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Admissions in Business Schools-बी स्कूल का चयन करते समय बरते सावधानी

नई इबारत नई मंजिल
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Admissions in Business Schoolsकैट (Common Admission Test-CAT) का एग्जाम हुआ फिर परिणाम आया, कई कैंडिडेट की आईआईएम-भारतीय प्रबंधन संस्थान (Indian Institute of Management) से कॉल आई और अधिकतर इससे वंचित रह गए। जिनकी कॉल आई है, वह ग्रुप डिस्कशन व इंटरव्यू (Group Discussion and Interview) में सफलता के बाद आईआईएम (Indian Institute of Management) में प्रवेश के हकदार होंगे। देश के 11 आईआईएम (Indian Institute of Management) में लगभग 2650 सीटें हैं। इसलिए सबको आईआईएम में प्रवेश मिल पाना सम्भव नहीं है। बेहतर प्रदर्शन के बावजूद यदि आपको आईआईएम में जगह नहीं मिल सकी है तो परेशान होने कि बात नहीं है, क्योंकि लगभग 150 कैट एलाइड इंस्टीट्यूट्स (Allied Institute) को मिलाकर करीब 3500 बी-स्कूल (Business Schools) हैं, जो कैट (Common Admission Test-CAT) के स्कोर के आधार पर प्रवेश देते हैं। इस भीड में से कई ऐसे संस्थान हैं, जिसमें स्टडी करके अच्छी सैलरी (Salary) पा सकते हैं। मौजूदा संस्थानों में निश्चित तौर पर बहुत अच्छे, अच्छे और कम अच्छे संस्थान शामिल होंगे। आप यह बात ध्यान रखें कि जितने अच्छे संस्थान में आप दाखिला (Admission) लेंगे, उतनी ही अच्छी ट्रेनिंग मिलेगी और प्रतिभा निखरकर सामने आएगी।


जांचें मान्यता

कैट (Common Admission Test-CAT) में यदि आपका प्रदर्शन उम्दा रहा है तो प्रवेश (Entry) के लिए कई बी-कॉलेजों से कॉल आएगी। या फिर आप किसी विशेष संस्थान में प्रवेश का मन बना चुके हैं तो बेहतर होगा कि यह जरूर मालूम कर लें कि उस संस्थान की मान्यता (Recognition) है कि नहीं। संस्थान की संबद्घता किस आधार पर है। जिस आधार पर वह संस्था से सम्बद्घ है, उसके मानकों पर वह खरा है कि नहीं।


जानें नियम

यदि आप अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हैं, तो कभी ठगी का शिकार नहीं होंगे। अधिकारिक तौर पर संस्थान केवल आपका माइग्रेशन सर्टिफिकेट (Migration Certificate) रख सकता है। प्रमाण पत्र सत्यापन (Certificate Verification) के बाद वापस कर दिए जाते हैं। इसलिए सत्यापन के बाद अपने प्रमाण पत्र अवश्य ले लें।


Admissions in Business Schools 1कैसी है फैकल्टी

स्कूल की फैकल्टी (Faculty) के बारे में जानकारी अवश्य करें। जो टीचर आपको पढाएगा, उसकी उस फील्ड में क्या विशेषज्ञता है। कहां से एजुकेशन हासिल की है, जानना बहुत आवश्यक है। इसके साथ ही स्कूल में आने वाली विजिटिंग फैकल्टी (Visiting Faculty) के बारे में जानकारी अवश्य करनी चाहिए। जो अतिथि शिक्षक टीचिंग के लिए आते हैं, वह किस संस्थान से हैं,उनका क्या प्रोफाइल (Profile) है। जिस फील्ड में व्याख्यान के लिए बुलाए जाते हैं, उस क्षेत्र के वह विशेषज्ञ हैं भी की नहीं। यह सारी जानकारी स्टडी कर रहे सीनियर्स (Seniors) से बेहतर दूसरा कोई नहीं दे पाएगा।


प्रैक्टिकल अप्रोच जरूरी

स्कूल की रैंक (Rank) देखकर चयन न करें। पिछले तीन वर्षो की रैंक की तुलना विशेषज्ञों एवं बिजनेस पत्रिकाओं (Business magazines) से करें। क्योंकि प्लेसमेंट (Placement) के समय कंपनियां रैकिंग्स के अलावा स्कूल को प्राथमिकता देती हैं और पिछले वर्ष के कैंपस प्लेसमेंट (Campus Placement) को ध्यान में रखती हैं। छोटे शहरों के बी-स्कूल कैंपस (B-School campus) में 25 कंपनियों को लाने के लिए मशक्कत करनी पडती है। ऐसे में प्रैक्टिकल अप्रोच (Practical Approach) यही है संस्थान की प्लेसमेंट प्रणाली (Placement System) को जरूर समझें। जैसे कॉलेज का प्लेसमेंट कैसा है? पिछले वर्षो में प्लेसमेंट की क्या स्थिति रही है। कौन-कौन सी कंपनियां पिछले वर्षो में आई हैं और क्या पैकेज (Package) दिया और किन शर्तो पर कितने स्टूडेंट्स को नौकरी (Jobs) दी हैं। अगर आप बी-स्कूल (B-School) का चयन करने निकले हैं, तो विज्ञापन की चकाचौंध से बचें। कई संस्थान ऐसे हैं जो एडमिशन लेने पर फ्री लैपटॉप (Free Laptop), विदेशों का दौरा कराने का प्रलोभन देते हैं। यदि विदेश टूर (Foreign Tour) की बात करते हैं तो यह अवश्य देखें कि विजिट टूर (Visit Tour) है या फिर एजुकेशनल।


अनिल सिंह

निदेशक, जेनिथ अकादमी

अभिभावक का रोल

बी-स्कूल से कॉल आने पर अभिभावक को स्वयं जाकर संस्थान की पडताल करनी चाहिए। उसकी खूबसूरती को चयन का आधार नहीं बनाना चाहिए। बेहतर संस्थान का चयन करते समय इस तरह की सावधानी जरूरी है :

होम सिकनेस से बचें, तभी बेहतर संस्थान खोज पाएंगे।

टेलीफोनिक इंटरव्यू (Telephonic Interview) के बाद कोई संस्थान प्रवेश देता है तो उससे बचें।

बच्चे की इच्छा के अनुसार स्कूल को वरीयता देने का प्रयास करें।

स्कूल से जुडी फैकल्टी के बारे में अवश्य जानें।

संस्थान को भली-भांति समझकर वहां स्टडी कर रहे बच्चे से मिलकर मैनेजमेंट (Management) से वाकिफ हों।

स्कूल के पूर्व परिणामों का अच्छी तरह आकलन करना न भूलें।

भव्य इमारत व विज्ञापनों के मायाजाल में फंसकर कतई संस्थान चयन न करें।


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