Menu
blogid : 1048 postid : 398

Aptitude Test in Examinations-एप्टीट्यूड टेस्ट भी है जरूरी

नई इबारत नई मंजिल
नई इबारत नई मंजिल
  • 197 Posts
  • 120 Comments

Aptitude Test आजकल प्राय: सभी परीक्षाओं में एप्टीट्यूड टेस्ट (Aptitude Test)  होने लगे हैं। मैनेजमेंट और बैंक की परीक्षाओं के अलावा यूपीएससी में भी सन 2011 से एप्टीट्यूड टेस्ट शुरु हो चुका है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस टेस्ट के माध्यम से अभ्यर्थी की अभिरुचि का पता बेहतर ढंग से चल पाएगा और जो इस सेवा के लिए योग्य होंगे, उन्हीं का चयन हो पाएगा। यही कारण है कि इन दिनों सभी जगह एप्टीट्यूड टेस्ट की चर्चा है और विशेषज्ञों की मानें तो आनेवाले दिनों में सभी परीक्षाएं इसी टेस्ट के माध्यम से होने की संभावना है।


एप्टीट्यूड टेस्ट क्या है?

एप्टीट्यूड टेस्ट से किसी व्यक्ति की तार्किक शक्ति (Reasoning Power) का परीक्षण किया जाता है। यह टेस्ट किसी व्यक्ति के वर्तमान ज्ञान की परीक्षा न करके उसके तत्काल निर्णय लेने की काबिलियत की परख करता है। इसके द्वारा मैथ्स, रीडिंग एबिलिटी, कम समय में एक्यूरेसी के साथ समस्या को हल करने की काबिलियत और रीजिनिंग एबिलिटी जैसे क्षेत्रों में कैंडिडेट की दक्षता का परीक्षण किया जाता है। सामान्यत: एप्टीट्यूड टेस्ट को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है : स्पीड टेस्ट और पॉवर टेस्ट। स्पीड टेस्ट (Speed ​​Test) में प्रश्न सीधे-साधे होते हैं और इसमें आपकी इस बात की परीक्षा ली जाती है कि आप कम से कम समय में कितने ज्यादा से ज्यादा प्रश्न हल कर सकते हैं। स्पीड टेस्ट प्रशासनिक और क्लेरिकल स्तर पर चयन के लिए लिए जाते हैं। दूसरी ओर पॉवर टेस्ट (Power Test) में प्रश्नों की संख्या कम होती है, लेकिन वे काफी जटिल होते हैं। पॉवर टेस्ट का प्रयोग प्रोफेशनल अथवा मैनेजेरियल पोस्ट की परीक्षा के लिए किया जाता है। इसमें बेहतर तभी कर सकते हैं, जब आप इससे संबंधित प्रैक्टिस सेट का अधिक से अधिक अभ्यास करते हैं।


अलग है आईक्यू टेस्ट

एप्टीट्यूड टेस्ट और आईक्यू टेस्ट (IQ Test) कई मायनों में समान होने के बाद भी अलग हैं। एप्टीट्यूड टेस्ट में जहां किसी व्यक्ति की प्रतिभा का आकलन किसी विशिष्ट क्षेत्र या विषय में किया जाता है, वहीं आईक्यू टेस्ट के द्वारा व्यक्ति की संपूर्ण मानसिक क्षमताओं का परीक्षण किया जाता है। एप्टीट्यूड टेस्ट का लक्ष्य किसी करियर विशेष में व्यक्ति की क्षमताओं का आंकलन करना होता है, इसलिए अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग टेस्ट होते हैं। आईक्यू टेस्ट का लक्ष्य एक स्थापित मानक के अनुसार किसी व्यक्ति विशेष के इंटेलीजेंस का आंकलन करना होता है। एप्टीट्यूड टेस्ट विषय आधारित होते हैं। वहीं आईक्यू टेस्ट में वर्बल कांप्रिहेन्सन, तर्क शक्ति और रीजनिंग, याददाश्त और गति की परीक्षा होती है। इस प्रकार दोनों में काफी अंतर है।


