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Career in Law-कानून में सुनहरा भविष्य

नई इबारत नई मंजिल
नई इबारत नई मंजिल
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Career in Lawयदि आप लॉ कर रहे हैं और कोर्ट में प्रैक्टिस करने का मन बना चुके हैं, तो आपको लॉ की डिग्री लेने के बाद एक और परीक्षा से गुजरना होगा। यह परीक्षा बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) लेगी। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद आप कोर्ट में प्रैक्टिस करने का अधिकार प्राप्त कर लेंगे। वैसे वर्तमान में कानून की पढाई कोर्ट और कचहरी से बहुत आगे निकल चुकी है। यदि इससे अलग करियर बनाना चाहते हैं, तो नए-नए अवसर के द्वार खुले हुए हैं। आज लॉ की डिग्री लेने के बाद आप कंप्यूटर फॉरेंसिक (Computer Forensic) से लेकर एन्वॉयरनमेंटल एक्सपर्ट (Environmental Expert) तक बन सकते हैं। बस जरूरत है लॉ की डिग्री लेने की और अपनी रुचि के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने की।


बदल गई है धारणा

भारतीय अर्थव्यवस्था की लगातार मजबूती और कॉरपोरेट सेक्टर द्वारा देश और दुनिया में अपनी नई पहचान बनाने से लॉ आकर्षक करियर (Career) विकल्प बन गया है। बेहतर और सक्षम वकील इस सेवा में आ सकें, इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया परीक्षा भी लेती है।


वकालत की पहली सीढी

यदि आप कानून (Law) के पेशे में करियर बनाना चाहते हैं तो पहले आपको बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्य पाठ्यक्रम के तहत किसी विधि शिक्षण संस्थान (Law Institute) से तीन अथवा पांच वर्षीय एलएलबी (Bachelor of Law) की डिग्री हासिल करनी होगी। तीन वर्षीय एलएलबी करने के लिए किसी भी विषय में स्नातक एवं पांच वर्षीय कोर्स करने के लिए इंटरमीडिएट होना अनिवार्य है। लॉ में एडमिशन के लिए देश के प्रमुख यूनिवर्सियों में एंट्रेंस टेस्ट होता है। राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न लॉ विश्वविद्यालयों (Law Universities) के द्वारा संचालित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा (Entrance Examination) का तरीका अलग-अलग होता है। सभी लॉ विश्वविद्यालय अपने पांच वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम में लिखित प्रवेश परीक्षा (Written Entrance Examination) के आधार पर प्रवेश देते हैं। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualifications) कम से कम पचास प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। लॉ में स्नातक करने के लिए विभिन्न शिक्षण संस्थान (Educational Institutions) प्रतिवर्ष प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। प्रत्येक विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश परीक्षा का तरीका बदलता रहता है, ताकि परीक्षार्थी (Candidate) परीक्षा के बंधे बंधाए ढर्रे के अनुसार तैयारी न कर सकें। इस प्रकार से परीक्षा काफी प्रतिस्पर्धात्मक (Competitive) हो जाती है। इस तरह ऐसे विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में दाखिले की संभावना अधिक होती है, जो इस बारे में गंभीर हैं। इसके अलावा क्लैट के माध्यम से भी लॉ से संबंधित यूजी और पीजी कोर्स कर सकते हैं। यदि आपने लॉ ग्रेजुएशन कर लिया तो समझो वकील बनने की पहली सीढी पर पैर रख दिया।


वकालत की दूसरी सीढी

वकालत की दूसरी सीढी चढने के लिए अब ऑल इंडिया बार काउंसिल (All India Bar Council) द्वारा आयोजित एग्जाम पास करना होगा। परीक्षा पास करने के बाद आपको एक वर्ष इंटर्नशिप भी करनी होगी। उसके बाद आप कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकेंगे। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसका समावेश एक्ट में हो जाता है और स्टेट बार काउंसिलों की सहमति भी हो जाती है, तो वाकई यह परीक्षा काफी कारगर हो सकती है।


