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अब जॉब मार्केट की दृष्टि से सामान्य बीए, बीएससी करना बहुत उपयोगी नहीं रह गया है। लेकिन अकाउंटिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी जरूरत हर छोटी-बड़ी और सरकारी कंपनी को होती है। बिना इस विभाग के किसी भी कंपनी में वित्तीय लेन-देन, स्टाफ की सैलरी का मेंटिनेंस, बही-खातों की समुचित देख-रेख, बैलेंस शीट बनाना, विभिन्न करों का हिसाब-किताब आदि से संबंधित काम नहीं हो सकते। इसके लिए कंपनियां अकाउंटिंग एक्सपर्ट्स को या तो नियमित सैलरी पर रखती हैं या फिर समय-समय पर उन्हें हायर करती रहती हैं। दरअसल, अकाउंटिंग का कोर्स करने के बाद जहां एक ओर बीकॉम, एमकॉम व कम्प्यूटर अकाउंटिंग जैसे कोर्स करने वाले युवा विभिन्न कंपनियों में तुरंत जॉब पा सकते हैं, वहीं दूसरी ओर सीए, सीएस या आईसीडब्ल्यूएआई से कोर्स करने वाले युवा इस फील्ड में कंसल्टेंसी या जॉब करके कॅरियर की बुलंदियां भी छू सकते हैं। आइए, जानते हैं कि इन कोर्सों की क्या खासियत है और इन्हें कौन कर सकता है?
कॉस्ट ऐंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग
कॉस्ट ऐंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग का कोर्स करने वाले प्रोफेशनल्स हर तरह की चुनौती का सामना करने तथा ऑपरेशंस को कॉस्ट इफेक्टिव बनाने में माहिर होते हैं। ऐसी विशेषज्ञता वाले लोग इन्वेस्टमेंट प्लानिंग, प्रॉफिट प्लानिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट तथा इससे संबंधित मैनेजरियल निर्णय लेने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे संबंधित कोर्स भारत सरकार की एकमात्र संस्था आईसीडब्ल्यूएआई संचालित करती है।
कैसे-कैसे हैं कोर्स
इसके द्वारा तीन तरह के कोर्स संचालित किए जाते हैं-फाउंडेशन कोर्स, इंटरमीडिएट कोर्स और फाइनल कोर्स। फाउंडेशन कोर्स के लिए कम से कम 17 वर्ष का किसी भी स्ट्रीम से बारहवीं पास या बारहवीं की परीक्षा दे चुके युवा आवेदन कर सकता है। इसकी परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर में होती है। आप जिस परीक्षा में भाग लेना चाहते हैं, उससे कम से कम छह माह पहले नामांकन कराना होगा। इंटरमीडिएट कोर्स में ऐसे स्टूडेंट एडमिशन ले सकते हैं, जिन्होंने या तो फाउंडेशन कोर्स उत्तीर्ण कर लिया हो या फिर जो किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट (म्यूजिक, डांस, फोटोग्राफी व पेंटिंग छोड़कर) हों। इसके लिए न्यूनतम उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। इसमें भी परीक्षा वाले टर्म से कम से कम छह माह पहले प्रवेश लेना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि आईसीडब्ल्यूएआई द्वारा संचालित फाइनल कोर्स में वही छात्र प्रवेश ले सकते हैं, जिन्होंने इस संस्था से पहले इंटरमीडिएट कोर्स कर रखा है। यहां से कोर्स करने के बाद मैन्युफैक्चरिंग व मल्टीनेशनल कंपनी या सर्विस सेक्टर में आसानी से काम हासिल किया जा सकता है। ऐसी कंपनियों में अपनी योग्यता और प्रतिभा के बल पर कॉस्ट कंट्रोलर, मार्केटिंग मैनेजर, चीफ अकाउंटेंट, फाइनेंशियल कंट्रोलर, मैनेजिंग डायरेक्टर, चेयरमैन, सीईओ जैसे पदों तक पहुंचा जा सकता है।
सीएस बन कर पाएं बोर्ड रूम में एंट्री