प्रेजेंट महत्वपूर्ण

यह परीक्षा कुछ मायनों में प्रतियोगी परीक्षा से अलग होता है। यदि आप अन्य परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो उसमें अगर आप पहले से काफी कुछ पढे हैं, तो एग्जाम में बेहतर कर सकते हैं, लेकिन इसमें पास्ट से महत्वपूर्ण प्रेजेंट होता है। एग्जाम में आपकी सफलता या असफलता आपके वर्तमान ज्ञान पर निर्भर करती है। आजकल बहुत से लोग मॉडर्न टेक्नोलाजी का सहारा लेकर प्रैक्टिस पेपरों का अभ्यास करते हैं। उदाहरण के लिए आज कंप्यूटर में वर्ड सॉफ्टवेयर की वजह से बहुत से अंग्रेजी के शब्दों को रटने की जरूरत नहीं है। लेकिन एग्जाम के समय इनका ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। यही चीज न्यूमेरिकल एबिलिटी (Numerical Ability) पर भी लागू होती है। बहुत से लोग जो पिछले कई वर्षो से पढाई नहीं कर रहे हैं, वे साधारण गुणा-भाग, भिन्न तक करना भूल जाते हैं, हालांकि यह चीजें बहुत साधारण हैं और सामान्य गणित के अंतर्गत आती हैं, लेकिन एग्जाम के समय आपका यह अज्ञान सारी तैयारी पर पानी फेर सकता है। एग्जाम की तैयारी के लिए आपका ठोस धरातल पर खडा होना जरूरी है। कई लोग ऐसा सोचते हैं कि उन्हें वर्बल एबिलिटी के प्रश्नों का जवाब देने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी, क्योंकि वह पहले इसमें काफी अच्छे रहे हैं।


कैसे करें तैयारी

विशेषज्ञों के अनुसार, अक्सर स्टूडेंट्स इस परीक्षा को लेकर काफी सशंकित रहते हैं, लेकिन इस परीक्षा से डरने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि कोई भी परीक्षा कठिन नहीं होती है, यदि आप इसकी बेहतर तैयारी करते हैं। बेहतर तैयारी तभी हो सकती है, जब आप इस परीक्षा से संबंधित सारी जानकारी प्राप्त करके उसी के अनुरूप एक बेहतर योजना बनाते हैं। एप्टीट्यूड टेस्ट की तैयारी का मूलमंत्र है लगातार प्रैक्टिस करना। इसमें दो तरह के रिटेन और कम्प्यूटर एडेट टेस्ट होते हैं। इसमें सफल होने के लिए कैंडिडेट को निरंतर प्रैक्टिस टेस्ट (Practice Test) के माध्यम से अपनी क्षमताओं का आंकलन करते रहना चाहिए। एप्टीट्यूड टेस्ट की तैयारी के लिए जरूरी है कि आप सबसे पहले जान लें कि एग्जाम में किस तरह के प्रश्नों से आपका सामना होगा। बेकार के प्रश्नों की प्रैक्टिस करने से कोई लाभ नहीं है। इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों को कई प्रकार से विभाजित किया जा सकता है। इसके लिए अनिवार्य है कि आप मैथ्स और ग्रामर के मूलभूत सिद्घांतों का गहराई से अध्ययन करें। इसमें रटने की बजाय किसी विषय के मूलभूत सिद्घांतों की जानकारी और उसका अप्रोच काफी मायने रखता है। आपका अप्रोच तभी सही होगा, जब आप किसी भी चीज को सकारात्मक ढंग से लेंगे। यदि आप कोई भी कार्य सकारात्मक सोच के साथ प्रारंभ करते हैं और पूरी ईमानदारी के साथ कठिन मेहनत करते हैं, तो आपको इस परीक्षा में बेहतर करने से कोई नहीं रोक सकता है।


