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कहीँ मजहबी दंगा,
कहीँ जातीय हिसाँ,
कही अस्मत लूटकर
कर दी जाती हत्या,
कहीँ भूमि विवाद मेँ
बिछती लाशेँ,
कहीँ नाजायज सम्बन्धोँ
ने काट दी सासेँ,
चोरी, डकैती तो
मामूली बात हैँ,
ऐसे आज
राम, कृष्ण की
जन्मभूमि के हालात हैँ ।
हे भगवान! ये क्या हो गया है गंगा जमुनी तहजीब के प्रदेश को? मैदाने जँग मेँ भी शायद एक दिन इतनी लाशेँ न गिरती होँ जितने लोग आज उत्तर प्रदेश मेँ रँजिश, लूट, दँगोँ की वजह से प्रतिदिन काल के गाल मे समा रहे हैँ । सुबह अखबार खोलते ही खूनी मँजरोँ आँखोँ के सामने आ जाता हैँ । पन्ने-पर हत्याओँ की खबरेँ! और हत्या भी इतनी निर्दयतापूर्वक कि पढने वाले के रोँगटे खङे हो जायेँ । धारदार हथियारोँ से वार, चाकू घोँपना आदि आज बच्चोँ के खेल जैसा हो गया है । क्या हो गया है मेरे प्रभु! आज इँसान को, क्या दया, सहनशीलता, भाईचारा, संवेदनशीलता आदि गुणोँ का ह्रास होना ही हमारे सभ्य और आधुनिक होने के प्रतीक हैँ ।
बदायूँ मेँ जिस निर्मम ढँग से दो नाबालिग बहनोँ को दरिन्दोँ ने अपनी हवस का शिकार बनाकर फाँसी लटका दिया, इससे तो लगता है प्रदेश मेँ मत्स्य न्याय वाली स्थिति पैदा हो गयी है । हो भी क्योँ न, जब प्रदेश के मुख्यमन्त्री के पिता स्वयँ अपनी चुनावी सभाओँ मेँ यह कहते घूमे कि लङकोँ से गलती हो जाती है, बलात्कार के लिए मृत्युदण्ड का प्रावधान उचित नहीँ है । तो ऐसी सरकार के राज मेँ क्या होगा, इसका अँदाजा हर कोई लगा सकता है ।
उत्तर प्रदेश मेँ एक कहावत है कि सपा सरकार के आते ही गुँडे अपने जँग लगे हथियारोँ को धार लगाना शुरू कर देते हैँ । आज प्रदेश के हालात इतने बदतर हैँ कि कहीँ रेल लुट रहीँ तो कहीँ दिन दहाङे बैँक डकैती हो रही हैँ । पुलिस मूकदर्शक । मेरठ मेँ पुलिस दल की आँखोँ के सामने बिलाल ने शुभम को गोली मार दी और पुलिस लाचार व मजबूर खङी होकर तमाशा देखती रही ।
वैसे तो प्रदेश की जनता ने मौजूदा सरकार के विरूद्ध अपना आक्रोश लोकसभा चुनावोँ के माध्यम से कर दिया है, लेकिन जरूरत है कि ऐसे तुच्छ मानसिकता वाले नेताओँ को हमेशा-2 के लिए नकार दिया जाये ।
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