डिग्री एक, विकल्प अनेक

लॉ में ग्रेजुएशन करने के बाद आपके पास सिर्फ वकील बनने का ही विकल्प नहीं है, बल्कि आप अपनी इच्छानुसार देश-विदेश की मल्टीनेशनल कंपनियों में भी नौकरी कर सकते हैं। अनुभव के बाद सरकारी विभागों और निजी कंपनियों के लिए लीगल कंसल्टेंट का काम भी कर सकते हैं। राज्य और केंद्र सरकारों में अटॉर्नी जनरल भी लीगल सेक्टर के एक्सपर्ट और बेहद अनुभवी होते हैं। एजुकेशन और रिसर्च से जुडे रहने के इच्छुक युवा एलएलएम और एलएलडी करने के बाद टीचिंग के प्रोफेशन में भी जा सकते हैं। भारतीय व भारतीय मूल की तमाम देसी और मल्टीनेशनल कंपनियां तेजी से आगे बढ रही हैं। मर्जर, डी-मर्जर, अधिग्रहण, डिस्प्यूट्स आदि की बढती गतिविधियों के चलते ये कंपनियां अट्रैक्टिव पैकेज पर प्रतिभाशाली लॉ ग्रेजुएट्स को नियुक्त करने लगी हैं। डेवलपर्स और बिल्डर्स को भी वकीलों और भूमि से जुडे कानूनी मामलों के जानकारों की बडी संख्या में जरूरत महसूस हो रही है। लॉ को कॅरियर के रूप में चुनने वाले अधिकांश विद्यार्थियों का सपना होता है न्यायिक सेवा परीक्षा (Judicial Service Examination) में चयनित होकर सिविल न्यायाधीश (Civil Judge) का पद प्राप्त करना। आप परीक्षा पास करके प्राप्त कर सकते हैं। सिविल जज के प्रतिष्ठापूर्ण पद के अतिरिक्त वकीलों (Lawyers) को संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) द्वारा उनके अनुभव के आधार पर केंद्रीय सेवाओं में भी नियुक्त किया जाता है। केंद्रीय स्तर पर लॉ ऑफिसर, लीगल एडवाइजर, डिप्टी लीगल एडवाइजर आदि के पद हैं। राज्यों में राज्य पुलिस, राजस्व एवं न्यायिक विभागों में वकीलों की नियुक्ति की जाती है। विभिन्न स्तर के अधीनस्थ न्यायालयों (Subordinate Courts) में न्यायिक दंडाधिकारी (Judicial Magistrate), जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सब मजिस्ट्रेट, लोक अभियोजक, एडवोकेट जनरल, नोटरी एवं शपथ पत्र आयुक्त के पद उपलब्ध हैं। कॉरपोरेट घरानों और कंपनियों से जुडे वकीलों का भी वेतन आकर्षक होता है। सरकारी स्तर पर जजों तथा अन्य लॉ सेवकों का वेतन, वेतन आयोग द्वारा निर्धारित होता है। इसी तरह सॉलीसिटर, पब्लिक डिफेंडर, अटार्नी जनरल, एडवोकेट जनरल और डिस्ट्रिक अटॉर्नी जैसे पद भी पाए जा सकते हैं। कई जगह कंपनी सेक्रेटरी के रूप में और लॉ रिपोर्ट लिखने हेतु राइटर की भूमिका में भी रोजगार पाया जा सकता है। शिक्षण और रक्षा सेवा में भी जाने के विकल्प इस पेशे में हैं। लॉ कोर्स के तहत सिविल लॉ, क्रिमिनल लॉ, कॉरपोरेट लॉ, प्रॉपर्टी लॉ, इन्कम टैक्स लॉ, इंटरनेशनल लॉ, फैमिली लॉ, लेबर लॉ, प्रेस लॉ, एक्साइज लॉ, कॉन्स्टीटयूशनल लॉ, एडमिनिस्ट्रेशन लॉ, सेल ऑफ गुड्स लॉ, ट्रेड मार्क, कॉपीराइट, पेटेंट लॉ आदि के बारे में पढाया जाता है। लॉ के इन विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर इनमें भी करियर बनाया जा सकता है।