कम्प्यूटर एडेड टेस्ट

कुछ मामलों में लिखित परीक्षा से काफी कुछ अलग होता है कम्प्यूटर एडेड परीक्षा (Computer Aided Test) । अर्थमैटिक कैलकुलेशन में कम्प्यूटर पर एग्जाम देना आसान होता है। इसके अलावा आपकी तार्किक क्षमता की स्पीड, गणना के स्टेप्स में भी काफी सहायता मिलती है। इसमें कम्प्यूटर फ्रेंडली बनने के लिए अभ्यास ही एकमात्र विकल्प है। यदि अभ्यर्थी कम्प्यूटर पर टेस्ट देने की तैयारी कर रहे हैं, तो आवश्यक है कि कम्प्यूटर पर अधिक से अधिक समय दें, क्योंकि कम्प्यूटर दो व्यक्तियों के बीच क्वालिटेटिव डिफरेंस करने में भी सक्षम होता है। इसके अतिरिक्त इस टेस्ट की खासियत यह होती है कि आपका रिजल्ट कुछ ही क्षणों में आपके पास उपलब्ध हो जाता है। कहने का आशय यह है कि आप किस तरह के टेस्ट दे रहे हैं, उसको ध्यान में रखकर ही तैयारी करेंगे, तो सफलता के चांसेज बढ जाएंगे।


एक्यूरेसी का रखें ध्यान

इस टेस्ट की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण यह है कि मॉक टेस्ट (Mock Test) उसी माहौल में दें, जिस तरह का माहौल आपको परीक्षा के दौरान मिलेगा। इसके अतिरिक्त एप्टीट्यूड टेस्ट के दौरान तेजी से प्रश्नों को हल करें लेकिन साथ ही साथ एक्यूरेसी (Accuracy) पर भी पूरा ध्यान दें। किसी भी प्रश्न पर अधिक समय न नष्ट करें, क्योंकि परीक्षा में अक्सर देखा गया है कि जैसे-जैसे आप प्रश्नों को हल करके आगे बढते हैं वैसे-वैसे आगे के प्रश्न कठिन होते चले जाते हैं। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रतिदिन के कैल्कुलेशन में कैल्युकुलेटर का प्रयोग न करें। कॉपी एवं पेन का प्रयोग करके ही गुणा, भाग, प्रतिशत इत्यादि की प्रैक्टिस करें। यह टिप्स आपको परीक्षा के दौरान काफी मददगार साबित होगी। आपको सबसे पहले अपनी क्षमता के अनुसार एक प्रैक्टिस स्ट्रेटजी तैयार करनी होती है। इसके तहत आपको अपने प्लस एवं माइनस प्वाइंट नोट करने होंगे और यह निर्णय लेना होगा कि किस सेक्शन पर आपको ज्यादा जोर देना होगा। यह स्ट्रेटजी दो तरह की हो सकती है। या तो आप अपने कमजोर बिन्दुओं पर ज्यादा जोर दें या फिर सभी सेक्शनों पर समान रूप से ध्यान दें। कुछ स्टूडेंट्स यह सोचते हैं कि प्रैक्टिस से अधिक पढाई महत्वपूर्ण है, इस तरह की बातें इसमें कारगर नहीं हो सकती हैं। कहने का आशय यह है कि स्ट्रेटजी कैसी भी हो, आपको लगातार प्रैक्टिस करनी ही होगी। एप्टीट्यूड टेस्ट में कुछ नंबरों का अंतर बहुत बडा फेरबदल कर सकता है। यदि आपके घर में इंटरनेट या आसपास साइबर कैफे हों, तो वहां जाकर आप इंटरनेट के माध्यम से इस परीक्षा से संबंधित वेबसाइट सर्च करके संबंधित पेपरों का खूब अभ्यास करें।


Aptitude Testसिविल सर्विसेज में एप्टीट्यूड टेस्ट

देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा (Civil Services Preliminary Examination) में लंबे समय से बदलाव की पुरजोर मांग की जा रही थी। इसी का परिणाम है कि 2011 से प्रारंभिक परीक्षा में एप्टीट्यूड टेस्ट को शामिल कर लिया गया है।


बदलाव की जरूरत क्यों?