कॉमर्स में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स कंपनी सेक्रेटरी यानी सीएस कोर्स करके एमडी, चेयरमैन, डायरेक्टर आदि के साथ न केवल बोर्ड रूम की बैठकों में शामिल हो सकते हैं, बल्कि आकर्षक कमाई भी कर सकते हैं। इसके लिए भारत सरकार की संवैधानिक संस्था द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया द्वारा संचालित फाउंडेशन, एग्जीक्यूटिव और प्रोफेशनल कोर्स करना होगा। इसके बाद आप कंपनी सेक्रेटरी जैसे प्रतिष्ठित पद पर देश-दुनिया की तमाम कंपनियों में काम कर सकते हैं या फिर स्वतंत्र रूप से कंसल्टेंसी भी दे सकते हैं। आठ माह के फाउंडेशन कोर्स में कॉमर्स के अलावा, आर्ट्स व साइंस से बारहवीं पास स्टूडेंट्स भी प्रवेश ले सकते हैं। एग्जीक्यूटिव कोर्स में सीएस या कॉमर्स में डिग्री या मास्टर डिग्री रखने वाले, फाइन आर्ट्स छोड़कर किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएट, आईसीडब्ल्यूएआई की फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण या इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की परीक्षा पास करने वाले सीधे प्रवेश ले सकते हैं।
चार्टर्ड अकाउंटेंसी यानी सीए
आज इंडस्ट्री में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की खूब डिमांड है। यह बेहद चैलेंजिंग काम है। अगर आप इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा संचालित फाइनल कोर्स कम्प्लीट कर लेते हैं, तो आपको अकाउंटिंग, ऑडिटिंग, कॉर्पोरेट फाइनेंस, प्रोजेक्ट इवैल्यूएशन, कंपनी व बिजनेज लॉ, टैक्सेशन एवं कॉर्पोरेट गवर्नेंस के क्षेत्रों में टॉप जॉब या प्रैक्टिस करने का मौका मिल सकता है। इसके लिए बारहवीं के बाद साल में दो बार होने वाले सीपीटी यानी कॉमन प्रोफेशिएंसी टेस्ट में सम्मिलित होकर नामांकन करा सकते हैं। सीपीटी उत्तीर्ण होने के बाद तीन माह की आर्टिकलशिप ट्रेनिंग और सौ घंटे की आईटीटी ट्रेनिंग लेनी होती है और फिर पीसीई यानी प्रोफेशनल कॉम्पिटेंस एग्जाम में शामिल होना पड़ता है। आठ माह की ऑडिट ट्रेनिंग छह माह की आर्टिकल ट्रेनिंग के बराबर होती है। पीसीई के बाद फाइनल एग्जाम देना होता है। इसे उत्तीर्ण करने के बाद सीए के रूप में जॉब या प्रैक्टिस कर सकते हैं। जॉब करते हुए न्यूनतम औसत सैलरी सालाना छह लाख रुपये हासिल कर सकते हैं।
कम्प्यूटर अकाउंटेंसी
आज पूरी दुनिया में आईटी की धूम है यानी हर काम कम्प्यूटर की मदद से किए जा रहे हैं। ऐसे में अकाउंटिंग क्षेत्र भला इससे कैसे अछूता रह सकता है! यही कारण है कि अब कार्यालयों में पहले की तरह मोटे-मोटे बही-खाते नहीं दिखते, क्योंकि इनकी जगह ले ली है कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर्स ने। इस सुविधा की बदौलत अब घंटो कलम-कागज और कैलकुलेटर लेकर अकाउंटेंट को संख्याओं से जूझना नहीं पडता, बल्कि अब विशेष रूप से बनाए गए टैली जैसे सॉफ्टवेयर की बदौलत मुश्किल से मुश्किल कैलकुलेशंस भी पलक झपकते ही हो जाते हैं और वह भी पूरी शुद्धता के साथ। आप चाहें, तो विभिन्न संस्थानों द्वारा चलाए जाने वाले ऐसे कोर्स में महज बारहवीं के बाद ही एडमिशन ले सकते हैं। ऐसे कोर्स एक से डेढ वर्ष की अवधि के होते हैं।
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