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Career in Disaster Management-कैसा है कॅरियर आपदा प्रबंधन में?

नई इबारत नई मंजिल
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Disaster Management प्राकृतिक और मानवीय आपदाओं में इंसान, जानवरों, प्राकृतिक व धन-संपत्ति का नुकसान समाज और जन-जीवन को झकझोर कर रख देता है। ऐसी विभीषिकाओं के शिकार बने लोगों की मदद करने, उन्हें उबारने और उनके जीवन को फिर से पटरी पर लाने में आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों का बडा हाथ होता है। सरकार, एनजीओ, अनेक निजी संस्थान आपदा प्रबंधन (Disaster Management) को प्राथमिकता दे रहे हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में प्रशिक्षित पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है।


जरूरत क्यों?

भारत में बहुत से क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के लिए अति संवेदनशील हैं। एक अनुमानित आंकडा बताता है कि पिछले बीस सालों में पूरे विश्व में जमीन खिसकने, भूकंप, बाढ, सुनामी, बर्फ की चट्टान सरकने और चक्रवात जैसी आपदाओं में लगभग तीस लाख से अधिक लोगों की जान चली गई। यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि विश्व भर में आईं प्राकृतिक आपदाओं में लगभग 90 प्रतिशत विकासशील देशों के हिस्से पड़ी। देश की 70 प्रतिशत खेतिहर जमीन सूखे की आशंका की जद में है। वहीं कुल जमीन का 60 फीसदी हिस्सा भूकंप के प्रति संवेदनशील है, 12 प्रतिशत बाढ़ और 8 प्रतिशत चक्रवात के लिए।


क्या करते हैं पेशेवर ?

डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स (Disaster Management Professionals) का मुख्य काम आपदा के शिकार लोगों की जान बचाना और उन्हें मुख्य धारा में फिर से वापस लाना होता है। इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें आवश्यक धन उपलब्ध कराती हैं। इन सबमें मुख्य सरकारी एजेंसी के रूप में गृह मंत्रालय बड़ी भूमिका निभाता है। वह आपदा के समय डिजास्टर मैनेजमेंट का कार्य संभालता है। कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय सूखे और अकाल के वक्त अपनी जिम्मेदारियां निभाता है। वहीं, अन्य विपदाओं के लिए दूसरे मंत्रालय भी जिम्मेदार होते हैं, जैसे- हवाई दुर्घटनाओं के लिए सिविल एविएशन मिनिस्ट्री, रेल दुर्घटनाओं के लिए रेल मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा मंत्रालय आदि भी विभिन्न प्रकार की विपदाओं के समय जिम्मेदारियां निभाते हैं। डिजास्टर मैनेजमेंट में प्रशिक्षित लोग आपदा के वक्त बहुमूल्य होते हैं। स्टूडेंट्स को आपातकालीन स्थितियों में प्रबंधन के बारे में तालीम दी जाती है।


पहल सरकार की

भारत सरकार ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल की। मानव संसाधन मंत्रालय ने दसवीं पंचवर्षीय परियोजना में डिजास्टर मैनेजमेंट को स्कूल और प्रोफेशनल एजुकेशन में शामिल किया था। वर्ष 2003 में पहली बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने आठवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में इसे जोड़ा। फिर आगे की कक्षाओं में और सरकारी व गैर सरकारी उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में भी डिजास्टर मैनेजमेंट की पढ़ाई होनी लगी।


कोर्स (Course)

देश के कई प्रबंधन संस्थान डिजास्टर मैनेजमेंट में सर्टिफिकेट से लेकर पीजी डिप्लोमा लेवल के कोर्स संचालित करते हैं। वहीं कई विश्वविद्यालय डिग्री लेवल कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं। डिजास्टर मैनेजमेंट के कोर्स रेगुलर और डिस्टेंस लर्निग के माध्यम से भी कर सकते हैं।


योग्यता (Qualification)

सर्टिफिकेट कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता बारहवीं पास है, जबकि मास्टर डिग्री या पीजी डिप्लोमा के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक है। इस कोर्स में एडमिशन लेने वालों में हर परिस्थिति में काम करने का जज्बा जरूर होना चाहिए। कुछ संस्थान प्रोफेशनल के लिए भी सर्टिफिकेट कोर्स चलाते हैं।


Disaster Management पाठ्यक्रम (Syllabus)