सिविल सर्विसेज परीक्षा में शामिल होने वाले कैंडिडेट एवं परीक्षा संबंधी जानकारी रखने वाले बहुत से विशेषज्ञ यह मानते हैं कि अभी तक परीक्षा का जो स्वरूप था, उसमें कैंडिडेट के व्यक्तित्व की संपूर्ण परीक्षा संभव नहीं थी। इससे स्टूडेंट्स का बेहतर आंकलन नहीं हो पाता था। इस तरह की कई चीजों को आधार बना कर कई सुझाव संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) को सौंपे गए थे, जिसके परिणामस्वरूप यह निर्णय लिया गया।


कैसा होगा परिवर्तन?

अभी तक सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा में एक जनरल स्टडीज का व एक किसी वैकल्पिक विषय का पेपर होता था। जनरल स्टडीज का पेपर सभी के लिए कॉमन होता था। जीएस के लिए 150 अंक एवं वैकल्पिक विषय के लिए 300 अंक थे। एप्टीट्यूड टेस्ट के माध्यम से सभी स्टूडेंट्स लाभान्वित होंगे और जो सबसे योग्य और मेधावी होंगे, वे ही सिविल सेवा जैसी प्रतिष्ठित सेवा में चुने जाएंगे।


कितने प्रकार के टेस्ट

अलग-अलग करियर के लिए अलग-अलग एप्टीट्यूड टेस्ट होते हैं। इस परीक्षा के माध्यम से आपकी अभिरुचि की परख की जाती है, जिससे करियर चयन में काफी आसानी होती है। एप्टीट्यूड टेस्ट को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वे आपकी तार्किक शक्ति और चिंतन क्षमता को परखता है। इसमें बहुविकल्पीय प्रश्न होते हैं, इनको हल करने की समय सीमा निर्धारित होती है और सामान्यत: तीस प्रश्नों के लिए तीस मिनट का समय दिया जाता है। भारत में आजकल एप्टीट्यूड टेस्ट ऑनलाइन भी होने लगे हैं। हालांकि अधिकांश टेस्ट आज भी पेपर पर ही लिए जाते हैं। ऑनलाइन टेस्ट (Online Test) का सबसे बडा फायदा यह है कि इसका परिणाम तत्काल ही मालूम हो जाता है।


वोकेबलरी व ग्रामर टेस्ट

वोकेबलरी एप्टीट्यूड टेस्ट (Vocabulary Aptitude Test) के द्वारा आपकी अंग्रेजी भाषा (English Language) के ज्ञान की परीक्षा ली जाती है। इसके लिए आवश्यक है कि आपका अंग्रेजी ग्रामर का ज्ञान व वोकेबलरी काफी मजबूत हो। वोकेबलरी व ग्रामर टेस्ट का प्रयोग अक्सर उन परिस्थितियों में किया जाता है जब या तो कैंडिडेट को उच्च शिक्षा के लिए चुना जा रहा हो या किसी ऐसे जॉब (Jobs) के लिए नियुक्त किया जा रहा हो, जहां अंग्रेजी की अच्छी जानकारी अनिवार्य हो। कहीं-कहीं एप्टीट्यूड टेस्ट में आपकी अंग्रेजी की रीडिंग, राइटिंग और स्पीकिंग क्षमता की भी परख की जाती है।


मैथमैटिकल एप्टीट्यूड टेस्ट

मैथमैटिकल एप्टीट्यूड टेस्ट (Mathematical Aptitude Test) में कैंडिडेट के फंडामेंटल मैथमैटिकल ज्ञान का आंकलन किया जाता है। इस टेस्ट में अलजेब्रा, ज्यामितीय, स्टैटिस्टिक्स और एकाउंटिंग के ज्ञान की परीक्षा ली जाती है। इसमें वर्ड प्रॉब्लम और ग्राफिकल रिप्रेजेंटेशन प्रॉब्लम का भी टेस्ट होता है।