वकील बनने के लिए अब होंगे एग्जाम

यदि आप वकील के पेशे को करियर के रूप में अपनाना चाहते हैं, तो दो प्रवेश परीक्षाओं से गुजरना होगा। पहली एलएलबी में एडमिशन के लिए एवं दूसरी लॉ की डिग्री हासिल करने के उपरांत ऑल इंडिया बार एग्जॉमिनेशन-एआईबीई  (All India Bar Examination) पास करने के लिए। ऐसी परीक्षा बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने देशभर में पहली बार वर्ष 2010 में आयोजित की थी।


परीक्षा का पैटर्नं

ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन में 100 प्रश्न होंगे, जो बार काउंसिल द्वारा तीन एवं पांच वर्षीय एलएलबी के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम से पूछे जाएंगे। प्रश्न बहुविकल्पीय (Multiple Choice) होंगे एवं परीक्षा की अवधि साढे तीन घंटे रखी गई है। एग्जाम में आने वाले संपूर्ण पाठ्यक्रम को दो कैटेगरी में डिवाइड किया गया है। दोनों कैटेगरी में संपूर्ण पाठ्यक्रम को 1 से 20 चेप्टरों में डिवाइड किया गया है। प्रथम कैटेगरी में 1 से 11 तक के चेप्टर रखे गए हैं। प्रत्येक से सात प्रश्न आएंगे। दूसरे कैटेगरी में 12-20 चेप्टर रखे गए हैं, जिसमें से 23 प्रश्नों के उत्तर देने होंगे।


नौ भाषाओं में होगी परीक्षा

ऑल इंडिया बार काउंसिल परीक्षा नौ भाषाओं में होगी, जिसमें हिन्दी,तेलुगू, तमिल, कन्नड, मराठी, बंगाली, गुजराती, उडिया और अंग्रेजी भाषा शामिल है।


किससे कितने प्रश्न

कैटेगरी-1

1.अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन .. 7 2.सिविल प्रोसीजर कोड (सी.पी.सी.) ऐंड लिमिटेशन एक्ट .. 7 3.कॉन्स्टीट्यूशनल लॉ .. 7 4.कॉन्ट्रेक्ट लॉ, इनक्लूडिंग स्पेसिफिक रिलीफ, स्पेशल कॉन्ट्रेक्ट ऐंड नेगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट्स .. 7 5.क्रिमिनल लॉ : इंडियन पैनल कोड (आई.पी.सी.) .. 7 6.क्रिमिनल प्रोसीजर .. 7 7.ड्रॉफ्टिंग, प्लीडिंग ऐंड कन्वेंसिंग .. 7 8.इवीडेंस .. 7 9. ज्यूरिसप्यूडेंस .. 7 10.प्रोफेशनल एथिक्स ऐंड प्रोफेशनल कोड ऑफ कंडक्ट फॉर एडवोकेट्स .. 7 11.प्रॉपर्टी लॉ .. 7


कैटेगरी- दो

आप इनमें से किसी पांच चेप्टर से च्वाइस के अनुसार 23 प्रश्रनें के उत्तर दे सकते हैं।

12.एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ

13.कम्पनी लॉ

14.एन्वॉयरनमेंटल लॉ

15.फैमिली लॉ

16.ह्यूमन राइट्स लॉ

17.लेबर ऐंड इंडस्ट्रियल लॉ

18.लॉ ऑफ टार्ट इनक्ल्यूड मोटर वेहिकल एक्सीडेंट्स ऐंड कंज्यूमर प्रोटक्शन लॉ

19.प्रिंसिपल ऑफ टेक्सेशन लॉ

20.पब्लिक इंटरनेशनल लॉ


Career in Law बेहतर और नया करियर

एन्वॉयरनमेंटल लॉयर  (Environmental Lawyer)

एन्वॉयरनमेंट लॉ में उन चीजों को नष्ट होने से बचाने की बात की जाती है, जो हमें प्रकृति की तरफ से प्राप्त हुई हैं। इन मामलों में कई बार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन दायर की जाती हैं, जिसके लिए एन्वॉयरनमेंटल लॉ में निपुण लोगों की डिमांड होती है। इसके अलावा ऐसे एनजीओ में भी ऐसे लोगों की मांग होती है, जो एन्वॉयरनमेंट से जुडे मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।


साइबर लॉयर  (Cyber ​​Lawyer)

