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बुद्धा स्पोर्टिग सर्किट पर जिंदगी से होड लगाती कारों को देखकर एक बार फिर दिल को अरमानों के पंख लग गए, लगा कि मानों वक्त थम गया हो, दिशाएं एक हो गई हों, सुर्ख काले ट्रैक पर भूचाल आ गया हो. दिल की धडकनों से कदम मिलाती रफ्तार के जहर बुझे इस खेल ने बीते साल देश को अपने आगोश में ले लिया. पहले शुबहा था कि देश की सडकों से अंजान रफ्तार का यह खेल पहचान बनाने में वक्त लेगा लेकिन युवाओं के जुबान पर चढे फेरारी, रिनॉल्ट, मर्सडीज, लुइस हैमिल्टन, किम राइकोनेन, फर्नाडों अलासों जैसे नाम, खेल से जुडी महीन शब्दावलियां, ट्रैक पर खुद को आजमाने की हसरत आज खास तस्वीर पेश कर रही हैं. यदि आप भी ऐसे ही युवाओं में हैं और कॅरियर को एफ-1 की रफ्तार देना चाहते हैं तो इस खेल के रोमांच से जुडे एक और आयाम ऑटोमोबाइल सेक्टर में इंट्री ले सकते हैं. आम जीवन के साथ देश की नब्ज यानि उद्योगों को बढत दिलाने में कारगर इस सेक्टर की महत्ता बीते सालों में बढी है. भारी उद्योग मंत्रालय केअंतर्गत ऑटोमेटिव मिशन प्लान केमुताबिक देश की जीडीपी में इस क्षेत्र की भागीदारी आज करीब 5.2 फीसदी है?जिसके 2016 तक 10 फीसदी के आंकडा पार कर जाने की उम्मीद है. ऐसे बूम के माहौल में विशेषज्ञ भी मानते हैं कि आनेवाले समय में ऑटो मोबाइल,ऑटो कंपोनेट्स निर्माता कंपनियों में योग्य कर्मचारियों की भारी जरूरत पडने वाली है. लिहाजा आप भी चाहें तो इस इंडस्ट्री में अपनी योग्यता के अनुरूप प्लानिंग, डिजाइन, डेवलपमेंट मैन्युफैक्च¨रग, टेस्टिंग, रिसर्च एंड डेवलपमेंट जैसे बहुत से क्षेत्रों में खुद को आजमा सकते हैं.
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कैसी चाहिए स्किल्स
हो कार्य के हर आयाम की जानकारी एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर के अपने काम के करीब-करीब हर परिप्रेक्ष्य की जानकारी होनी चाहिए. जिसमें मैकेनिकल इंजीनियरिंग के साथ इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, फ्यूल टेक्नोलॉजी की अच्छी जानकारी आपके बहुत काम आएगी.
सटीक कम्यूनिकेशन स्किल्स
इस क्षेत्र में न केवल जॉब पाने बल्कि सफल होने के लिए बढिया कम्यू-निकेशन स्किल्स की सख्त दरकार होगी. इसके अंतर्गत आपकी अच्छी इंग्लिश, कस्टमर को डील करने का तरीका, अपने सीनियरों व जूनियरों से बेहतर संवाद खासे उपयोगी हो सकते हैं.
कंप्यूटर की बेहतर नालेज
कंप्यूटर आजकल हर जॉब में मस्ट रिक्वॉयर्ड का दर्जा पा चुका है. ऑटोमोबाइल भी इसमें अपवाद नहीं है. यहां गाडियों की डिजाइन के क्षेत्र में जहां आपके कंप्यूटर ऐडेड डिजाइन और कंप्यूटर ऑटोमेशन संबंधीज्ञान की परीक्षा होती है, तो मार्केटिंग क्लाइंट डीलिंग जैसे कामों में भी आपसे सामान्य कंप्यूटर क्षमताओं की अपेक्षा की जाती है.
