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Career 2013: कुछ अलग करने की ठान लें

नई इबारत नई मंजिल
नई इबारत नई मंजिल
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आज देश में जॉब के बहुत से विकल्प होंगे जहां आपको अच्छे पैसे पर काम की ढेर सारी गुंजाइश मिलेगी. लेकिन कॅरियर के तौर पर भारतीय सेना तो उन्हीं के लिए है जिन्होंने दूसरों से कुछ अलग करने की ठानी है. यदि आपके मन में भी देश के लिए कुछ करने काअरमान दहक रहा हो, यदि आपके लिए सेना कोई नौकरी नहीं बल्कि जुनून का दूसरा नाम है तो भारतीय सेना आपके जैसे ही युवाओं की तलाश में है. यहां केवल युद्ध का मोर्चा ही नहीं बल्कि इंजीनियरिंग सिग्नल, स्पो‌र्ट्स, मेडिकल, एजूकेशन जैसे क्षेत्रों में तमाम अवसर फैले हुए हैं. आप चाहें तो इनमें से किसी को अपनाकर आलिव ग्रीन यूनीफॉर्म के हकदार बन सकते हैं. तो फिर देर किस बात की अपने सीने में पनप रहे सपनों को शक्ल दीजिए, सेना आपके ही इंतजार में है-


भारतीय सेना: एक अलग दुनिया

भारतीय सेना का मतलब आज केवल जंग, आतंकविरोधी ऑपरेशन, कठिनाईयां, मुसीबत ही नहीं रह गया है बल्कि आज तो सेना आपको बेहतरीन लाइफ जीने का पूरा मौका दे रही है. इसके जरिए आप एक अलग ही दुनिया का अनुभव ले सकते हैं जहां आपको एडवेंचर से लेकर बेहतरीन प्रोफेशनल कोर्सेज में जाने तक कई विकल्प मिलते हैं. आप चाहें तो सेना में रहते हुए कार, बाइक रैली, माउंटेनियरिंग आदि में हिस्सा लेकरअपने एडवेंचरस नेचर को नया मुकाम दे सक ते हैं,वहीं आप चाहें तो मुक्केबाजी, घुडसवारी, शूटिंग, फेंसिंग, गोल्फ में सेना की उन्नत पंरपराओं के हिस्सेदार बन सकते हैं. बीते साल लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले सेना के निशानेबाज सूबेदार विजय कुमार भी सेना की कुछ ऐसी ही परंपराओं की देन हैं. केवल सेना में ही नहीं बल्कि इसके बाद भी आपको एक बेहतरीन जीवन जीने का मौका मिलता है. रक्षा मंत्रालय पुर्नवास महानिदेशालय ऐसे ही मामले देखता है. इसने सेना के स्थाई कमीशन व एसएससी ऑफिसरों के प्रशिक्षण के लिए आईआईएम, एमिटी जैसे संस्थानों से समझौते किए हैं, वहीं सैनिकों के पुर्नवास के लिए भी यह कई? स्किल ओरिएंटेड कोर्स चलाता है.


इंट्री के कई रास्ते

सेना में दो तरह के ऑफिसर होते हैं- एक वे जो शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए थोडे समय के लिए आर्मी से जुडते हैं. दूसरे जो सेना में स्थाई कमीशन ले उसे लॉन्ग टर्म कॅरियर के रूप में देखते हैं. स्थाई कमीशंड अधिकारियों की नियुक्ति जहां यूपीएससी करता है वहीं अल्पकालीन क मीश्ाड अधिकारियों, तकनीकी, महिला, एनसीसी डायरेक्ट इंट्री स्कीम आदि से संबंधित भर्तियां संबंधित रिक्रूटमेंट डायरेक्टोरेट बोर्ड क रता है.


एनडीए : जोशीले खून का है इंतजार

आर्मी को बतौर ऑफिसर ज्वाइन करने का सबसे बडा रास्ता एनडीए देता है. यह वह सीढी है जो आपको सेना में शीर्ष तक पहुंचा सकती है. इसके लिए न्यूनतम 12वीं पास होना आवश्यक है. साढे सोलह से उन्नीस वर्ष के आयु वर्ग वाले अविवाहितपुरुष कैंडीडेट्स इस परीक्षा के पात्र हैं. इसका आयोजन यूपीएससी यानि संघ लोकसेवा आयोग द्वारा साल में दो बार किया जाता है. एग्जाम का पैटर्न बहुविकल्पीय, सीबीएसई 12वीं पैटर्न पर आधारित होता है. रिटेन टेस्ट पूरी तरह बहुविकल्पीय होते हैं, जिसमें आपको मैथ्स (120 अंक) व अंग्रेजी+जीके(150 अंक) के दो पेपर हल करने होते हैं. रिटेन पास करने के बाद स्टेट सेलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) के अंतर्गत पांच दिवसीय इंटरव्यू होता है.


एजूकेशन कोर

आज के पल-पल बदलते भू-राजनैतिक परिदृश्य, पडोस से आती चुनौतियों के बीच उपयुक्त वॉर स्ट्रेटेजी सेना की जरूरत है. इसके चलते सेना को बडे पैमाने पर योग्य मेंटर्स, ट्रेनर्स व शिक्षकों की आवश्यकता पडती है. ये लोग सैन्य ऑफिसरों व जवानों के लिए शार्ट टर्म वॉर फेयर, स्पेशल कोर्सेज आयोजित करते हैं. इन कोर्सेज में न्यूनतम पीजी कर सेना की शिक्षा कोर में जगह बनाई जा सकती है. ऐसे लोगों को सेना की शिक्षा कोर में ग्रांउड ड्यूटी ऑफिसर के तौर पर स्थाई कमीशन मिलता है.


सीडीएस: सेना में ग्रेजुएट ऑफिसर

सीडीएस यानि कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज एग्जाम ग्रेजुएट युवाओं को आर्मी में जाने का मौका देता है. इस परीक्षा के लिए अविवाहित ग्रेजुएट युवा इलीजिबिल हैं. यहां मैथ्स, जीके, इंग्लिश के तीन अलग-अलग पेपर होते हैं. मेरिट में मैथ्स के पेपर में बेहतर करने वालों को आईएमए में वरीयता मिलती है जबकि मैथ्स में कम मेरिट वालों को ओटीए के लिए चुना जाता है. इस परीक्षा का आयोजन भी यूपीएससी साल में दो बार करता है.


यूनिवर्सिटी डायरेक्ट स्कीम

इस स्कीम में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट या इंजीनियर फाइनल इयर के 19 से 25 वर्ष आयु समूह वाले छात्रों को प्रवेश मिलता है. यहां प्रवेश कैंपस सेलेक्शन व एसएसबी के जरिए होता है. इस एग्जाम से इंट्री लेने वाले छात्रों क ो सेना की तकनीकी शाखाओं में जगह दी जाती है. यहां 10+2 मैथ्स के छात्रों को आईएमए में सीधे इंट्री मिलती है. इस परीक्षा में साढे सोलह से साढे उन्नीस वर्ष के उम्र के कैंडीडेट्स हिस्सा ले सकते हैं. इस कोर्स का आयोजन जनवरी व जुलाई में होता है. इसमें इंट्री के लिए आपको सीधे रिक्रूटमेंट डॉयरेक्टोरेट के पास एप्लीकेशन भेजना होगा.


