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अब हेल्थकेयर सेक्टर (Healthcare Sector) एक पॉपुलर करियर ऑप्शन बन गया है। यही कारण है कि आज के युवा डॉक्टर बनने के अलावा इसके अन्य क्षेत्रों में भी करियर बना रहे हैं। यदि आप भी हेल्थ सेक्टर में करियर बनाना चाहते हैं, तो इससे संबंधित किसी भी क्षेत्रों में अपनी रुचि के अनुरूप करियर बना सकते हैं।
क्यों है जरूरत
जनसंख्या बढने के साथ-साथ लोगों की लाइफस्टाइल भी बदली है और खाने-कमाने की दिक्कतें भी। इसके कारण क्रॉनिक और लाइफस्टाइल डिजीज ने पैर पसारे हैं। प्रति व्यक्ति आय में बढोतरी से लोग हेल्थकेयर में ज्यादा से ज्यादा पैसा लगा रहे हैं और वे उच्च गुणवत्ता के हेल्थकेयर प्रोफेशनल (Healthcare Professional) की मांग कर रहे हैं।
बढता दायरा
इस क्षेत्र में प्राइवेट हेल्थकेयर प्रोवाइडर (Private Healthcare Provider) काफी आ गए हैं और इनकी संख्या बढती जा रही है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में टेक्नोलॉजी इम्प्रूव हो रही है, जनसंख्या बढ रही है और जलवायु परिवर्तन के कारण बीमारियों की शक्ल भी बदल रही है। एक अन्य कारण जागरूकता भी है। लोग इन्फेक्शन कन्ट्रोल के प्रति जागरूक हैं। वे मेडिकल केयर और कंफर्ट के लिए अच्छा पैसा खर्च करने को तैयार हैं। इस कारण उच्च तकनीक और अच्छा एन्वायरनमेंट प्रदान करने वाले तमाम हॉस्पिटल्स खुल रहे हैं। लोगों की खर्च करने की क्षमता के साथ-साथ कॉस्मेटिक और ऐस्थेटिक केयर की मांग भी लोगों में बढ रही है। प्लास्टिक सर्जन और डर्मेटोलॉजिस्ट की आज काफी मांग है। अब जेनरल प्रैक्टिशनर्स से ज्यादा स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की ज्यादा डिमांड की जा रही है। इस इंडस्ट्री में बडे बदलाव की वजह तकनीक का एडवांसमेंट और चिकित्सा के क्षेत्र में नई-नई खोज है। क्लीनिकल रिसर्च, ऑर्थोपैडिक्स, कार्डियोथोरैसिक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, आई साइकिएट्री, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, रेडियोडाग्नोसिस वगैरह एरिया मेडिकल के क्षेत्र में तेजी से बढ रहे हैं।
मुख्य क्षेत्र
मेडिकल प्रैक्टिशनर (Medical Practitioners)
जनसंख्या बढ रही है और बीमारियां भी। ऐसे में डॉक्टरों की कमी है। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) आयोजित किया जाता है। इस परीक्षा में फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बायोलॉजी के साथ 12वीं पास स्टूडेंट बैठ सकता है। एमबीबीएस (बैचलर डिग्री) की पढाई करके कोई भी व्यक्ति प्रैक्टिस कर सकता है। एमबीबीएस के बाद मास्टर डिग्री (एमडी या एमएस) या स्पेशलाइजेशन किया जा सकता है। यदि हेल्थ सेक्टर में रुचि है, तो पीएमटी के अलावा पैरामेडिकल आदि में भी डिग्री या डिप्लोमा किया जा सकता है।
नर्रि्सग (Nursing)
नर्रि्सग में भी काफी संभावनाएं हैं। यह महिलाओं के लिए सबसे उपयुक्त करियर माना जाता है। देश में तेजी से फैलते अस्पतालों में नर्स बनने के लिए नर्रि्सग में डिप्लोमा या पाठ्यक्रम किया जा सकता है। कई इंस्टीट्यूट्स में इससे संबंधित कोर्स उपलब्ध हैं।
हॉस्पिटल मैनेजमेंट (Hospital Management)
यदि आपके पास मैनेजमेंट स्किल है और आप हेल्थ सेक्टर में करियर बनाना चाहते हैं, तो हॉस्पिटल मैनेजमेंट का कोर्स करके इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं।
फार्मेसी (Pharmacy)
पीसीबी स्टूडेंट्स के लिए इसमें भी बेहतर करियर है, क्योंकि इन दिनों फार्मा से संबंधित प्रोफेशनल्स की डिमांड खूब है। यही कारण है कि देश के प्रमुख संस्थानों में इससे संबंधित कोर्स हैं। इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं है। इसमें एंट्री के लिए कुछ संस्थान प्रवेश परीक्षा, तो कुछ मेरिट पर लेते हैं। 12वीं के बाद फार्मेसी का कोर्स करके फार्मा कंपनियों में अच्छे पैकेज पर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (Medical Representative) भी बन सकते हैं। इसमें आप बीएससी (बायो) करके भी एंट्री कर सकते हैं। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद आप फील्ड मैनेजर, एरिया मैनेजर, जोनल मैनेजर वगैरह बन सकते हैं।
मेडिकल टूरिज्म (Medical Tourism)
ग्लोबलाइजेशन के बाद से दूरियां घटती जा रही हैं और भारत के पुराज्ञान का महत्व दुनियां में को पता चला है। विदेशों से लोग योगा, आयुर्वेद द्वारा स्वास्थ्य लाभ के लिए भारत आ रहे हैं। इसके अलावा चिकित्सा के क्षेत्र में एशिया में भारत प्रमुख स्थान रखता है। यही कारण है कि कम खर्च में ही बेहतर प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ उठाने के लिए देश-विदेश से लोग भारत आते हैं। ऐसे लोगों को बेहतर सुविधा तभी मिल सकती है, जब संबंधित ट्रेंड प्रोफेशनल्स हों। इंडस्ट्री की मांग को देखते हुए भारत में कई संस्थान इससे संबंधित कोर्स भी करा रहे हैं। इसमें नौकरी के बाद बेहतर सैलरी के साथ ही अलग-अलग संस्कृति के लोगों से मिलने-जुलने का मौका भी मिलता है। अनुभव होने पर आप विदेश भी जा सकते हैं।