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टेक्नोफ्रेंडली लोगों के लिए सहूलियत
बताने की जरूरत नहीं कि यह क्षेत्र पूरी तरह तकनीक पर आधारित है. लिहाजा आपको इस फील्ड में हो रहे बदलावों, बाजार में आ रही नई-नई ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी से परिचित होना होगा. लेकिन यह काम आप तभी कर सकेंगे जब तकनीक के क्षेत्र में अच्छी खासी रुचि रखते हों.
फिजिकल फिटनेस अहम
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का ऐसा सेक्टर है जिसमें आपको कई-कई शिफ्टों में व भारी उपकरणों के साथ काम करना होता है. ऐसे में आपकी फिजिकल फिटनेस काम के घ्ाटों में बहुत उपयोगी है. अगर आप मानसिक और शारीरिक रूप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप अपना बेस्ट नहीं दे सकते हैं. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बदलते माहौल में आज भी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री युवाओं के सिर चढकर बोल रही है और कॅरियर के अनेक विकल्प उपलब्ध करा रही है.
दिलीप छाबरिया ऑटोडिजाइन ने दिलाई शोहरत ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को केवल कारों से जोडकर देखना ठीक नहीं होगा. आज इस क्षेत्र ने अपना दायरा बढाया है. इस फील्ड को मोटे तौर पर टू व्हीलर, कॉमर्शियल वेहिकल्स, थ्री व्हीलर, पैसेंजर कार जैसी कई श्रेणियों में बांटा जा सकता है. यूं तो हर जगह काम की संभावनाएं हैं लेकिन डिजाइन एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी दरकार करीब करीब प्रत्येक सेगमेंट को पडती है. इन चुनौती भरे विकल्प में यदि आप भी जाना चाहतें हैं तो दिलीप छाबरिया आपकी प्रेरणा बन सकते हैं. कैलीफोर्निया के आर्ट सेंटर कॉलेज ऑफ डिजाइन से ट्रांसपोर्टेशन डिजाइन में डिगी्रधारी छाबरिया ने जनरल मोटर्स के डिजाइन सेंटर में काम करना शुरू किया. लेकिन उन्हें प्रसिद्धि अपनेऑटो एक्सेसरीज बिजनेस के चलते मुमकिन हुई. जेम्स बांड मूवी डाई अनॉदर डे में प्रयोग की गई ऑस्टन मार्टिन वेंक्विश कार का प्रोटोटाइप तैयार वे शोहरत के शिखर पर पहुंच गए. आज उनकी कंपनी दिलीप छाबरिया डिजाइन प्राइवेट लिमटेड न केवल पूरी दुनिया की ग्राहकों की मांग पर कार डिजाइन करती है बल्कि ऑटोमोबाइल दिग्गजों के वाहन डिजाइन में सहायता देती है. आज बॉलीवुड के बडे-बडे स्टार्स की वैनिटी वैन से लेकर फिल्म टार्जन द वंडर कारमें इस्तेमाल कार,टाटा नैनो के विशेष संकरण,महिंद्रा एक्सयूवी-500 के मेकओवर तक उनके खाते में अनेक उपलब्धियां है.
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2013 का कॅरियर इंजन
बीते सालों में देश की ऊंची ग्रोथ रेट ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के पैरों तले मखमली ट्रैक बिछा दिया है. बढी आय के बीच समाज के हर स्तर पर मौजूद व्यक्ति अपनी हैसियत के मुताबिक एक अदद वाहन का ख्वाब देख रहा है. बढती आमदनी व सरकारी प्रोत्साहन ने भी लोगों की सोच पर फर्क डाला है और वे दुपहिया से चार पहिया वाहन लेने में औसतन कम समय ले रहे हैं. कार व कॉमर्शियल,सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर का एक आंकडा इस बात की तस्दीक करता है. इसके मुताबिक देश में वाहनों की सालाना बिक्री 2015 तक 40 लाख तक पहुंचने का अनुमान है. वहीं रोजगार के मोर्चे पर गौर करें तो आज करीब 10 मिलियन लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है. इसमें 33 फीसदी लोग संगठित ऑटोमोबाइल व 67 फीसदी लोग असंगठित सेक्टर में कार्यरत हैं. माना जा रहा है 2016 तक 25 मिलियन लोग यहां कार्यरत होंगे. आनेवाले समय में कॅरियर का इंजन कहें तो गलत नहीं होगा.