अगर हो सेवा की भावना

मेडिकल कोर, सेना का एक अहम अंग है, जो युद्धकालीन परिस्थितियों में ही नहीं, बल्कि आतंक प्रभावित इलाकों में भी सेना के घायल जवानों के उपचार के साथ उनकी फिजिकल व मेंटल फिटनेस की देखरेख करती है. ऐसे में बायो स्ट्रीम के वे छात्र, जो सेना को बतौर चिकित्सक ज्वाइन करना चाहते हैं, केलिए मौक ों की कमी नहीं है. वे डायरेक्टर जनरल ऑफ मेडिकल सर्विसेज द्वारा हर साल ऑल इंडिया लेवल पर आयोजित होने वाली परीक्षा उत्तीर्ण कर आर्मी की चुनौती भरी दुनिया में कदम रख पाते हैं.


आपकी मर्जी आपका कॅरियर

इंडियन आर्मी मेंअल्टरनेटिव कॅरियर का भी रास्ता होता है, जिसे शॉर्ट सर्विस कमीशन अथवा एसएससी के नाम से जाना जाता है. इसमें आप न्यूनतम दस सालों के लिए सेना में अपनी सेवाएं देते हैं. 2006 से शॉर्ट सर्विस की अवधि 5 से बढाकर 10 वर्ष की जा चुकी है. यहां आपके पास स्थाई कमीशन का भी विकल्प होता है.


ओटीए: समर्पण है पहली शर्त

साधारण स्नातक अथवा नॉन टेक्निकल उम्मीदवार भी सीडीएस के जरिए ओटीए में जगह पाते हैं. वहीं टेक्निकल ग्रेजुएट्स को डायरेक्ट इंट्री-एसएसबी के जरिए शॉर्ट लिस्ट किया जाता है. अंतिम रूप से मेडिकल टेस्ट मे क्वालीफाई करने वाले कैंडीडेट्स को 10 महीने के कोर्स के लिए ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) चेन्नई या फिर ओटीए गया भेजा जाता है. जहां से पास आउट होने के बाद वे सेना की टेक्निकल ब्रांचेस/नॉन टेक्निकल ब्रांच को बतौर कमीशंड अधिकारी ज्वाइन करते हैं.


ओटीए गया- ओटीए चेन्नई व आईएमए देहरादून के बाद जुलाई 2011 में ओटीए गया को देश की तीसरी प्री-कंमीशन ट्रेनिंग एकेडमी के रुप में शुरू किया गया. इसका लक्ष्य भी भारतीय सेना की महान पंरपराओं को बरकरार रखते हुए उसके भविष्य का नेतृत्व खडा कराना है. 350 कैडेटों की क्षमता वाली इस एकेडमी से जून 2012 में ऑफीसर्स के पहले जत्थे की पासिंग आउट परेड संपन्न हुई. माना जा रहा है सैन्य प्रशिक्षण के नजरिए से विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस गया ओटीए सेना की धार को और तेज करेगा.


एनसीसी स्पेशल इंट्री स्कीम

एनसीसी युवाओं को कमीशंड अधिकारी के तौर पर सेना ज्वाइन करने का पूरा मौका देती है. इसके अंतर्गत वे सभी अविवाहित ग्रेजुएट जिनके पास एनसीसी सी सर्टिफि केट (न्यूनतम बी ग्रेड के साथ) है, शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए एप्लाई?कर सकते हैं. इस स्कीम में कैंडिडेट्स सीधे एसएसबी में हिस्सा ले सकते हैं.


महिलाओं को मिलते बढिया अवसर

इन दिनों सेना की तकनीकी, शिक्षा, मेडिकल कोर में महिलाओं के लिए काम करने के अच्छे खासे अवसर हैं. मेडिकल कोर में आज न केवल महिलाएं बतौर ऑफ ीसर्स, नर्स काम कर रही हैं बल्कि आर्मी में ऊंचे ओहदों पर भी पहुंच रहीं हैं. इस स्कीम में 19 से 27 वर्ष की वे अविवाहित महिलाएं, जिनके पास बीए, बीएससी, बीसीए, बीकॉम, बीएससी (पीसीएम) आदि की डिग्री हो, अप्लाई कर सकती हैं.