इस समय देश में ऑनलाइन और साइबर अपराध से जुडे मामले भी प्रकाश में आने लगे हैं। इसमें खासकर फर्जी और धमकी भरे ई-मेल भेजना, कंपनियों के साथ धोखा-धडी, सॉफ्टवेयर की चोरी, एसएमएस हैकिंग, मोबाइल की क्लोनिंग आदि शामिल हैं। इन सब को देखते हुए ही कंप्यूटर और नेटवर्क सुरक्षाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है। आपके पास कंप्यूटर एवं डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट बनने का भी सुनहरा अवसर है।


पेंटेट एंड कॉपीराइट लॉयर  (Patent and Copyright Lawyer)

पेटेंट एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत किसी भी नई खोज से बनने वाले प्रोडक्ट पर एकाधिकार दिया जाता है। अगर कोई थर्ड पार्टी वह प्रोडक्ट बनाना चाहती है, तो उसे इसके लिए लाइसेंस लेना पडता है और उस पर रॉयल्टी देनी पडती है। बौद्धिक सम्पदा बिजनेस कंपीटेंस के प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरा है। भारत में भी इससे संबंधित प्रोफेशनल्स की काफी मांग है।


लेबर लॉयर (Labor Lawyer)

कर्मचारियों के अधिकार एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिए लेबर लॉ बनाया गया है। इन दिनों इस क्षेत्र से संबंधित समस्याएं अदालत में काफी संख्या में हैं। आप इसमें भी बेहतर करियर बना सकते हैं।


इंटरनेशनल लॉयर  (International Lawyer)

इंटरनेशनल लॉ का अर्थ होता है अंतरराष्ट्रीय कानून। इसके तहत विभिन्न राष्ट्रों के राष्ट्रीय हितों के मध्य उत्पन्न होने वाली समस्याओं को कानून के द्वारा सुलझाया जाता है। यदि आपकी अंग्रेजी अच्छी है और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में रुचि है, तो यह क्षेत्र आपके लिए उपयुक्त है।


कॉरपोरेट लॉयर  (Corporate Lawyer)

विभिन्न प्रकार के उद्योग व्यापारों के दौरान कर समस्याओं एवं अन्य प्रकार की समस्याओं का समाधान करना इनका मुख्य काम है। कारॅपोरेट क्षेत्रों में इस तरह के विशेषज्ञों की खासी मांग है।


क्लैट से लें एंट्री

कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट

यदि आप इंटरमीडिएट के बाद देश के अच्छे संस्थान से लॉ ग्रेजुएट की उपाधि हासिल करना चाहते हैं तो क्लैट परीक्षा उत्तीर्ण करनी पडेगी। देश के 11 नेशनल लॉ विश्वविद्यालयों में लॉ ग्रेजुएशन करने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। आप इनमें से किसी एक विश्वविद्यालय में एडमिशन ले सकते हैं।


पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम

क्लैट परीक्षा पास करके मास्टर ऑफ लॉ (एलएलएम) में भी प्रवेश पा सकते हैं। प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए वही लॉ ग्रेजुएट पात्र हैं, जिन्होंने 55 प्रतिशत अंकों के साथ एलएलबी की डिग्री हासिल की हो। यदि आपके पास न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक है, तो आप पीजी कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं।


अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम

क्लैट परीक्षा के लिए वही स्टूडेंट्स योग्य हैं, जिन्होंने सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त बोर्ड या संस्थान से बारहवीं की परीक्षा किसी भी स्ट्रीम से 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की है। अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए 45 प्रतिशत अंक होना अनिवार्य होता है।


टेस्ट पेपर का पैटर्न

अंडर ग्रेजुएट कोर्स में प्रश्नपत्र दो सौ अंकों का होता है, जिसमें अंग्रेजी, जीएस, गणित, कानूनी ज्ञान, लॉजिकल रीजनिंग से प्रश्रन् पूछे जाते हैं। पीजी का प्रश्नपत्र भी दो सौ अंकों का होगा, जिसमें ऑब्जेक्टिव, लघुउत्तरीय, निबंधात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें बेहतर करनेके लिए जरूरी है कि आप पहले से इसकी तैयारी करें।


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