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इस आलेख को तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय(मुरादाबाद) के सहयोग से जारी किया गया है. तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय की वेबसाइट है: http://tmu.ac.in
झारखंडका रहने वाला अखिलेश सिन्हा अमेरिका की सिलिकॉन वैली में काम करता है। उसे अपने मां-बाप से मिले सालों हो जाते हैं लेकिन इसका उसे कोई खास मलाल नहीं.., क्योंकि मोबाइल रिवॉल्यूशन और 3जी की बदौलत उसे काम से जब भी मौका मिलता है, वह अपने परिवार के बीच पहुंच जाता है! आप पूछेंगे कैसे? तो इसका जवाब यह है कि 3जी की बदौलत। भारत में हाल ही में मोबाइल की यह सेवा आरंभ हुई है, लेकिन अखिलेश जैसे दुनिया के दूर-दराज इलाकों में काम करने वाले लोग इसका जमकर फायदा उठाने लगे हैं। अखिलेश सशरीर तो अपने परिवार के पास नहीं होता, लेकिन वह और उसके परिवार के लोग इस तकनीक की बदौलत अपने मोबाइल सेट पर न सिर्फ उससे बात करते हैं, बल्कि उसे देखते और पूरी तरह महसूस भी करते हैं। खास बात यह है कि अखिलेश एक मल्टीनेशनल टेलीकॉम कंपनी में ही सीनियर इंजीनियर है।
दरअसल, मोबाइल और इससे जुडी टेक्नोलॉजी का जितनी तेजी से प्रसार हो रहा है, उतनी ही तेजी से इसमें हर स्तर पर स्किल्ड प्रोफेशनल्स की डिमांड भी बढ रही है। टेलीकॉम उन कुछ गिने-चुने सेक्टर्स में से है, जिन पर आर्थिक मंदी का कोई प्रभाव नहीं पडा है। इतना ही नहीं, हर तरफ महंगाई के बावजूद एक चीज जो लगातार सस्ती होती गई है, वह है, मोबाइल पर कॉलरेट।
भारत 2012: टेलीकॉम में ग्रोथ के नाम से हाल में प्रकाशित सीआईआई और ईवाई की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की जीडीपी में 2006 के 2 प्रतिशत के मुकाबले 2010 में 3.6 प्रतिशत की बढोत्तरी दर्ज की गई। इतना ही नहीं, मई 2010 में 1.63 करोड नए मोबाइल फोन ग्राहकों के साथ देश में कुल सेल्युलर फोन ग्राहकों की संख्या 61.75 तक पहुंच गई है। इस आंकडों से यह भी पता चलता है कि टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में रोजगार कितनी तेजी से बढ रहा है।
सेल्युलर रिवॉल्यूशन
भारत में जब मोबाइल की एंट्री हुई थी, उस समय इसे लग्जरी के सामान की तरह बडी हसरत से देखा जाता था। जिसके हाथ में मोबाइल सेट होता था, उसे खास दर्जा दिया जाता था। उस समय कॉल रेट भी इतना अधिक होता था कि आम आदमी के लिए मोबाइल पर बात करना सपने जैसा था। इतना ही नहीं, आउटगोइंग के साथ इनकमिंग कॉल पर भी चार्ज वसूला जाता था। टेक्नोलॉजी के एडवांस होने, टेलीकॉम कंपनियों के बीच कॉम्पिटिशन बढने और ट्राई की पकड मजबूत होने के बाद कॉल रेट धीरे-धीरे इतने सस्ते हो गए कि आज हर आदमी के हाथ में मोबाइल नजर आने लगा है, चाहे वह खास हो या आम। शहरों से लेकर गांवों तक मोबाइल की पहुंच बढने के बाद टेलीकॉम सेक्टर में हर लेवॅल पर ट्रेंड प्रोफेशनल्स की डिमांड भी तेजी से बढी। यही कारण कि चाहे बीटेक हो या फिर डिप्लोमा होल्डर, टेलीकम्युनिकेशन में सभी के लिए चमकदार जॉब उपलब्ध हैं। शहरों-कस्बों और गांवों तक में मोबाइल का चलन बढने के बाद वहां इसे रिपेयर करने वालों की डिमांड भी बढी है। कम पढे-लिखे युवा भी मोबाइल रिपेयरिंग का कोर्स करके अपने घर के आस-पास ही पैसे कमा सकते हैं।
तकनीक का खेल
कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का कार्य क्षेत्र केवल टेलीकम्युनिकेशन ही नहीं, बल्कि माइक्रोवेब और ऑप्टिकल कम्युनिकेशन, डिजिटल सिस्टम, सिग्नल प्रोसेसिंग, एडवांस्ड कम्युनिकेशन, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स भी है। एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेलीकॉम टेक्नोलॉजी ऐंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर पीडी भार्गव के अनुसार, नई तकनीक यानी 3जी और ब्रॉड बैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्लूए) के बाजार में आ जाने से इस क्षेत्र में डेटा सर्विस और वीडियो सर्विस की मांग बढ जाएगी। कम्युनिकेशन इंजीनियर्स चिप्स की डिजाइनिंग और फैब्रिकेटिंग, एडवांस्ड कम्युनिकेशन, जैसे-सैटेलाइट, माइक्रोवेब कम्युनिकेशन, कम्युनिकेशन नेटवर्क सॉल्यूशन के अलावा, अलग-अलग कई इलेक्ट्रॉनिक फील्ड के काम भी करते हैं। इसलिए उनकी मांग पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर्स दोनों में है।
टीसीएस, मोटोरोला, इंफोसिस, डीआरडीओ, इसरो, एचसीएल, वीएसएनएल आदि कंपनियों में इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कम्युनिकेशन इंजीनियर्स की मांग बहुत अधिक है। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री आवश्यक है।
कहां बनाएं करियर
टेलिकॉम इंडस्ट्री में टेलिकॉम सॉफ्टवेयर इंजीनियर, टेलिकॉम सिस्टम सॉल्युशन इंजीनियर, कम्युनिकेशन इंजीनियर, टेक्निकल सपोर्ट प्रोवाइडर, रिसर्च प्रोजेक्ट सुपरवाइजर, नेटवर्क इंजीनियर के लिए इन दिनों बेहतर संभावनाएं हैं। इसके अलावा, रिटेल ऑउटलेट, प्रीपेड कार्ड सेलर, कस्टमर सर्विस, टावर कंस्ट्रक्शन आदि में भी करियर के रास्ते खुलते जा रहे हैं।
यहां आप टेक्निकल और नॉन- टेक्निकल क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। दोनों ही फील्ड में इन दिनों करियर के भरपूर स्कोप हैं। टेक्निकल क्षेत्र में टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियर की जरूरत होती है, तो नॉन- टेक्निकल फील्ड में बारहवीं या ग्रेजुएशन के बाद करियर बना सकते हैं। नॉन टेक्निकल में कॉर्ड सेलर, कस्टमर केयर सर्विस आदि में नौकरी की तलाश कर सकते हैं।
ऐसे पाएं एंट्री
इन दिनों सबसे अधिक डिमांड टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियर की है। यदि आपकी इच्छा इंजीनियर बनने की है, तो 10+2 में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स सब्जेक्ट जरूर होने चाहिए। 12वीं के बाद आईआईटी-जेईई, एआईईईई या स्टेट के ज्वाइंट इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जामिनेशन टेस्ट क्लियर करके टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (बैचलर डिग्री) का कोर्स कर सकते हैं।
कहां कौन-सा कोर्स
आईआईटी, खडगपुर में कई तरह के कोर्स संचालित हो रहे हैं। इनमें बीटेक (एच) इन इलेक्ट्रॉनिक ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (चार वर्षीय), बीटेक (एच) इन इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग ऐंड एमटेक इन ऑटोमेशन ऐंड कम्प्यूटर विजन (पांच वर्षीय) आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा, आईआईटी खडगपुर से डुअल कोर्स की डिग्री भी प्राप्त की जा सकती है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग + माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड वीएलएसआई डिजाइन (पांच वर्षीय) के अलावा, एमटेक इन आरएफ ऐंड माइक्रोवेव इंजीनियरिंग (दो वर्षीय),एमटेक इन टेलिकम्युनिकेशन सिस्टम्स इंजीनियरिंग (दो वर्षीय) आदि कोर्स भी उपलब्ध हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), खडगपुर में टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम इंजीनियरिंग, फाइबर ऑप्टिक्स ऐंड लाइटवेब इंजीनियरिंग में एम.