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Career in Cricket Field- क्रिकेट के पीछे भी है कॅरियर

नई इबारत नई मंजिल
नई इबारत नई मंजिल
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Commentatorइंदौर के अतुल आनंद को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक रहा है। बारहवीं तक आते-आते उसने एक ऑलराउंडर के रूप में खूब जौहर दिखाए और उसे राज्य की तरफ से रणजी मैचों में भी खेलने का अवसर मिलने लगा, लेकिन इसके बाद बुरी तरह बीमार पड़ जाने के बाद डॉक्टर ने उसे खेलने से बचने की सलाह दे दी। अतुल को लगने लगा कि क्रिकेट से दूर रहकर तो वह जी ही नहीं सकेगा। उसी दौरान उसके एक शुभचिंतक ने सलाह दी कि वह अभी भी इस खेल से जुड़ा रह सकता है, लेकिन खिलाड़ी के रूप में नहीं बल्कि अम्पायर, कोच या कमेंटेटर के रूप में। अतुल को यह सुझाव इतना भाया कि उसने कोच बनने का फैसला कर लिया और आज वह नवोदित क्रिकेटरों को क्रिकेट की बारीकियां सिखाकर स्टार बनाने में जी-जान से जुटा हुआ है।


खुला हुआ मैदान

अगर आप क्रिकेट के प्रति दीवानगी रखते हैं और किसी वजह से बड़े खिलाड़ी नहीं बन पा रहे, तो चिंता न करें। ट्वेंटी-20 व‌र्ल्ड कप और आईपीएल ने जिस तरह क्रिकेट का खुमार बढ़ाया है, उससे इस खेल में कॅरियर के कई नए-नए और आकर्षक क्षेत्र खुल गए हैं। इनमें भरपूर ग्लैमर भी है और पर्याप्त पैसा भी। क्रिकेट से जुड़े कितने तरह के कॅरियर हो सकते हैं, उन पर एक खास नजर..


अम्पायर (Umpire): दोनों टीमों के ग्यारह-ग्यारह खिलाडियों के अलावा कोई अन्य व्यक्ति अगर मैच के दौरान मैदान में दिखता है, तो वह अम्पायर ही है। एक कुशल अम्पायर को क्रिकेट की बारीकियों और ट‌र्म्स का पूरा ज्ञान होना चाहिए, क्योंकि अम्पायरिंग के दौरान कुछ ही क्षणों में उसे निर्णय करना होता है। इंटरनेशनल से लेकर स्थानीय स्तर पर होने वाले किसी भी मैच के दौरान दो अम्पायरों का होना जरूरी होता है। आईसीसी (International Cricket Council) द्वारा इंटरनेशनल लेवल पर और बीसीसीआई द्वारा नेशनल लेवल पर अम्पायर्स का पैनल बनाया जाता है और उन्हें प्रति मैच फीस के हिसाब से भुगतान किया जाता है। अम्पायरों की जरूरत स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर होने वाले मैचों में भी होती है।


कमेंटेटर या ऐंकर (Commentator or Anchor): कमेंट्री करना एक कला है और इसे वही अंजाम दे सकता है, जो क्रिकेट की बारीकियों और खिलाडियों के नामों को जानने के अलावा अच्छी भाषा में धाराप्रवाह बोल सकता हो। रेडियो और टीवी के लिए अच्छे कमेंटेटर्स की डिमांड हमेशा होती है। प्रायोजक बढ़ने और ट्वेंटी-20 तथा आईपीएल आरंभ होने के बाद अब तो टीवी पर ऐंकर्स की एंट्री भी हो गई है।


कोच (Coach): एक आदर्श कोच ही किसी को महान खिलाड़ी बनाता है। एक कामयाब बॉलर, बैट्समैन या ऑलराउंडर बनने की चाह रखने वाले युवा को अगर एक बढ़िया कोच या प्रशिक्षक मिल गया, तो उसकी मंजिल बेहद आसान हो जाती है। सचिन तेंदुलकर को गढ़ने में अगर किसी का सबसे अधिक हाथ है तो वह उनके कोच रमाकांत आचरेकर का है। आज देश में कई ऐसे कोच हैं, जिनकी देख-रेख में के कई जाने-माने खिलाडियों ने ट्रेनिंग ली है और उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। कोच बनने का सपना देखने वाले युवा इसके लिए बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट एकेडमी (National Cricket Academy) या क्षेत्रीय अकादमियों से संपर्क कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए बीसीसीआई (Board of Control for Cricket in India) की वेबसाइट से जानकारी ली जा सकती है।


Coachस्कोरर या स्टेटिस्टिशियन  (Scorer or Statistician): किसी भी क्रिकेट मैच में स्कोर की गणना और कमेंटेटर्स को पिछले रिकॉ‌र्ड्स बताने के लिए स्कोरर या स्टेटिस्टिशियन भी होते हैं। आईसीसी, बीसीसीआई या किसी भी देश का क्रिकेट बोर्ड (Cricket Board) नियमित तौर पर स्कोरर की नियुक्ति करते हैं। इसके लिए स्कोरर्स और स्टेटिस्टिशियन एसोसिएशन से भी संपर्क किया जा सकता है।


