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पिछले कुछ समय से आर्थिक तंगी की शिकार कंपनियों के दिन अब फिरने लगे हैं। मकानों की बिक्री बढ़ने और कर्ज मिलने में आसानी होने से उनकी लंबित परियोजनाएं फिर से शुरू होने लगी हैं। आने वाले समय में रियल इस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) रोजगार की दृष्टि से काफी हॉट रहेगा। इसमें हर लेवल पर बड़ी संख्या में स्किल्ड युवाओं की मांग बढ़ रही है।
कोर्स और योग्यता
रियल इस्टेट में कॅरियर बनाने के लिए अच्छे एकेडमिक कॅरियर के साथ ही संबंधित डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स जरूरी है। यदि इंजीनियरिंग, लीगल, एकाउंट्स, मार्केटिंग, सिक्योरिटी, फाइनेंस और फैसिलिटी मैनेजमेंट से संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो मेहनत और लगन से नई-नई मंजिलें हासिल कर सकते हैं।
कैसे-कैसे जॉब
बड़ी संख्या में रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल कंस्ट्रक्शन की शुरुआत को देखते हुए भारतीय रिअॅल इस्टेट सेक्टर में हर स्तर पर बड़ी संख्या में स्किल्ड युवाओं की जबर्दस्त मांग है। इनमें प्रमुख हैं:
लैंड डेवलपमेंट (Land Development): रियल इस्टेट कंपनी (Real Estate Company) में यह सबसे महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट होता है। इसका प्रमुख कार्य जमीन का सौदा करना, रेट तय कराना, उससे संबंधित सभी तरह के डाक्यूमेंट्स चेक करना, लीगल फॉर्मेलिटीज पूरा कराना आदि होता है। इस पद पर आमतौर पर लीगल मामलों के जानकार की नियुक्ति की जाती है। यदि आपके पास लॉ से संबंधित डिग्री है, तो यह क्षेत्र आपके लिए है।
ब्रोकरेज (Brokerage): रियल इस्टेट में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बेचने और खरीदने के ये एक्सपर्ट होते हैं। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें आसपास के बिल्डर के नए प्रोजेक्ट्स, गवर्नमेंट प्रोग्राम, रियल इस्टेट लॉ, लोकल इकोनॉमिक्स, मॉर्गेज आदि की जानकारी हो।
यदि आपकी इसमें रुचि है, तो आप कॉमर्शियल, इंडस्ट्रियल ऐंड ऑफिस या फार्म ऐंड लैंड ब्रोकरेज में से किसी में भी कॅरियर बना सकते हैं।
इंजीनियरिंग (Engineering): किसी भी लैंड को डेवलप करने और उस पर निर्माण करने के लिए कई तरह के इंजीनियरिंग स्टाफ (Engineering Staff) की जरूरत होती है। सारा निर्माण कार्य इन्हीं की देख-रेख में होता है। इनमें सिविल इंजीनियर, आर्किटेक्ट, सुपरवाइजर, प्रोजेक्ट इंजीनियर, प्रोजेक्ट हेड जैसे पदों पर इंजीनियर्स की नियुक्ति की जाती है। इन पदों पर बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) या डिप्लोमा होल्डर्स को रखा जाता है।
एकाउंट्स (Accounts): बडे पैमाने पर पैसे का लेन-देन होने के कारण रियल इस्टेट कंपनियों में एकाउंट डिपार्टमेंट खासी अहमियत रखता है। इन कंपनियों में सीए और बीकॉम किए हुए प्रोफेशनल को एकाउंट डिपार्टमेंट में रखा जाता है। यदि रियल इस्टेट फील्ड में अनुभव है, तो वरीयता दी जाती है।
रियल इस्टेट रिसर्च (Real Estate Research): ब्रोकर्स, प्रॉपर्टी मैनेजर्स और फाइनेंसिंग एक्सपर्ट्स आदि सभी रिसर्चर पर ही निर्भर रहते हैं। रियल इस्टेट रिसर्चर दो प्रकार के रिसर्च करते हैं- फिजिकल और इकोनॉमिक रिसर्च। फिजिकल रिसर्च के अंतर्गत बिल्डिंग्स और कंस्ट्रक्शन मैटीरियल्स के बारे में रिसर्च करते हैं, जबकि इकोनॉमिक रिसर्च में यह रिसर्च करते हैं कि वर्तमान में किस तरह की मांग है, भविष्य में किस तरह के बायर घर खरीदेंगे और किन शहरों में किस तरह के प्रोजेक्ट फायदेमंद होंगे? इस तरह के रिसर्चर को कंपनियों में अच्छी सैलरी पर रखा जाता है।
मार्केटिंग (Marketing): एक बिल्डर या डेवलपर के लिए उसका प्रॉजेक्ट भी एक प्रॉडक्ट होता है। उसे अधिक से अधिक कीमत पर सेल करने के लिए मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव की आवश्यकता होती है। ऐसे पदों पर आमतौर पर एमबीए ग्रेजुएट को रखा जाता है। छोटी कंपनियों में इस पद पर सिंपल फ्रेश ग्रेजुएट भी रखे जाते हैं।
काउंसलिंग(Counseling): इन दिनों इसकी काफी मांग है। प्रॉपर्टी से संबंधित सभी समस्याओं से ये वाकिफ होते हैं और उनसे निकलने के लिए बेहतर सलाह देते हैं। ये फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट के विशेषज्ञ होते हैं। यदि इससे संबंधित डिग्री और पर्याप्त अनुभव है, तो आप फ्रीलांस काउंसलर बनकर भी बेहतर कमाई कर सकते हैं।
फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स (Future Prospects)
पहले सभी बिल्डर्स बड़े बजट का प्रोजेक्ट बड़े शहरों में ही बनाते थे, लेकिन अब वे छोटे शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। इस कारण अधिक संख्या में कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी। अगर बिल्डर्स कम बजट में सभी को मकान देने में सफल होते हैं, तो मांग में इजाफा होगी।
इसके अतिरिक्त एक ही छत के नीचे घर-गृहस्थी का सारा सामान उपलब्ध कराने के साथ-साथ टॉप क्लास एंटरटेनमेंट की व्यवस्था ने मॉल्स और रिटेल कल्चर को खूब बढ़ावा दिया है। ऐसे मॉल्स छोटे शहरों में भी खूब पॉपुलर हो रहे हैं।
प्रमुख संस्थान(Main Institutes)
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रियल इस्टेट, मुंबई
गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी ऐंड स्कूल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर, दिल्ली
एसएम स्कूल ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, नोएडा
दिल्ली बिजनेस स्कूल, दिल्ली
आईआईएलएम इंस्टीट्यूट फॉर हायर एजुकेशन, गुडगांव
आकृति इंस्टीट्यूट ऑफ रियल इस्टेट मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च, मुंबई
इंस्टीट्यूशन ऑफ इस्टेट मैनेजर ऐंड एप्रेजर्स, कोलकाता
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रियल इस्टेट, इन्वेस्टमेंट ऐंड फाइनेंस, दिल्ली
सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता।
सेंटर फॉर कंटीन्युइंग ऐंड डिस्टेंस।
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