टेक, इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, टेलीकॉम सिस्टम इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और विजुअल इंफॉर्मेशन ऐंड एम्बेडेड सिस्टम्स में डुएल डिग्री भी उपलब्ध है। यहां से पीएचडी की डिग्री भी ले सकते हैं। दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बैचलर डिग्री के अलावा, इंजीनियरिंग ऐंड कम्युनिकेशन और माइक्रोवेब ऐंड ऑप्टिकल कम्युनिकेशन में मास्टर्स की डिग्री भी ली जा सकती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कालीकट, राउरकेला और कर्नाटक इस क्षेत्र में बीटेक की डिग्री प्रदान करते हैं।
1-मई में 1.63 करोड नए मोबाइल कनेक्शन
2-टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर की भारी डिमांड
3-बीटेक के बाद आसानी से पा सकते हैं एंट्री
4-डिग्री के साथ कुछ अलग स्किल भी जरूरी
5-एंट्री लेवल पर सैलरी पंद्रह से बीस हजार रुपये
6-नॉन-टेक्निकल सेक्टर में भी अवसर
स्पेशल स्किल
चूंकि इस क्षेत्र में गला-काट प्रतियोगिता है, इसलिए सर्वाइव करने के लिए कैंडिडेट के पास डिग्री के साथ-साथ कुछ अलग स्किल्स भी होनी चाहिए। माइक्रोप्रोसेसिंग, सिग्नल्स, डिजिटल सिस्टम्स में कुछ विशेष जानकारी जरूरी है। इस बारे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कालीकट के असिस्टेंट प्रोफेसर ए.वी. बाबू कहते हैं कि इंडस्ट्री ऐसे कैंडिडेट की तलाश में रहती है, जो स्पेशल स्किल की सहायता से कंज्यूमर को कम खर्चे में बेहतर सॉल्यूशन दे सके।
खूब है कमाई
टेलीकॉम इंजीनियर्स को शुरुआत में औसतन 3.5-4 लाख रुपये प्रति वर्ष मिलते हैं। टेक्निकल क्षेत्र में एंट्री लेवल पर सैलॅरी 15 से 20 हजार तक होती है, जबकि नॉन-टेक्निकल क्षेत्र में कार्य करने वालों को शुरुआती दौर में 10 से 15 हजार रुपये का वेतन प्रति माह मिल जाता है।
प्रमुख संस्थान
-भारती स्कूल ऑफ टेलिकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी ऐंड मैनेजमेंट, आईआईटी, दिल्ली
iitd.ac.in
-दिल्ली टेक्नोलॉजिकल युनिवर्सिटी
dce.edu
-नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली
dce.edu
-बिरला इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐंड साइंस, पिलानी
discovery.bits-p ilani.ac.in
-इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी)
-डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन, आईआईटी, खडगपुर
iitkgp.ac.in
-डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, महाराष्ट्र
dbatechuni.org
-सिम्बायोसिस इंस्टीटयूट ऑफ टेलिकॉम मैनेजमेंट, पुणे
sitm.ac.in
-फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी, जादवपुर, कोलकाता
jadavpur.edu
-इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
iisc.ernet.in
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