ मजा होता है,
6. रिश्तोँ को दोनोँ हाथोँ से सम्भालना,
आईना गर गिरा तो टुकङे बिखर जायेँगे,
7. दीपक को बुझाती है, शोलों को भड़काती है ,
दुनिया हवा है, कमजोर को सताती है ,
8. मत खोल जुबां ऐ दिल, बेगानों की महफ़िल में ,
कहते हैं बिन मांगी सलाह की वकत नहीं होती,
9. लाशों को देखकर मेरा दिल भी, दहला था,
मैं भी इंसान हूँ, कोई पत्थर का बुत नहीं ,
10. काटकर दरख्तों को कैसा सितम कर डाला,
अपने हमदर्दों को, खुद हाथ से क़त्ल कर डाला
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