शॉर्ट सर्विस कमीशन (टेक्निकल)

एसएससी के माध्यम से इजीनियरिंग ग्रेजुएट उम्मीदवारों क ो सेना में अस्थाई कमीशन दिया जाता है. शॉर्ट लिस्टेड कैंडिडेट्स को एसएसबी के अंतर्गत ग्रुप डिस्क शन, साइको टेस्ट, इंटरव्यू जैसी प्रक्रिया से गुजारा जाता है. यहां उत्तीर्ण होने वाले मेडिकली फिट कैंडिडेट्स को इस कोर्स के लिए ओटीए चेन्नई/गया भेजा जाता है.


काबिलियत जानने की महत्वपूर्ण कुंजी-एसएसबी एसएसबी, डिफेंस सर्विसेज ज्वाइन करने से पहले आपकी काबिलियत जानने की महत्वपूर्ण कसौटी होती है. रिटेन टेस्ट में सफल होने वाले कैंडिडेट्स एसएसबी में भाग लेते हैं. इस पांच दिवसीय टेस्ट में देश के भावी सैन्य ऑफिसरों को हर लिहाज से परखा जाता है. यहां शामिल होने वाले कैंडिडेट्स को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर खुद को फिटेस्ट साबित करना होता है. यह प्रक्रिया पूरे पांच दिन चलती है, जिसमें हर दिन कैंडिडेट्स को अनेक टेस्टों, परीक्षणों, डिस्कशन के बेहद चुनौतीपूर्ण दौर से गुजरना होता है. इन टेस्टों में कामयाब कुछ कैंडिडेट्स ही आखिरी दिन के एसएसबी तक पहुंच पाते हैं.


पहला दिन

एसएसबी इंटरव्यू का पहला दिन कैंडिडेट्स के लिए खासा महत्वपूर्ण होता है, जिसमें कैंडिडेट्स वर्बल, नॉन वर्बल टेस्ट देते हैं. इसके बाद टीएटी (थिमेटिक एपरसेप्शन टेस्ट) होता है. इसमें कैंडिडेट्स दिए हुए चित्र पर स्टोरी लिखकर उस पर डिस्कशन करते हैं.


दूसरा दिन

उम्मीदवारों के पुन: टीएटी से गुजरने के बाद वर्ड एसोसिएशन टेस्ट होता है, जिसमें कु छ शब्द दिखाकर उन पर वाक्य लिखने को कहा जाता है. जबकि विभिन्न परिस्थितियों में कैंडिडेट्स की मानसिक प्रतिक्रिया जांचने के लिए सिचुएशन रिएक्शन टेस्ट से गुजारा जाता है.


तीसरा दिन

एसएसबी के तीसरे दिन कैंडिडेट्स ग्रुप डिस्कशन, प्रोग्रेसिव ग्रुप टास्क (समूह टास्क) जैसे टेस्ट में हिस्सा लेते हैं. इसके बाद उन्हें हाफ ग्रुप टास्क, ग्रुप प्लानिंग, स्नेक टेस्ट (फिजिकल ऑब्स्टेकल क्लियरेंस टेस्ट),इंडीविजुअल ऑब्स्टेकल टेस्ट पूरे करने होते है.


चौथा दिन

टेस्ट के चौथे दिन सबसे पहले कैंडिडेट्स कमांड टेस्ट में भाग लेते हैं, जहां उनकी नेतृत्व क्षमताओं का आकलन किया जाता है. वहीं इसके बाद उम्मीदवारों की फिजिकल क्षमताएं जानने के लिए फाइनल प्रोग्रेसिव ग्रुप टास्क कंडक्ट किया जाता है.


पांचवां दिन

इसमें आप जीटीओ, डिप्टी कमांडेंट, कमांडेंट, साइकोलॉजिस्ट के साथ एक फॉर्मल डिस्कशन सेशन में भाग लेते हैं. इस दौरान आपके अनुभव, प्रक्रिया में सुधार के सुझाव भी मांगे जाते हैं.



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