फिजियोथेरेपिस्ट  (Physiotherapist): क्रिकेट खिलाड़ियों को सही तरीके से वार्म-अप कराने तथा अभ्यास या खेल के दौरान उन्हें लगने वाली चोटों से राहत पहुंचाने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत होती है। खिलाड़ी को फिट रखने में फिजियोथेरेपिस्ट की अहम भूमिका होती है। अगर आप फिजिकल एजुकेशन और अन्य जरूरी योग्यताएं रखते हैं तो आप इसके लिए क्रिकेट टीमों और उनके आयोजकों से संपर्क कर अपने लिए बात कर सकते हैं।


डॉक्टर (Doctor): हर क्रिकेट टीम के लिए एक या दो डॉक्टरों की टीम रहती है, जो आवश्यकता होने पर टीम मेंबर्स को जरूरी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करती है। इनकी नियुक्ति फुलटाइम के रूप में की जाती है। यदि आप प्रोफेशनल डॉक्टर हैं और क्रिकेट से जुड़ना चाहते हैं तो आप क्रिकेट बोर्डो और टीमों से संपर्क कर सकते हैं।


और भी हैं राहें

इसके अलावा आज क्रिकेट से जुड़े ऐसे कई प्रोफेशन हैं, जिनमें आप अपनी रुचि के अनुसार संभावनाएं तलाश सकते हैं। इनमें ग्राउंड्समैन-क्यूरेटर, क्रिकेट जर्नलिस्ट, मीडिया मैनेजर, प्लेयर एजेंट, पीआर मैनेजर, कंटेंट प्रोवाइडर, सिंडीकेशन एग्जीक्यूटिव आदि प्रमुख हैं। क्रिकेट जर्नलिस्ट होने के लिए आपको क्रिकेट का जानकार होने के अलावा अच्छी भाषा का भी जानकार होना चाहिए। अगर यह गुण आपमें हैं तो आप अखबारों, पत्रिकाओं, वेबसाइट्स, ब्लॉग्स आदि पर लिखकर पैसे कमा सकते हैं।


कमाई भी आकर्षक

अगर आप इनमें से किसी भी सेक्टर में प्रोफेशन की शुरुआत करते हैं तो मैच के लेवल और अपने काम के हिसाब से आप सालाना तीन लाख से लेकर बीस लाख रुपये तक कमा सकते हैं। नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर पहचान और डिमांड होने पर आप इससे कहीं बहुत ज्यादा की कमाई कर सकते हैं।


कैसे बढ़े आगे

अगर आप इनमें से किसी भी फील्ड में कॅरियर बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद को उस फील्ड में बेहतर तरीके से ग्रूम करें। संभव हो तो जरूरी ट्रेनिंग भी लें। इसके बाद आप स्थानीय स्पो‌र्ट्स अथॉरिटी, स्टेट बोर्ड या बीसीसीआई के किसी केंद्र से संपर्क करें और संभावनाएं ढूंढें।


Physiotherapistसमझें खेल की बारीकियां

क्रिकेट कोचिंग में कॅरियर को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के सीनियर मेंबर वीरेन्द्र सहवाग के कोच ए.एन. शर्मा से खास बातचीत की गई। पेश हैं इसके प्रमुख अंश :


कोच के रूप में कॅरियर बनाने की चाह रखने वाले युवाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

कोच को खेल की समस्त जानकारियां होनी आवश्यक हैं। दूसरा बच्चों की स्किल और उसको मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाने की क्षमता भी जरूरी है।


क्या इसके लिए क्रिकेटर होना जरूरी है?

इसके लिए क्रिकेटर होना अनिवार्य नहीं है। कोच कोई भी बन सकता है, लेकिन इसके लिए उसके पास खेल से जुड़ी तकनीक की बारीकियों को समझने की क्षमता अनिवार्य है।


किसी क्रिकेटर की कला तराशते समय आप किन बातों पर फोकस करते हैं?

हम पहले क्रिकेट सीखने वाले बच्चे के भीतर की ललक देखते हैं। इसके बाद वर्तमान समय में उसकी क्षमता का पता लगाते हैं। हमारी कोशिश होती है कि वह जिस तरीके से खेलता आ रहा है, उसी में उसे इम्प्रूव किया जाए। उदाहरण के रूप में सहवाग को हमने हमेशा ही अपने नेचुरल तरीके से खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। अगर हम उसके खेल में बदलाव लाते तो आज वह अन्य तरह की बल्लेबाजी करता।


क्या कोचिंग को फुलटाइम कॅरियर बनाया जा सकता है? इसके लिए क्या कोई कोर्स भी करना चाहिए?

एक कोच में तीन से चार घंटे कोचिंग देने की क्षमता होती है। कोचिंग करने से पूर्व एनआईएस, पटियाला में इसका कोर्स करना जरूरी है। इसमें कोई भी स्नातक प्रवेश ले सकता है। हां, अगर आप पूर्व टेस्ट क्रिकेटर हैं, तो स्नातक न होने पर भी कोर्स में प्रवेश मिल सकता है।


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