फिजियोथेरेपी (Physiotherapy)
आज के युग में लोग बीमारी का इलाज करने के लिए दवाइयों का प्रयोग कम से कम करना चाहते हैं, जिसके चलते फिजियोथेरेपिस्ट की मांग में इजाफा हुआ है। फिजियोथेरेपी फिजिकल थेरेपी (Physical Therapy) का दूसरा नाम है। यह एक तेजी से उभरता क्षेत्र है, जिसमें बीमारियों का उपचार दवाइयों को छोड व्यायाम करके किया जाता है।
रिक्रूटमेंट(Recruitment)
इन सभी क्षेत्रों में जॉब्स के लिए केंद्र और राज्य सरकारें समय-समय पर अपनी आवश्यकता के अनुरूप रिक्तियां निकालती रहती हैं। यदि आप सरकारी नौकरी के इच्छुक हैं, तो इन परीक्षाओं के माध्यम से गवर्नमेंट सेक्टर में जा सकते हैं। इसके अलावा भारत में प्राइवेट अस्पतालों का जाल बिछा हुआ है। करियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा के मुताबिक, इस क्षेत्र में योग्य प्रोफेशनल्स की काफी कमी है। यदि आपके पास बेहतर स्किल और योग्यता है, तो प्राइवेट सेक्टर में बेहतर सैलरी के साथ सुनहरा भविष्य बना सकते हैं। इसके लिए यूपीएससी भी साल में एक बार कंबाइंड मेडिकल सर्विसेज एग्जाम (Combined Medical Services Examination) आयोजित करता है। इसे निकालने के बाद रेलवे, केंद्रीय स्वास्थ्य सेवाओं, ऑर्डिनेंस फैक्टरी की हेल्थ सर्विसेज और म्युनिसिपल कारपोरेशन में डॉक्टर के रूप में चयन हो सकता है।
संभावनाएं (Opportunities)
हमारे देश में हेल्थकेयर सर्विसेज का बडा नेटवर्क है, लेकिन इनमें पर्याप्त स्टाफ की काफी कमी है। एक आंकडे के मुताबिक, यहां करीब 3910 कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर है, 22669 प्राइमरी हेल्थ सेंटर और 144988 सब सेंटर हैं। इन सबके बावजूद सर्जंस, ऑब्सट्रीशियन और गाइनकोलॉजिस्ट, फिजीशियंस, पीडियाट्रीशियंस व अन्य हेल्थ प्रोफेशनल्स की कमी है। संभावनाओं को देखते हुए देश के सभी बडे ग्रुप हॉस्पिटल्स की चेन खोलने के उद्देश्य से प्रवेश कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 2.5 लाख हॉस्पिटल्स हैं, जिन्हें संभालने के लिए बडी संख्या में ट्रेंड प्रोफेनल्स की जरूरत है। परवीन कहती हैं कि डॉक्टरों के लिए प्राइवेट नर्रि्सग होम और पॉलीक्लीनिक्स में भी बहुत संभावनाएं हैं, वहींजेनरल प्रैक्टिशनर, स्पेशलिस्ट, फार्मेसिस्ट, पैरामेडिकल के विशेषज्ञ और डेंटिस्ट अकेले या पार्टनरशिप में प्राइवेट क्लीनिक भी खोल सकते हैं। इसके अलावा यदि रिसर्च में रुचि है, तो इस क्षेत्र के दरवाजे भी आपके लिए खुले हैं। यदि आप एकेडमिक क्षेत्र में जाने के इच्छुक हैं, तो संबंधिक कॉलेजों या संस्थानों में आप टीचिंग प्रोफेशन भी अपना सकते हैं।
ब्रेन ड्रेन में कमी
अब मेडिकल क्षेत्र में काफी बदलाव आ चुका है। पहले इस पर सरकारी क्षेत्र का ही नियंत्रण था। इसलिए मांग के अनुरूप ट्रेंड प्रोफेशनल नहीं मिल पाते थे। स्पेशलाइजेशन व बेहतर ट्रेनिंग के लिए उन्हें विदेश जाना पडता था, लेकिन अब प्राइवेट हॉस्पिटल चेन्स को मेडिकल कॉलेजेस खोलने की अनुमति प्रदान करने के बाद सारी सुविधाएं यहीं उपलब्ध हो रही हैं। जिससे ब्रेन ड्रेन में कमी आई है और यहां के स्टूडेंट्स कम खर्च में स्टैंडर्ड शिक्षा हासिल कर रहे हैं और बेहतर जॉब पा रहे हैं।
इंस्टीट्यूट (Institutes)
हालांकि हेल्थ सेक्टर से संबंधित कोर्स देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों और मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध हैं, लेकिन इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली aiims.ac.in or aiims.edu
मणिपाल यूनिवर्सिटी, मणिपाल manipal.edu
आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे afmc.nic.in
भारती विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, पुणे bvuniversity.in
महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वर्धा mgims.ac.in
जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, पॉन्डिचेरी jipmer.edu
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लूर और लुधियाना
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, चंडीगढ pgimer.nic.in
गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली ipu.ac.in
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