डिजास्टर मैनेजमेंट के तहत रिस्क असेसमेंट ऐंड प्रिवेंटिव स्ट्रैटेजीज, लेजिस्लेटिव स्ट्रक्चर्स फॉर कंट्रोल ऑफ डिजास्टर मिटिगेशन, ऐप्लिकेशन ऑफ जीआईएस इन डिजास्टर मैनेजमेंट, रेस्क्यू आदि विषय आते हैं। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन भी किया जा सकता है, जैसे- माइनिंग, केमिकल डिजास्टर और टेक्निकल डिजास्टर वगैरह।


कॅरियर की संभावनाएं (Career Opportunities)

डिजास्टर मैनेजमेंट के क्षेत्र में आम तौर पर सरकारी नौकरियों में, आपातकालीन सेवाओं में, लॉ इन्फोर्समेंट, लोकल अथॉरिटीज, रिलीफ एजेंसीज, गैर सरकारी प्रतिष्ठानों और यूनाइटेड नेशन जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों में नौकरी मिल सकती है।

प्राइवेट सेक्टर में भी आपको जॉब मिल सकती है, जैसे केमिकल, माइनिंग, पेट्रोलियम जैसी रिस्क इंडस्ट्रीज में। आम तौर पर इन इंडस्ट्रीज में डिजास्टर मैनेजमेंट सेल (Disaster Management Cell) होता है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं रेडक्रॉस और यूएन प्रतिष्ठान भी प्रशिक्षित पेशेवर को काम पर रखते हैं। अनुभव हासिल करने के बाद खुद की कंपनी या फिर एजेंसी भी खोली जा सकती है।


इंस्टीट्यूट वॉच(Main Institutes)

इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), नई दिल्ली

नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी, दार्जिलिंग

इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मद्रास यूनिवर्सिटी, चेन्नई

(unom.ac.in/ icom.html)

2सिक्किम मनिपाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ, मेडिकल ऐंड टेक्नोलॉजिकल साइंसेज, गंगटोक

(sikkimmanipal.net)

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी ऐंड एनवायरनमेंट, नई दिल्ली

( Ecology.edu/ iiee /courses.htm)

नेशनल सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, इंद्रप्रस्थ एस्टेट, रिंग रोड, नई दिल्ली

सेंटर फॉर सिविल डिफेंस कॉलेज, नागपुर

एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन ट्रेनिंग ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, हैदराबाद

डिजास्टर मिटिगेशन इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद

एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन ट्रेनिंग ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद

सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, पुणे

एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नोएडा

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी, पटना

राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद।


सभी को आना चाहिए डिजास्टर मैनेजमेंट

डिजास्टर मैनेजमेंट के कोर्सेज में आखिर क्या आकर्षण है?

जब से सीबीएसई के कोर्स में विषय के रूप में शामिल हुआ है, इसे इम्पॉर्टेट स्टडी के रूप में देखा जाने लगा है। दिल्ली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट है। नागपुर और महाराष्ट्र जैसी कई जगह इसकी पढ़ाई होने लगी है। अब डिजास्टर मैनेजमेंट के प्रति सरकारी एजेंसियां और प्राइवेट सेक्टर दोनों बहुत जागरूक हुए हैं। कारपोरेट व‌र्ल्ड में हर कंपनी में डिजास्टर मैनेजर या रिस्क मैनेजर नियुक्त होता है।


भारत मे इसकी कितनी जरूरत है?

बहुत ज्यादा। क्योंकि यहां के लोगों को बार-बार डिजास्टर फेस करना पड़ता है। कभी भूकंप आ जाता है, कभी सुनामी। मानसून के पहले सूखे की आपदा, तो मानसून के बाद बाढ़ की आपदा। इसके अलावा भी आपदाएं कम नहीं है। मैन मेड आपदाएं घटित होती ही रहती हैं। कहीं आग लग जाती है, कहीं एक्सीडेंट। पूरा जीवन ही आपदाओं से भरा हुआ है। बीस सालों में आपदाएं पांच गुना बढ़ी हैं। सरकार को इसके लिए जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च करना पड़ता है।


आपदा प्रबंधन में किस तरह के स्टूडेंट को आना चाहिए? क्या किसी भी स्ट्रीम का स्टूडेंट कोर्सेज में एडमिशन ले सकता है?

मेरा तो मानना है कि आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण हर व्यक्ति को लेना चाहिए। वैसे इसमें जो संस्थान डिग्री-डिप्लोमा और पाठ्यक्रम चला रहे हैं, उनमें स्ट्रीम मायने नहीं रखती। एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट फिलहाल प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग दे रहा है।


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