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किसी भी देश में जब कोई बडा आयोजन होता है तो उसका शुभारंभ सांस्कृतिक कार्यक्रमों (Cultural Programs) से ही किया जाता है। इसमें प्रमुख रूप से शास्त्रीय एवं लोकनृत्यों के (Classical and Folk Dances) कार्यक्रम आयोजित होते हैं। यह कार्यक्रम देश के गौरवशाली सांस्कृतिक अतीत का प्रदर्शन करते हैं। यह परंपरा सदियों से जारी है और आगे भी ऐसा ही होता रहेगा क्योंकि बहुत कुछ खत्म हो सकता है लेकिन कला नहीं। कला अमर होती है और उसी से राष्ट्र की पहचान बनती है। विश्व में भारत को जिन चीजों के लिए आदिकाल से जाना जाता रहा है, नृत्य (Dance) भी उन्हीं में से एक है। इस फील्ड में काफी अवसर हैं।
अभिव्यक्तियों का प्रदर्शन
नृत्य एक सार्वभौमिक कला (Universal Arts) है, यह देखने में तो आसान लगती है लेकिन होती नहीं है। इस कला के जरिए मानवीय अभिव्यक्तियों (Human Expressions) का प्रदर्शन किया जाता है। नृत्य किसी भी तरह का हो, उसमें शारीरिक गतिविधियों और चेहरे के हावभावों के बीच सामन्जस्य होना बेहद जरूरी है।
इसके बिना नृत्य को अधूरा माना जाता है। भारतीय नृत्य (Indian Dance) में उतनी ही विविधता पाई जाती है, जितनी यहां की संस्कृति में। भारतीय नृत्य को प्रमुख रूप से शास्त्रीय और लोक नृत्य (Classical and Folk Dance) में विभाजित किया जा सकता है।
भारत की पुरानी परंपरा
बहुत से विद्वान नृत्य का उदय भारत से मानते हैं। न जाने कितने ऐसे प्रमाण हैं जो स्पष्ट करते हैं कि भारतीय धार्मिक मान्यताओं में नृत्य का हजारों-हजार साल से महत्व रहा है। भरतमुनि का नाट्यशास्त्र (Bharata Muni’s Natya Shastra) भारतीय नृत्य (Indian Dance) से संबंधित प्रमुख ग्रंथ है। वेदों में भी कई जगह नृत्य का उल्लेख किया गया है। आदिकाल से लेकर आज तक भारतीयों के यहां होने वाला कोई भी शुभकार्य नृत्य के बिना संपन्न नहीं होता है।
हर तरह के हैं कोर्स
कहा जाता है कि नृत्य एक साधना है, जिसकी पूर्ति बिना गुरु के संभव नहीं है। प्राचीन गुरुकुलों (Ancient Gurukul) में भी इसकी शिक्षा छात्रों को दी जाती थी। आज भी इसका प्रशिक्षण देने के लिए कई तरह के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। इन कोर्सो (Courses) को करके अच्छा भविष्य बनाया जा सकता है। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा से लेकर डिग्री तक के कोर्स आप नृत्य में कर सकते हैं। इसमें पीएचडी (Doctor of Philosophy) कोर्स भी उपलब्ध है।
छोटी से बडी अवधि के कोर्स
इसमें अवधि के हिसाब से भी कोर्सो का चयन कर सकते हैं। कुछ माह से लेकर कई साल तक के कोर्स (Course) उपलब्ध हैं। आप चाहें तो तीन माह से लेकर पांच साल तक का कोर्स कर सकते हैं। वैसे अधिकतर विद्यार्थी इसमें स्नातक या परास्नातक की डिग्री लेना ही पसंद करते हैं। जो लोग इस फील्ड में महारथ हासिल करके बडे प्रशिक्षण केन्द्रों एवं विश्वविद्यालयों में टीचर बनाना चाहते हैं, वे चाहें तो पीएचडी कर करते हैं।
शास्त्रीय नृत्यों पर जोर
जो विश्वविद्यालय इसका कोर्स करा रहे हैं, वे कला एवं संस्कृति (Art and Culture) के संरक्षण का काम कर रहे हैं। ऐसे केन्द्रों में शास्त्रीय नृत्यों (Classical Dance) पर ही जोर दिया जाता है। उत्तर भारत (North India) के विश्वविद्यालयों की बात की जाए, तो उनमें अधिकांशत: कत्थक नृत्य (Kathak Dance) को ही वरीयता दी जाती है।
कितनी शैक्षिक योग्यता
इसमें बैचलर डिग्री एवं सर्टिफिकेट कोर्स के लिए किसी भी वर्ग में 12वीं पास होना अनिवार्य है। जो स्टूडेंट इस फील्ड में मास्टर्स डिग्री प्राप्त करना चाहते हैं, उनका इस विषय से स्नातक (Graduation) होना आवश्यक है।
व्यक्तिगत गुण
लगनशील और हर चीज को सीखने की कोशिश करने वाले इस फील्ड में सफल हो सकते हैं। जिनमें यह आत्मविश्वास है कि वे कला की इस विद्या में पारंगत होकर ही रहेंगे, उन्हें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है।
अवसर ही अवसर
इसमें निपुण कलाकारों को पहले बडे-बडे राजा-महाराजा अपने दरबारों में रखते थे। विभिन्न समारोहों में इनकी कला का प्रदर्शन किया जाता था। ये लोग राजघरानों (Royal Family) के बच्चों को यह कला सिखाने का काम भी करते थे। उस समय की तरह आज भी इसके जानकार शिक्षण संस्थानों (Educational Institutions) में टीचर के रूप में भी नियुक्त किए जाते हैं। वे फिल्मों में, टीवी सीरियलों में, स्टेज आर्टिस्ट (Stage Artist) के रूप में भी काम कर सकते हैं।
क्यों बढ रहा है क्रेज
आज डांस सीखने वाले अधिकतर लोग फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) में काम करना चाहते हैं, क्योंकि इस फील्ड में नाम और पैसा बहुत है। आज मनोरंजक टीवी चैनलों पर कई ऐसे कार्यक्रम आ रहे हैं, जो डांस को प्रमोट कर रहे हैं। ये कार्यक्रम छोटी जगहों से आए कलाकारों को स्थापित करने का काम कर रहे हैं। इसमें परफॉर्म करते छोटे-छोटे प्रतियोगियों को देख सभी चाहने लगे हैं कि उनके बच्चे भी ऐसे कंपटीशनों में हिस्सा लें और जीतें।
कोर्स कहां से करें
वनस्थली विद्यापीठ, जयपुर
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता
तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ, पुणे
अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ
एमएस यूनिवर्सिटी, वदोदरा
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू
कत्थक केन्द्र, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कत्थक डांस, नई दिल्ली
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