हर लेवल पर रोजगार
इस फील्ड की सबसे बडी खसियत है कि यहां हर स्तर पर काम के मौके हैं. सामान्य टेक्नीशियन से लेकर एमटेक, एमबीए व पीएचडी डिग्री होल्डर्स को भी यहां काम मिलता है. मसलन जहां एक ओर इंडस्ट्री में प्रोडक्शन प्लांट, सर्विस स्टेशन पर काम के मौके मिलते हैं तो वहीं सरकारी, प्राइवेट ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में भी आपके पास काम के मौके हमेशा रहते हैं.
बेहतर हैं रेम्यूनेरेशन्स
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में आपका वेतन/भत्ते आपकी योग्यता, आपको डिग्री देने वाले संस्थान के गुणवत्ता के साथ संबंधित जॉब प्रदाता कंपनी के स्तर पर भी निर्भर करता है. फिर भी माना जाता है?कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में कोई भी फ्रेश गे्रजुएट्स 15-20 हजार रुपए कमा सकता है. वहीं 3-4 साल के कार्य अनुभव के बाद आपकी मासिक सैलरी 40 हजार के आसपास भी पहुंच सकती है. यही कारण है कि इस क्षेत्र में काफी संख्या में युवा आ रहे हैं.
टॉप कोर्सेज
इस क्षेत्र में इंजीनियरों की बढती मांग को देखते हुए देश के कई संस्थानों में ऑटोमोबाइल डिग्री/ डिप्लोमा कोर्स ऑफर किए जाते हैं. देश के ज्यादातर इंजीनियरिंग संस्थान (सरकारी व प्राइवेट दोनों में ही) इस स्ट्रीम में बी-टेक, बीई कोर्स चलते हैं. वहीं इस क्षेत्र में बतौर सेल्स एक्जीक्यूटिव काम करने के लिए भी आपको बीबीए, एमबीए जैसे कोर्सेज की दरकार होगी. अहम है कि आप 10+2 में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स जैसे विषय रखते हों. आप चाहें बीटेक/बीई के बाद एमटेक का विकल्प भी चुन सकते हैं. यही नहीं यदि आप 10वीं के बाद से ही अपने पैरों पर खडे होना चाहते हैं तो भी यहां अच्छी संभावनाएं हैं. आप 10वीं बाद ही डिप्लोमा इन ऑटोमोबाइल में प्रवेश लेकर अपनी किस्मत संवार सकते हैं. अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप कौन सा कोर्स करते हैं.
ऑटोमोबाइल के हॉट सेक्टर
आज भी इंजीनिय¨रग सेक्टर में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री सर्वाधिक संभावनाओं वाले क्षेत्रों में गिनी जाती है. लेकिन इस क्षेत्र को सिर्फ इंजीनियरिंग से ही जोडकर देखना ठीक नहीं होगा. आज यहां इंजीनिय¨रग के साथ-साथ मार्केटिंग, सेल्स, रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ स्वरोजगार भी एक विकल्प के तौर पर उभरा है. यही कारण है कि इसका विस्तार बढा है और अधिक से अधिक युवा इस क्षेत्र में अपना फ्यूचर सेक्योर करने के लिए बढ रहे हैं.
इंजीनियरिंग बनेगा रोजगार का आधार
परंपरागत कारों का निर्माण ऐसे इंजीनियरों की देखरेख में होता है जो कार की तकनीकी गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार होते हैं. गाडी के पावर, उसकी इंटीरियर्स, एक्सटीरियर्स आदि के लिए भी वही जिम्मेदार होते हैं. कार की क्षमताओं, पावर से समझौता किए बगैर उसे उसके तय निर्माण मूल्य से आगे न जाने देना भी इन्हीं के काम में शुमार होता है. कार के निर्माण में किन-किन चीजों को प्राथमिकता मिलनी है, वह किस सेगमेंट के लिए उतारी जानी हैं, अंतरराष्ट्रीय मानक, ईधन खपत, सुरक्षा मानक जैसे जटिल, तकनीकी विषयों को इंजीनियरों की यही टीम हल करती है. सुविधा के लिहाज से हम ऑटोमोबाइल इंजीनियर के काम को प्लानिंग, डिजाइनिंग, डेवलपमेंट, मैन्यूफैक्च¨रग, टेस्टिंग जैसे वर्गो में बांट सकते हैं.
सेल्स है हरदम डिमांडिंग
अपने निर्माण के बाद दूसरी सबसे बडी जरूरत होती है कारों की बिक्री. इसका दायित्व सेल्स डिपार्टमेंट के पास होता है. यहां काम करने वाले लोग कार की बेहतर मार्केटिंग करके ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसे खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं. देश भर में मौजूद अलग-अलग ब्रांड की कारों के शोरूम में ऐसे ही ऊर्जावान सेल्स एक्जीक्यूटिव्स की खूाब मांग है. वेतन के साथ प्रति कार बिक्री पर मिलने वाला इन्सेंटिव इस क्षेत्र का खास आकर्षण है. यहां काम करते हुए आप सेल्स मैनेजर, एरिया मैनेजर जैसे पदों से होते हुए जीएम तक पहुंच सकते हैं. यदि आप ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की अच्छी जानकारी रखते हैं और साथ ही बीबीए, एमबीए जैसी डिग्री रखते हैं तो यहां आपके लिए काम की कई संभावनाएं हैं.
स्वरोजगार के लिए बेहतर माहौल
जाहिर है जब कोई मशीन है तो उसमें तकनीकी खराबी कोई बडी बात नहीं है. इन खराबियों को दूर करने के लिए वर्कशॉप, गैरेज जैसे कई विकल्प होते हैं. यदि आप इस क्षेत्र के अच्छे ज्ञान के साथ बीटेक या फिर आईटीआई डिप्लोमा जैसी योग्यता रखते हैं तो आवश्यक नहीं कि आप यहां नौकरियों के लिए ही हाथ पांव मारें. आप अपना वर्कशॉप, फैक्टरी, रिपेय¨रग सेंटर खोलकर भी न केवल स्वयं रोजगार अर्जित कर सकते हैं बल्कि दूसरों को भी नौकरी दे सकते हैं. आप यदि स्वयं लोगों को रोजगार देना चाहते हैं और चाहते हैं कि आपकी अलग पहचान हो तो यह बेस्ट विकल्प है.
डिजाइनिंग स्किल हो बेहतर
डिजाइनिंग भी हालांकि इंजीनियरिंग से ही जुडा क्षेत्र है लेकिन इसमें खासतौर पर उन युवाओं को वरीयता मिलती है जिनके पास सीएडी (कंप्यूटर ऐडेड डिजाइन),सीएएम(कंप्यूटर ऑटोमेशन) साथ अच्छी स्केचिंग,थ्रीडी शेप्स और मॉडल्स की अच्छी समझ हो. इनसे जुडकर आप कार के मॉडलों, डिजाइन से संबंधित काम अंजाम देते हैं. इसके साथ आप चाहें तो कंपनी की रिसर्च व डेवलपमेंट विंग के साथ जुडकर भी आप अपने साथ-साथ कंपनी को बुलंदियों पर पहुंचा सकते हैं.
शिक्षा क्षेत्र में हैं काम के मौके
वे युवा जिनके पास ऑटो इंडस्ट्री में मास्टर डिग्री के साथ स्नातक स्तर पर पांच साल की अध्यापन अनुभव या किसी प्रतिष्ठित ऑटो फर्म मे न्यूनतम पांच साल का इंडस्ट्रियल एक्सपीरियंस है, तकनीकी शिक्षा संस्थानों में बतौर लेक्चरर काम ढूंढ सकते हैं. ऑटोमोबाइल में पीएचडी डिग्री होल्डर्स को भी इंडस्ट्री, शोधकर्ता/ वैज्ञानिक के रूप में अवसर देती है. इस प्रकार कह सकते हैं कि अगर आप इस वर्ष राइजिंग कॅरियर की तलाश में हैं तो आपके लिए ऑटोमोबाइल बेहतर कॅरियर विकल्प हो सकता है.
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