करियर एप्टीट्यूड टेस्ट

इस टेस्ट का उद्देश्य कैंडिडेट की इंटेलीजेंस क्योशेन्ट, इमोशनल क्योशेन्ट, तर्कशक्ति, रीजनिंग, एस्थेटिक सेंस (सौंदर्य बोध) और डिजायनिंग के साथ-साथ एनालिटिकल एबिलिटी और भाषा पर अधिकार की परीक्षा ली जाती है। इस टेस्ट के माध्यम से ही कैंडिडेट को वह फील्ड मिलती है, जो उसकी क्षमता और दक्षता के अनुकूल होती है।


वर्बल एबिलिटी

इसमें स्पेलिंग, ग्रामर और एनालाजीस यानि एक प्रकार की चीजों को समझने की क्षमता का आंकलन होता है। इस तरह के प्रश्न अधिकांश एप्टीट्यूड टेस्ट में पूछे जाते हैं जिससे आपका एम्प्लायर यह जान जाता है कि आप किसी के साथ कितनी अच्छी तरह कम्युनिकेट कर सकते हैं। इसमें बेहतर करने वालों के लिए कम्युनिकेशन फील्ड बेहतर होती है।


न्यूमेरिक एबिलिटी

इसमें बेसिक अर्थमेटिक, नंबर सीक्वेंस और साधारण मैथमेटिक का परीक्षण किया जाता है। मैनेजमेंट लेबेल के टेस्ट में अक्सर चार्ट व ग्राफ दिए जाते हैं, जिनका आपको इंटरप्रेटेशन करना होता है। इस तरह के प्रश्नों से मैनेजेरियल स्किल का पता चलता है।


ऑब्स्ट्रेक्ट रीजनिंग

इसके द्वारा आपकी किसी पैटर्न के अंदर छिपे हुए तर्क को पहचानने की एवं उसके समाधान की क्षमता का परीक्षण किया जाता है। इसमें आपके इंटेलीजेंस की सबसे अच्छी तरह से परीक्षा ली जा सकती है। ऐसे प्रश्न भी अधिकांश एप्टीट्यूड टेस्ट में पूछे जा सकते हैं। इससे आपकी नई चीजों को सीखने की क्षमता बखूबी आंकी जा सकती है।


मैकेनिकल रीजनिंग

आपके फिजिकल और मैकेनिकल सिद्घांतों के ज्ञान का परीक्षण इसके द्वारा होता है। मैकेनिकल रीजनिंग आर्मी, पुलिस, फायर सर्विस और तकनीकी और इंजीनियरिंग सर्विसों के एग्जाम में पूछी जाती है।


फॉल्ट डाइग्नोसिस

इस तरह के प्रश्न टेक्निकल सर्विस के एग्जाम में पूछे जाते हैं। जहां इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल प्रणालियों में खराबी तलाश कर रिपेयर करना होता है। आजकल के अधिकांश यंत्र और मशीन इलेक्ट्रानिक कंट्रोल प्रणालियों के द्वारा नियंत्रित होते हैं। उनकी संरचना अत्यंत ही जटिल होती है, इसलिए इस तरह की सर्विस के लिए ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है, जो किसी समस्या को हल करने के लिए अपनी तर्कशक्ति का प्रयोग करते हैं।


डाटा चेकिंग

इसके द्वारा कैंडिडेट के किसी डाटा में एक्यूरेसी व स्पीड के साथ एरर तलाशने की दक्षता का परीक्षण किया जाता है। इस तरह के टेस्ट क्लेरिकल व डाटा इनपुट जॉब में लिए जाते हैं।


वर्क सैंपल

इसमें किसी कार्य का सैंपल दिया जाता है, जिसे आपको हल करना होता है। इस तरह के टेस्ट बहुआयामी होते हैं। इसमें किसी वर्डप्रोसेसर या स्प्रेड शीट से संबंधित सवाल पूछे जा सकते हैं।


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh